जानिए बर्तन भी कैसे प्रभावित करते हैं आपकी सेहत को

क्या आप जानते हैं बर्तन भी आपकी सेहत को बनाने और बिगाड़ने में कितनी अहम् भूमिका निभाते हैं ? अक्सर हम अपनी किचन के लिए मेटल के बर्तनों के चयन में स्वास्थ्य को होने वाले लाभ या हानि पर ध्यान नहीं देते। ज्यादातर घरों में भोजन पकाने के लिए तथा चाय बनाने के लिए एल्युमीनियम के बर्तनों का ही इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि ये सस्ते, हलके, जल्दी गर्म होने वाले तथा गर्मी के अच्छे कंडक्टर होते हैं। लेकिन विभिन्न खोजों, अध्ययनों से पता चला है कि ये बर्तन स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह हैं। स्टील के बर्तनों का चलन सबसे ज्यादा होता हैं। परीक्षणों से यह स्पष्ट हुआ है कि निम्न स्तरीय (घटिया क्वालिटी ) के स्टेनलेस स्टील के बर्तनों से स्वास्थ्य को काफी नुकसान पंहुच सकता है | तांबा, पीतल,लोहा, कांसा, स्टील एल्युमीनियम, सोना और चांदी आदि के बर्तनों पर किए गए विभिन्न परीक्षणों से पता चला है कि सोने-चांदी के बर्तन स्वास्थ्य के लिए सबसे उत्तम हैं और इनसे कोई हानि नहीं होती। श्रेष्ठता के क्रम में इसके बाद तांबा, पीतल, स्टील के बर्तन आते हैं। एल्युमीनियम, और प्लस्टिक के बर्तन सबसे ज्यादा नुकसानदेह होते हैं।

आइये जानते हैं मेटल से बने बर्तन के गुण-दोष :

जानिए बर्तन भी कैसे प्रभावित करते हैं आपकी सेहत को
safe use of cookware
  • चांदी के बर्तन – ये ठंडी प्रकृति के होते हैं और इनमें रखे पेय पदार्थों का सेवन करने से उसके गुण बढ़ जाते हैं। इनका प्रयोग हानिकारक नहीं है। रत्न शाष्त्र के अनुसार जिन लोगों को गुस्सा अधिक आता है उन्हें चांदी के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है। चांदी प्राकृतिक रूप से गैर-विषाक्त होते है, जिससे बैक्टीरिया दूर होते हैं। पानी व अन्य तरल पदार्थो को इन बर्तनों में रखने से उनकी ताजगी लंबे समय तक बनी रहती है। आयुर्वेद के कुछ ज्ञाताओ का दावा है की चांदी के बर्तन में पानी पीने के फायदे बहुत होते हैं इसके बर्तन में  पानी पीने से वात, पित्त व कफ संतुलित एवं नियंत्रित रहता है l
  • पीतल के बर्तन – ऐसे बर्तन गर्म प्रकृति के होते हैं। खाने-पीने की चीजें रखने के लिए इनमें कलई करा लेना अच्छा रहता है अन्यथा घी, नींबू पानी, जूस, छाछ, दूध, दही, खीर जैसी चीजें इसमें खराब हो जाती हैं और फ़ूड पॉइजनिंग का कारण बन सकती है। पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे – तांबे के बर्तन में रखा पानी पूरी तरह से साफ़ माना जाता है | यह सभी दस्त, पीलिया, इन्फेक्शन की बीमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देता हैं |
  • तांबे के बर्तन – शुभ और लाभकारी माने जाते हैं। इस बर्तन में रात को रखा पानी सुबह खाली पेट पीने से कब्ज़ की शिकायत दूर होती है, आँखों की रोशनी बढ़ती है और शरीर स्वस्थ रहता है। ज्यादातर तांबे और पीतल के बर्तनों पर दूसरे मेटल की कोटिंग चढ़ी होती है, जो तांबे के ज्यादा अंश खाने में जाने से रोकता है लेकिन समय बीतने के साथ साथ जब ये कोटिंग हटने लगती है तो तांबे के ज्यादा अंश खाने में पहुंचने लगते है। इसलिए ज्यादा लम्बे समय तक इसका प्रयोग ना करें | इसमें दूध का सेवन ना करें | तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी शरीर की आंतरिक सफाई के लिए अच्छा रहता है | खून की कमी से जूझ रहे रोगियों को इस बर्तन में रखा पानी पीने से लाभ मिलता है | यह खाने से आयरन को आसानी से सोख लेता है जो एनीमिया से निपटने के लिए बेहद जरूरी है |
  • कांसे के बर्तन – इनमें सेवन किया गया आहार स्वास्थ्यप्रद होता है, बुद्धि बढ़ाता है। पर घी, तेल, दही और खट्टी चीजें इनमें रखने से स्वास्थ्य को नुकसान होता है।
  • लोहे के बर्तन – इनमें भोजन करने से बल बढ़ता है और खून साफ होता है। इसमें पालक जैसी हरी सब्जी पकाने से लोहे के अंश शरीर में पहुंचते हैं और खून की कमी दूर होती है। खट्टी चीजें, दही आदि को इन बर्तनों में रखना ठीक नहीं होता।
  • स्टील के बर्तन – इनमें हर प्रकार के व्यंजन बनाए और रखे जा सकते हैं। वे खराब नहीं होते। इसलिए ये सबसे ज्यादा इस्तमाल किये जाते हैं। हालाँकि स्टील के बर्तनों में खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता है पर नुकसान भी नहीं होता है |
  • एल्युमीनियम के बर्तन – इन बर्तनों से लाभ कम हानियां अधिक हैं। इनमें खटाई युक्त पदार्थ या नमक रखने से उनके गुण नष्ट हो जाते हैं और अम्लीय पदार्थ गर्म करने पर उनमें एल्युमीनियम के अंश आ जाते हैं। जिनसे भोजन विषैला हो जाता है।
  • शीशे के बर्तन – गर्म खाना शीशे से रिएक्ट करता है और शीशे का कुछ भाग खाने में शामिल हो जाता है। यह सेहत के लिए सही नहीं।

बर्तन खरीदते समय याद रखे ये बातें :

  • दरअसल सेहत के लिहाज से कौन सा मेटल या धातु सही होती है इसके लिए यह देखा जाता है की गर्म होने पर उसके गुणों में क्या परिवर्तन होता है तथा वह कौन से रसायन छोड़ते है | खाने पीने की गर्म चीजो को स्टोर करने या ऊँचे तापमान पर खाना पकाने के बर्तनों का विशेष तौर ख्याल रखना चाहिए |
  • बर्तनों की शेप, टिकाऊपन, ठोसपन, ऐसी हो, जिससे वे आसानी से साफ किए जा सकें, नमी और एसिड के अवरोधक हों तथा गर्मी के अच्छे सुचालक हों।
  • वे भोजन के पोषक तत्व नष्ट न करें और खाद्य सामग्री से कोई रासायनिक प्रतिक्रिया कर उसे विषैला न बनाएं।
  • प्लास्टिक के बर्तन खरीदते समय ISI और RIC मार्क तो हो ही, साथ ही BFA फ्री या BFR फ्री या लेड फ्री भी लिखा हो ऐसे बर्तन ही खरीदे |

घटिया स्टील से बने सस्ते बर्तन का प्रयोग कभी ना करें :

  • वैसे तो स्टेनलेस स्टील लोहे, निकिल, मैंगनीज, गंधक, फास्फोरस तथा दूसरे सूक्ष्म तत्वों से बनी मिश्र धातु है। स्टील में क्रोमियम भी मिलाया जाता है और यदि इसकी मात्रा 12 प्रतिशत से कम होती है, तो इनमें पानी लगने पर या वातावरण की नमी के असर से जंग लगी जाती है। क्योंकि ऐसे बर्तनों के ऊपर निकल धातू बहुत कम मात्रा में होता है इसलिए नमक, एसिड तत्वों और गर्मी के संपर्क में आने पर वह उतर जाता है इसलिए ये बर्तन खाद्य पदार्थों को विषैला बना देते हैं। अच्छी क्वालिटी के स्टील में क्रोमियम और निकिल अधिक मात्रा में होता है। यह भी जरुर पढ़ें – पुराने, गंदे, जले बर्तनों को चमकदार बनाने के टिप्स 

एल्युमीनियम के बर्तनों के दोष :

  • एल्युमीनियम के बर्तनों में भोजन, चाय बनाने से उसमें इस धातु के अंश घुल जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं। एल्युमीनियम के अंश शरीर में पहुंच कर खून की कमी, पेट की तकलीफें, खुजली, त्वचा के रोग, अल्सर, सेनाइल डिमोशिया (स्मरण शक्ति, सोचने, समझने व निर्णय लेने की शक्ति कम होने की बीमारी), डायरिया, दिल की बीमारियां, बवासीर जैसी तकलीफें पैदा कर सकते हैं। इसलिए एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने और रखने से बचे।

सेहत के लिए सबसे खराब होते हैं प्लास्टिक के बर्तन :

प्लास्टिक ने अपने अलग-अलग उपयोगों और रंगों की सुंदरता के कारण महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। अब इसे यदि छोड़ना भी चाहें, तो छोड़ नहीं सकते हैं। प्लास्टिक के बने उत्पादों में खिलौने, बटन, बर्तन , डिब्बे शीशियां, जूतेचप्पल, दरवाजे-खिड़की, फर्नीचर, पाइप, मशीनों के पुर्जे, केबिनेट्स, कूलर इत्यादि जरूरत की सभी तरह की चीजें बन रही हैं। अब तो इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल लगता है।

प्लास्टिक के बर्तन के विषैले प्रभाव और बचाव के सुझाव :

  • प्लास्टिक के बर्तनों और डिब्बों में रखे खाद्य पदार्थ भले ही हमें आकर्षक लगें, लेकिन इनका प्रयोग हमारे स्वास्थ्य, के लिए हानिकारक है। जितने अधिक समय तक हम इनमें खाद्य सामग्रियों को रखे रहते हैं, जहरीले प्रभाव बढ़ते जाने की पूरी संभावनाएं होती हैं।
  • प्लास्टिक के डिब्बों में रखे खाद्य पदार्थों को खाने से व्यक्ति अनेक तरह की बीमारियों का शिकार हो सकता है।
  • प्लास्टिक के कप, पोलीथिन या बर्तन में गर्म चाय या दूध पीने से परहेज करें | यह भी पढ़ें – जानिए चाय पीने के फायदे और नुकसान
  • प्लास्टिक की बोतल को धूप और गर्मी से दूर रखें |
  • प्लास्टिक की बॉटल, लंच बॉक्स या फिर स्टोरेज कंटेनर के तौर पर प्लास्टिक का प्रयोग ना ही करे तो बेहतर होगा |
  • दो-तीन साल में प्लास्टिक कंटेनर और बोतल जरुर बदल दें |
  • तेल घी की बोतल या कंटेनर को गैस के आस पास न रखें गर्म होकर यह इनमे मिल सकता है |
  • अमेरिका की खाद्य तथा औषधि प्रशासन संस्था ने एक्रीलोनाइट्राइस से बनी प्लास्टिक की बोतलों और डिब्बों में कोल्ड ड्रिंक्स, फलों का रस और शराब की बिक्री व उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इधर भारत में भी कुछ शहरों में प्लास्टिक की थेलियों व पाउचों पर प्रतिबंध लगाया गया है। फ्रांस में भी प्लास्टिक के डिस्पोजेबल कप-प्लेट के इस्तमाल पर बैन लगा दिया गया है। पढ़ें यह भी – याददाश्त बढ़ाने और दिमाग तेज करने वाले 12 फ़ूड |

जानते है प्लास्टिक क्या है? :

  • प्लास्टिक एक पालीमर है मतलब कई पदार्थों का मिश्रण है। इसमें नायलॉन, फीनोलिक, पौलीस्टाइरीन, पौलीथाईलीन, पौलीविनायल क्लोराइड, यूरिया फार्मेल्डिहाईड व अन्य पदार्थ मिश्रित होते हैं। इतने ज्यादा रासायनिक पदार्थों से बने प्लास्टिक के डिब्बों में जब खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं, तो इसके कई घुल जाने वाले रासायनिक पदार्थ रिस-रिस कर खाद्य पदार्थ को विषैला बना सकते हैं। और अगर किसी गर्म चीज को प्लास्टिक के बर्तन में पिया जाये तो ये दोगुना खतरनाक होता है |
  • अन्य प्लास्टिकों के दुष्परिणाम स्वरूप कैंसर रोग भी हो जाता है। बरसात में पहने जाने वाले प्लास्टिक के जूते, चप्पलों का प्रयोग कई लोग गर्मियों के दिनों में भी करते रहते हैं। इससे तलों की त्वचा में खुजली और जलन की तकलीफ हो जाती है। लंबे समय तक इनका किया गया उपयोग तलों में सफेद दाग भी पैदा कर सकता है। देखें यह पोस्ट – सफेद दाग होने के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
  • प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से बचने के लिए इनके स्थान पर कांच, स्टील आदि के निर्मित डिब्बे, बर्तन व बोतलों का अधिक प्रयोग करें।
  • रिसर्चर्स का कहना है कि प्लस्टिक के बर्तनों के खतरनाक होने की सबसे बडी वजह यह है इन रेडीमेड बर्तनों को बनाने में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक ज्यादातर गिलास फूडग्रेज प्लास्टिक की बजाय खराब और रिसाइकल की गयी प्लास्टिक से बनाये जाते हैं। इससे हमारे स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच सकता है। गरीब और विकास शील देशो में जहां मिलावटी सामान बहुत बिकता है वहां सेहत से ज्यादा दूकानदार और खरीदार दोनों ही रेट को महत्त्व ज्यादा देते है इसलिए रिसाइकल की गयी सस्ती घटिया प्लास्टिक से ही ज्यादातर बर्तनों का निर्माण होता है |
  • वैसे पॉलिथिलीन-टेरेफथालेट (PET) से बने प्लास्टिक के बर्तनों को सेहत के लिए नुकसान दायक ना होने का दावा किया जाता है |
  • गर्भवती महिला को प्लास्टिक से बने  बर्तनों में बिलकुल नहीं खाना-पीना चाहिए ये बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।

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