आयुर्वेद में शंखपुष्पी को उत्तम रसायन माना गया है। कई रोगों को ठीक करने में शंखपुष्पी के नतीजे काफी सकारात्मक आए हैं। शंखपुष्पी मस्तिष्क के स्नायुओं को ताकत देती है। दिमागी कमजोरी और स्मरण शक्ति बढ़ाने में यह बहुत कामयाब हर्ब है। शंखपुष्पी को एक nootropic औषधि यानी मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह औषधि तनाव को दूर कर और दिमागी क्षमता को बढ़ाकर बुद्धि, ध्यान, एकाग्रता, स्मृति और तंत्रिका से संबंधित विकारों में बहुत अच्छे परिणाम देती है |
शंखपुष्पी की 3 जातियां सफेद, लाल और नीले रंग के फूलो वाली पाई जाती हैं, लेकिन सफेद फूलो वाली शंखपुष्पी ही औषधि प्रयोग के लिए सबसे अच्छी मानी गई है। कनेर के फूलों से मिलती-जुलती खुशबू वाले एक या दो फूल सफेद या हलके गुलाबी रंग के दिखते हैं। इस पौधे के फूल, पत्ते, तना, जड़ और बीज समेत लगभग सभी हिस्सों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
विभिन्न भाषाओं में शंखपुष्पी के नाम ये हैं – संस्कृत-शंखपुष्पी, क्षीरपुष्पी, मांगल्य कुसुमा। हिंदी-शंखाहुली। मराठी-शंखावड़ी। गुजराती-शंखावली। बंगाली-डाकुनी, शंखाहुली। लैटिन-प्लेडेरा डेकूसेटा (Pladera Decussate)। कन्वाल्कुलस प्लुरिकालिस।
गुण
आयुर्वेदिक मतानुसार शंखपुष्पी कड़वी रसवाली, स्निग्ध, विपाक में मधुर, प्रकृति में शीतल, त्रिदोष नाशक, कांति, बुद्धि, बलवर्द्धक, शांतिदायक, स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली, तेजवर्द्धक, मस्तिष्क दोषहर, मानसिक कमजोरी नाशक होती है। यह हिस्टीरिया, अनिद्रा, याददाश्त की कमी, उन्माद (पागलपन), भ्रम, मिर्गी, मानसिक रोग, शुक्रमेह, विषहर, उच्च रक्तचाप, बिस्तर पर पेशाब करने जैसी बिमारियों में गुणकारी है।
यूनानी चिकित्सा पद्धतिके अनुसार शंखपुष्पी तर और बल्य रसायन होती है। नाड़ियों को शक्ति देने, स्मृति बढ़ाने, मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ाने, पागलपन, मिर्गी, भ्रम और अनिद्रा दूर करने की यह एक उत्तम औषधि है।
वैज्ञानिक मतानुसार शंखपुष्पी का सक्रिय तत्त्व एक स्फटिकीय एल्केलाइड शंखपुष्पीन होता है। इसके अलावा इसमें एक एशेंसियल ऑइल भी पाया जाता है। चूंकि सारे अंगों में ये तत्त्व पाए जाते हैं, अतः इसके पंचांग का औषधि में अधिक प्रयोग किया जाता है। दिमागी ताकत को बढ़ाने वाले उत्तम रसायनों में शंखपुष्पी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। दिमागी काम करने वालों के लिए तो यह एक उत्तम टानिक है। shankhpushpi health benefits for skin, hairs, for Child, for Brain, shankhpushpi for mind power memory booster tonic, home remedies.
विभिन्न रोगों में शंखपुष्पी के आसान घरेलू नुस्खे
- उच्च रक्तचाप : शंखपुष्पी के पंचांग का काढ़ा 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना सेवन करते रहने से कुछ दिनों में हाई ब्लड प्रेशर से लाभ मिलेगा। यह काढ़ा 2-3 दिन तक लगातार पिएं, फिर 1-1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ लेने लगें। रक्तचाप सामान्य हो जाने के बाद भी 1-2 सप्ताह तक लेते रहें।
- शंखपुष्पी के फूल, पत्ते, तना, जड़ और बीज को पंचांग कहते है |
- उच्चरक्त चाप : ताजी शंखपुष्पी का 10-20 मिलीग्राम स्वरस सुबह, दोपहर तथा शाम, कुछ दिनों तक सेवन करने से उच्चरक्त चाप से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाता है।
- थायराइड ग्रंथि के अतिस्राव से पैदा हुए रोगों में : शंखपुष्पी के पंचांग का चूर्ण समभाग मिस्री के साथ मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करते रहने से घबराहट, धड़कन बढ़ने, कंपन, अनिद्रा में लाभ होगा।
- सिरदर्द में : शंखपुष्पी 1 ग्राम, खुरासानी अजवायन 250 मिलीग्राम, गर्म पानी के साथ देने से सिरदर्द सिर्फ 5 मिनट में दूर हो जाती हैं।
- गर्मी से जी मिचलाना या उलटी होने पर इसके पंचाग के दो चम्मच रस में एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ बार-बार पिलाने से उलटी पर नियन्त्रण हो जाता है।
- लू लगने पर बुखार में जब रोगी बेसुध हो जाता है, उस समय नींद लाने के लिये शंखपुषी चूर्ण 5-10 ग्राम चूर्ण को दूध तथा शहद के साथ देने से बहुत लाभ होता है।
- शंखपुष्पी का सेवन कैसे करे – शंखपुष्पी के इस्तेमाल का तरीका यह भी है कि इसका पंचांग छाया में सुखाकर रख लें। सूखी शंखपुष्पी का चूर्ण छह ग्राम तथा चार काली मिर्च को पानी के साथ पीसकर पेस्ट जैसा बनाएँ। इसमें 250 मिली पानी या दूध मिलाकर छान लें। स्वादानुसार मिश्री या बूरा मिलाकर गर्मियों में सुबह खाली पेट पिएँ। यदि ताजी शंखपुष्पी हो तो 15-20 ग्राम मात्रा लें। शंखपुष्पी की ठंडाई गरमियों में दो-तीन हफ्ते प्रयोग करके परिणाम देखें। शरीर और दिमाग को ठंडा रखने का ये बहुत ही बेहतरीन नुस्खा है |
- बालों को लंबा करने हेतु : शंखपुष्पी का तेल नियमित रूप से बालों में लगाना चाहिए।
- जड़ सहित शंखपुष्पी का पूरा पौधा पीसकर उसका लेप सिर पर लगाने से बाल लंबे, सुंदर और चमकदार होते हैं। शंखपुष्पी की जड़ को पीसकर उसके रस की कुछ बूंदें नाक में डालने से समय से पहले बाल कभी सफेद नहीं होते। इसके रस को शहद में मिलाकर पीने से बालों का झड़ना रुक भी जाता है और बाल काले घने, मजबूत और चमकदार हो बन जाते हैं।
- सुबह सवेरे शंखपुष्पी स्वरस 10-20 मिलीग्राम या चूर्ण 2-4 ग्राम को शहद को छह महीनो तक सेवन करने से त्वचा की झुरिर्या दूर होती है |
- बवासीर रोग में : शंखपुष्पी की जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में 3 बार रोजाना पानी के साथ कुछ दिन सेवन करें |
- बच्चो की बिस्तर में पेशाब करने की आदत : पंचांग का आधा चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर आधा कप दूध से सुबह-शाम रोजाना 6 से 8 हफ्ते सेवन कराएं या रात में सोते समय शंखपुणी चूर्ण 2 ग्राम व काले तिल 1 ग्राम मिलाकर दूध के साथ देना चाहिये |
- शुक्रमेह यानि पुरुषों में पेशाब के साथ पतले सफेद पदार्थ के निकलना : पंचांग का एक चम्मच चूर्ण, आधा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ कुछ हफ्ते सेवन करने से ये रोग दूर होगा।
- पेशाब करते समय जलन या दर्द होना, रुक-रुक कर पेशाब आने पर : रोजाना पांच ग्राम शंखपुष्पी चूर्ण गाय के दूध, मक्खन, शहद या छाछ के साथ लेने से लाभ होता है |
- गला बैठ जाने पर : शंखपुष्पी के पत्तों को चबाकर रस पीने से बैठा गला ठीक होकर गला ठीक होता है।
- रक्तस्त्रावः शंखपुष्पी का 10-20 मिलीग्राम स्वरस शहद के साथ देने से रक्त बहना तुरन्त बन्द हो जाता है।
- गर्भवती स्त्री के रक्त्त स्त्राव को रोकने के लिए शंखपुष्पी को हरड़, घी, शतावरी और शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए |
- तेज बुखार में शंखपुष्पी और पिसी मिश्री समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच दिन में 3-4 बार पानी के साथ देने से लाभ होता है और नींद भी अच्छी आती है।
मधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों के लिए शंखपुष्पी
- शंखपुष्पी के 6 ग्राम चूर्ण को, सुबह-शाम गाय के मक्खन के साथ या पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में बहुत लाभ होता है।
- मधुमेह की कमजोरी को दूर करने के लिये, इसका 2-4 ग्राम चूर्ण अथवा स्वरस 10-20 मिलीग्राम लेना बहुत फायदेमंद है।
याद रखने की क्षमता बढ़ाने के नुस्खे (स्मरणशक्ति वर्धक )
- 3 से 6 ग्राम तक शंखपष्पी का चूर्ण शक्कर व दूध के साथ रोजाना सुबह लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। पढाई की वजह से होने वाली थकावट दूर होती है।
- याददाश्त बढ़ाने के लिए : पंचांग चूर्ण 200 ग्राम में इतनी ही मात्रा मिस्री और 30 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना एक कप दूध के साथ सेवन करते रहने से स्मरण शक्ति, बुद्धि बल, दिमागी ताकत बढ़ेगी।
- शंखपुष्पी शरबत बनाने की विधि – शंखपुष्पी 125 ग्राम, ब्राह्मी 25 ग्राम 3 लीटर पानी में डालकर शाम को रख दें। दूसरे दिन इसे आग पर पकाएं। जब पानी ढाई लीटर बचे, तब इसे उतारकर कपड़े से छान लें। इस पानी में पांच किलो शक्कर और एक ग्राम नीबू का सत्व (साइट्रिक एसिड) डालकर उबालें। जब थोड़ा गाढ़ापन आ जाए तब उतारकर ठंडा करके, इसमें खाने का हरा रंग एक ग्राम या आधा ग्राम, तरल रूप में लेकर मिला लें और बोतलों में भर लें। यह शंखपुष्पी शरबत है। इसे 1-2 चम्मच, एक गिलास पानी में घोलकर रोज पीने से दिमागी ताकत ठंडक, स्मरण शक्ति और स्नायविक शक्ति बढ़ती है।
- रात भर पानी में भिगोई हुई 5 बादाम की गिरी लेकर उसका छिलका उतार दें। इसके साथ लगभग 2 ग्राम शीतलचीनी (कबाबचीनी) तथा 2-3 छिलका सहित छोटी इलायची लेकर बारीक पीस लें। अब इसमें एक चम्मच मिश्री, एक चम्मच शहद तथा डेढ़ चम्मच घी मिलाकर सुबह सेवन करें। इसी तरह से रात को सोने से पहले भी इसे तैयार करकेइसका सेवन करें। इस प्रयोग से एक-दो सप्ताह में ही दिमाग को ताकत मिलती है ।
- शंखपुष्पी 2-4 ग्राम एवं बच मीठी का लगभग 1 ग्राम चूर्ण बच्चो को देते रहने से दिमाग तेज होता है |
मानसिक रोगों में शंखपुष्पी के लाभ
- शंखपुष्पी नसों को शांत करता है साथ ही तनाव और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है। यह स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसॉल के स्तर को कम करता है। एक गिलास पानी के साथ शंखपुष्पी का सेवन दिमाग को शांत करने के लिए लाभकारी होता है।
- हिस्टीरिया : शंखपुष्पी 100 ग्राम, वच 50 ग्राम, ब्राह्मी 50 ग्राम मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोजाना 3 बार कुछ हफ्ते लें।
- मिर्गी में : ताजी शंखपुष्पी के पंचाग का रस 4 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से कुछ माह में लाभ मिलेगा।
- बड़बड़ाना : शंखपुष्पी के पंचांग का चूर्ण और मिस्री समभाग मिलाकर पीस लें। एक-एक चम्मच की मात्रा में पानी से 2-3 बार सेवन कराने से तेज बुखार के कारण बिगड़े मानसिक नियंत्रण पर लाभ होगा।
- उन्माद (अधिक गुस्सा) में : ताजी शंखपुष्पी के पंचांग का रस 20 मिली लीटर (4 चम्मच) की मात्रा में रोजाना सेवन कराने से बहुत लाभ मिलता है दिमाग को ठंडक मिलती है।
- शंखपुष्पी, बच और ब्राह्मी को बराबर-बराबर लेकर चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार देने से अपस्मार, हिस्टीरिया और उन्माद रोग में लाभ हो जाता है।
- छाया में सुखाई हुई शंखपुष्पी 1 कि०ग्रा०, शर्करा 2 कि०ग्रा०, दोनों को पीसकर छान दें और बोतलों में भरकर रख लें। इस चूर्ण को 5 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में दूध के साथ लेने से दिमाग तेज होता है यद् रखने की क्षमता भी बढती है।
- शंखपुष्पी का रस 10 से 20 ग्राम तक, कूट का चूर्ण 500 मिलीग्राम थोड़े शहद के साथ लेते रहने से उन्माद मिर्गी रोग मिटता है।
- शंखपुष्पी का इस्तेमाल से अवसाद यानी डिप्रेशन के रोगियों को भी बहुत लाभ मिलता है।
शंखपुष्पी का सेवन कैसे करे तथा इसकी सही मात्रा
- पंचांग चूर्ण 3 से 6 ग्राम। पंचांग का रस 20 से 40 मिलीलीटर सेवन करना चाहिए |
- शंखपुष्पी का नियमित सेवन 6 माह तक किया जा सकता है। इससे शरीर के कई रोग दूर होते हैं एवं मन शांत होता है। इसके चूर्ण की मात्रा 3 से 5 ग्राम तक ली जाती है। इसके रस की मात्रा 5 से 20 मिली लीटर तक ली जाती है। इसके सेवन के तुरंत बाद दूध का सेवन करना चाहिए।
- रोजाना एक कप पानी में आधा चम्मच शंखपुष्पी के रस को (sankhapuspi Juice) मिलाकर पिने से शरीर में खून का सर्कुलेशन सही रहता है |
बाजार में उपलब्ध आयुर्वेदिक दवाइयां और अन्य प्रोडक्ट्स
- शंखपुष्पी वटी, शंखपुष्पी तेल, शंखपुष्पी शर्बत, (shankhpushpi syrup ) शंखपुष्पी सिरप आदि ।
- सर्दियों में इसके सेवन से ठंड लगने का खतरा होता है। इसका ध्यान जरुर रखें |
शंखपुष्पी सिरप के फायदे
- शंखपुष्पी सिरप के फायदे वही होते है जो शंखपुष्पी हर्ब के होते है, जिन्हें हम उपर पहले ही बता चुके है फिर संक्षिप्त में जान लेते है शंखपुष्पी सिरप के लाभ :- यह डिप्रेशन, चिंता और तनाव को दूर करके याद्दाश्त बढ़ाता है, पाचन सुधारता है, हाई बी.पी कंट्रोल करता है, हाइपरथायराइड में लाभकारी है, पेट में अल्सर की समस्या से छुटकारा दिलाता है, अनिद्रा की समस्या से छुटकारा दिलाता है |
शंखपुष्पी की पहचान करने के लिए देखें ये विडियो