बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी मधुमेह ,गुर्दे की पथरी ,ज्वर ,पेशाब की जलन ,श्वेत प्रदर जैसे रोगों को दूर करने में सक्षम होती है | यह वटी मूत्रेन्द्रिय और वीर्य से सम्बंधित रोगों को ठीक करने के लिये भी दी जाती है। यह ताकत को बढ़ाती तथा शरीर का पोषण कर शरीर की कान्ति बढ़ाती है। प्रमेह और उनसे पैदा हुए रोगों पर इसका धीरे-धीरे स्थायी प्रभाव होता है। सूजाक, आतशक आदि के कारण मूत्र और वीर्य में जो विकार पैदा होते हैं, उन्हें यह ठीक कर देती है। पेशाब के साथ वीर्य का गिरना, बहुमूत्र, श्वेतप्रदर, वीर्य दोष, मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात, अश्मरी, भगन्दर, अण्डवृद्धि, पाण्डु, अर्श, कटिशूल, नेत्ररोग तथा स्त्री-पुरुष के जननेन्द्रिय के विकारों में बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी से बहुत लाभ होता है। पेशाब में जाने वाला एल्ब्युमिन् इससे जल्दी बन्द हो जाता है। पेशाब की जलन, रुक-रुक कर देर से पेशाब निकलना, पेशाब में चीनी आना (मधुमेह), मूत्राशय की सूजन और लिंगेन्द्रिय की कमजोरी इससे ठीक हो जाती है। यह नये शुक्र-कीटों को पैदा करती है और रक्ताणुओं का शोधन तथा निर्माण करती है।
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी के प्रमुख घटकों यानि यह किन-किन जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाई जाती है और इसको कैसे और कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए और बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी के फायदे क्या क्या हैं इसकी जानकारी भी इस आर्टिकल में दी गई है |
शिलाजीत युक्त बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी के गुण फायदे
हमेशा थका हुआ महसूस करने वाले नौजवानों को बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी का सेवन जरुर करना चाहिए। मूत्राशय में किसी प्रकार की बीमारी होने से पेशाब करने के दौरान जलन होना, पेशाब का रंग लाल, पेडू में जलन, पेशाब में दुर्गन्ध अधिक हो, पेशाब में कभी-कभी शर्करा भी आने लगे, ऐसी हालत में शिलाजीत युक्त यह चन्द्रप्रभा बटी बहुत उत्तम कार्य करती है, क्योंकि इसका प्रभाव मूत्राशय पर विशेष होने से वहां की बीमारी दूर होकर पेशाब साफ तथा जलन रहित आने लगता है।
वृक्क (मूत्र-पिण्ड) की बीमारी होने पर पेशाब की बहुत कम मात्रा निकलने लगती है, जिससे मूत्राघात-सम्बन्धी भयंकर रोग वातकुण्डलिका आदि जैसे रोग उत्पन्न हो जाते हैं। शरीर में यदि पेशाब की मात्रा कम बनने लगे तो इसकी वजह से पूरे शरीर में एक तरह का विष (एसिड) फैल कर कई तरह के रोगों को पैदा कर देता है। जब तक यह विष पेशाब के साथ निकलता रहता है, शरीर पर इसका बुरा प्रभाव नहीं होता, लेकिन शरीर में रुक जाने पर अनेक रोग होने लगते है। ऐसी दशा में बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी से काफी लाभ होता है। साथ में लोध्रासव या पुनर्नवा-सव आदि का भी प्रयोग करते हैं जिसकी जानकारी वैध आचार्य आपको देंगे ।
पुराने सूजाक रोग में भी बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी का उपयोग किया जाता है। सूजाक पुराना होने पर जलन आदि तो नहीं होती, किन्तु मवाद थोड़ी मात्रा में आता रहता है। यदि इसका विष रक्त या शरीर की धातुओं में फ़ैल जाये तो शरीर के ऊपरी भाग में दिखने लगता है, जैसे शरीर में खुजली होना, छोटी-छोटी फुन्सियाँ हो जाना, लिंगेन्द्रिय पर चट्टे पड़ जाना आदि, तो ऐसी दशा में चन्द्रप्रभा बटी-चन्दनासव अथवा सारिवाद्यासव के साथ देने से बहुत अच्छा लाभ करती है। यह रसरक्तादि-गत विषों को दूर कर धातुओं का शोधन करती तथा रक्त-शोधन कर उससे होने वाली समस्याओ को ठीक करती है। इसके सेवन से पेशाब भी खुलकर होने लगता है।
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी गर्भाशय को भी शक्ति प्रदान कर उसकी विकृति को दूर करके शरीर निरोग बना देती है। अधिक मैथुन या जल्दी-जल्दी सन्तान होने अथवा सूजाक, उपदंश आदि रोगों से गर्भाशय कमजोर हो जाता है, जिससे स्त्री की कान्ति नष्ट हो जाती, शरीर दुर्बल और शरीर में खून की कमी हो जाती है, भूख नहीं लगती, मन्दाग्नि एवं वातप्रकोप के कारण पूरे शरीर में दर्द होने लगता है, कष्ट के साथ मासिक धर्म होना, रजःस्राव कभी-कभी 10-12 रोज तक बराबर होते रहना आदि उपद्रव होने पर चन्द्रप्रभा अशोक घृत के साथ दिया जाता है। फलघृत के साथ देने से भी लाभ होता है।
अधिक शुक्र क्षरण या रजःस्राव हो जाने से (स्त्री-पुरुष) दोनों की शारीरिक कान्ति नष्ट हो जाती है। शरीर कमजोर हो जाना, शरीर का रंग पीला पड़ जाना, मन्दाग्नि, थोड़े परिश्रम से हाँफना, आँखें नीचे धंस जाना, बद्धकोष्ठता, भूख खुलकर नहीं लगना आदि विकार उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे समय में चन्द्रप्रभा का उपयोग करने से रक्तादि धातुओं की पुष्टि होती है तथा वायु का भी शमन होता है।
स्वप्नदोष से वातवाहिनी तथा शुक्रवाहिनी नाड़ियाँ कमजोर हो शुक्र धारण करने में असमर्थ हो जाती हैं। परिणाम यह होता है कि स्त्री-प्रसंग के प्रारम्भ काल में ही पुरुष का शुक्र निकल जाता है। ऐसी दशा में बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी बहुत लाभ करती है।
वात-पैत्तिक प्रमेह में इसका अच्छा असर पड़ता है। वातप्रकोप के कारण कब्ज हो जाने पर भूख भी कम हो जाती है, फिर बदहजमी, अपच, भूख नहीं लगना, अन्न के प्रति अरुचि, कभी-कभी प्यास ज्यादा लगना, शरीर में कमजोरी महसूस होना आदि लक्षण पैदा होते हैं। इस अवस्था में बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी के प्रयोग से दूषित वात शान्त होकर इससे हाने वाले उपद्रव भी शान्त हो जाते हैं तथा प्रमेह-विकार भी दूर हो जाते हैं।
बैद्यनाथ चंद्रप्रभावटी के घटक
तीन-तीन माशे इन प्रत्येक जड़ी बूटियों की ली जाती है |
- कपूरकचरी
- बच
- नागरमोथा
- चिरायता
- गिलोय
- देवदारु
- हल्दी
- अतीस
- दारुहल्दी
- पीपलामूल
- चित्रकमूल-छाल
- धनिया
- बड़ी हर्रे
- बहेड़ा
- आँवला
- चव्य
- वायविडङ्ग
- गज पीपल
- छोटी पीपल
- सोंठ
- काली मिर्च
- स्वर्ण माक्षिकभस्म
- सज्जीखार
- यवक्षार
- सेंधानमक
- सोंचरनमक
- साँभर लवण
- छोटी इलायची के बीज
- कबाबचीनी
- गोखरू
- श्वेत चन्दन
- निशोथ, दन्तीमूल, तेजपात, दालचीनी, बड़ी इलायची, बंशलोचन 1-1 तोला |
- लौह भस्म 2 तोला मिश्री 4 तोला, शुद्ध शिलाजीत और गद गूगल 88 तोला |
इन सबको पीसकर छानकर बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी की 3-3 रत्ती की गोलियाँ बनाई जाती है |
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी price
80 TABLET_ PACK OF 2 – RS 225
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी से जुड़े सवाल जवाब
चंद्रप्रभा वटी कितने दिन तक ली जा सकती है?
यह एक आम प्रश्न है कि चंद्रप्रभा वटी कितने दिनों तक ली जा सकती है। यह विषय हमारे आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की अनुभवपूर्ण सलाह के आधार पर होना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का शरीर अद्वितीय होता है। आमतौर पर, चंद्रप्रभा वटी को 6 से 8 सप्ताह तक सेवन किया जा सकता है, लेकिन यह शरीर की स्थिति पर भी निर्भर करता है।
बार-बार पेशाब आने के लिए चंद्रप्रभा वटी: आयुर्वेदिक समाधान
क्या आपके साथ बार-बार पेशाब आने की समस्या है? यह सामान्य समस्या आपके दिनचर्या को प्रभावित कर सकती है। चंद्रप्रभा वटी बार-बार पेशाब आने की समस्या को कम करने में मदद कर सकती है। इसमें मौजूद जड़ी-बूटियों की शक्ति होती है जो आपके मूत्रमार्ग को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान
चंद्रप्रभा वटी के सेवन से आपको कई फायदे मिल सकते हैं। यह आपके मूत्रमार्ग को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है और बार-बार पेशाब आने की समस्या को भी कम कर सकती है। इसके साथ ही, यह आपके शरीर की ऊर्जा को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकती है। हालांकि, आपको किसी भी आयुर्वेदिक उपचार का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि आपकी स्थिति अनूठी हो सकती है।
चंद्रप्रभा वटी के कुछ फायदे और नुकसान इस प्रकार हैं:
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी के फायदे:
- पेशाब की मात्रा को कम करता है.
- पेशाब में जलन को कम करता है.
- पेशाब में रुकावट को दूर करता है.
- वीर्य की कमी को दूर करता है.
- यौन इच्छा को बढ़ाता है.
- शरीर को स्वस्थ रखता है.
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी के नुकसान:
- चंद्रप्रभा वटी का अधिक सेवन करने से पेट दर्द, उल्टी और दस्त हो सकते हैं.
- चंद्रप्रभा वटी का सेवन गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए.
- चंद्रप्रभा वटी का सेवन गुर्दे की बीमारी से पीड़ित लोगों को नहीं करना चाहिए.
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा चंद्रप्रभा वटी परहेज
- गरिष्ठ आहार,इमली खटाई एवं लाल मिर्च – तेज मसाले से परहेज करें |
चंद्रप्रभा वटी की तासीर कैसी होती है ?
- चंद्रप्रभा वटी की तासीर ठंडी होती है. चंद्रप्रभा वटी का सेवन गर्मियों में अधिक फायदेमंद होता है.
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी सेवन विधि:
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी का सेवन कितने दिनों तक करना चाहिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस समस्या के लिए चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना है. अगर आपको बार-बार पेशाब आने की समस्या है, तो आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन कम से कम 2-4 सप्ताह तक करना चाहिए. अगर आपको पेशाब में जलन की समस्या है, तो आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन कम से कम 4-6 सप्ताह तक करना चाहिए. अगर आपको पेशाब में रुकावट की समस्या है, तो आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन कम से कम 8-10 सप्ताह तक करना चाहिए | चंद्रप्रभा वटी का सेवन दिन में दो बार करना चाहिए.
बैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी अनुपान
1 से 3 गोली सुबह-शाम धारोष्ण दूध, गुडूची क्वाथ, दारुहल्दी का रस, बिल्वपत्र-रस, गोखरू-क्वाथ या केवल शहद से लेनी चाहिए | इस वटी का सेवन पानी या शहद के अलावा यहाँ बताये गये अन्य रसायनों के साथ भी किया जाता है जिसे आयुर्वेदिक चिकित्सक बतायेंगे क्योंकि यह अनुपान अलग-अलग रोगों के प्रकार के अनुसार निर्धारित होता है |