गैस अफारा और पेट फूलने के लिए होम्योपैथिक मेडिसिन

पेट में बनने वाली विभिन्न गैसों के मिश्रण जो वायु रूप में गुदा मार्ग से बाहर आता है उसे ही गैस, अफारा कहते हैं। ये तमाम गैसें स्तनपाइयों एवं दूसरे जानवरों में होने वाली पाचन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं। गैसों के मिश्रण के लिये मेडिकल शब्द फलैटस (Flatus) का प्रयोग होता है एवं अनौपचारिक रूप से इसे गैस या वायु कहते हैं। इन गैसों के गुदामार्ग से बाहर निकलने की प्रक्रिया को अनौपचारिक भाषा में ‘हवा निकलना’, ‘ध्वनि वायु’ (Breaking wind) या ‘फार्टिंग’ कहा जाता है। गुदा तक गैस को उसी पेरीस्टैलटिक प्रक्रिया द्वारा लाया जाता है जिससे मल को बड़ी आंत से नीचे सरकाया जाता है। इन गैसों के गुदा मार्ग से बाहर निकलने पर जो तेज़ ध्वनि होती है, उसका कारण गुदा अवरोधनी में कम्पन पैदा होना है एवं कभी-कभी कूल्हे के उभारों के दबाव के कारण भी ऐसा होता है। कई बार इसे ‘हवा का बनना’ भी कहा जाता है।

बड़ी आंत में पाई जाने वाली गैसों की एक बड़ी मात्रा-मुख्यतः, कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन एवं हाइड्रोजन, बैक्टीरियल क्रिया द्वारा उत्पन्न होती है। ये गैसें ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन की भिन्न-भिन्न मात्रा के साथ निगली हुई वायु से उत्पन्न होती हैं।

यद्यपि, गैस, अफारा का बनना बहुत ही सामान्य बात है, किन्तु यह बहुत बेचैन एवं लज्जित कर देने वाली घटना भी हो जाती है। इसके बनने के सही कारणों की जानकारी होने पर इसके लक्षणों को कम करके अधिकतर लोगों को राहत पहुंचायी जा सकती है।

क्या गैस का निकलना रोग होता है?

जब बड़ी आंत के बैक्टीरिया अनपचे कार्बोहाइड्रेट या रेशे पर खमीरीकरण क्रिया करते हैं; ऐसी अवस्था में गैस का निकास 2-3 लीटर भी हो सकता है। गैस का बनना या निकलना किसी प्रकार का रोग नहीं है, इसे भोजन का इंटॉलरेन्स कहा जा सकता है। एक सामान्य व्यक्ति औसतन 10 से 14 बार प्रतिदिन की दर से गैस निकाल सकता है।

गैस, अफारा होने का क्या कारण है?

  • पाचन तन्त्र (ग्रासनली, पेट, छोटी आंत एवं बड़ी आंत) में गैस दो स्रोतों से आती है1) निगली गयी हवा से।
  • बड़ी आंत में पाये जाने वाले हानिरहित प्राकृतिक बैक्टीरिया द्वारा अनपचे खाद्य पदार्थों को खंडित किये जाने से

क्या डकार वही गैस, अफारा होती है जो हम निगलते हैं?

पेट में पायी जाने वाली गैस का एक बहुत ही सामान्य कारण है हमारे द्वारा निगली गयी हवा, खाते और पीते समय हर मनुष्य वायु की थोड़ी-बहुत मात्रा निगल जाता है। कुछ व्यक्ति जल्दी-जल्दी में खानेपीने, च्युइंगम या कठोर कैन्डी लेने से, बीड़ी-सिगरेट पीने से, स्ट्रा का प्रयोग करने से, कोक-पेप्सी या कोई भी अन्य पेय लेने से, सूखे मुंह या ढीले (denetures) लगाने के कारण कुछ अधिक वायु अन्दर ले लेते हैं। व्यग्रता एवं जल्दी-जल्दी सांस लेने से भी हवा पेट में चली जाती है।

हमारे द्वारा निगली गयी हवा जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन एवं कार्बन डाई ऑक्साइड का मिश्रण होती है. डकार के साथ हमारे मुंह से बाहर निकलती है। शेष बची हुई गैस छोटी आंत में चली जाती है जहां पर यह थोड़ी बहुत गैस अवशोषित हो जाती है। इसकी थोड़ी मात्रा बड़ी आंत में चली जाती है जहां से यह गुदा मार्ग द्वारा बाहर निकल जाती है। होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली में पेट की इन बिमारियों बहुत ही कामयाब दवाएं उपलब्ध है जिनको कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते है, तो आइये जानते है इनका होम्योपैथिक इलाज |

गैस, अफारा बीमारी का होम्योपैथिक इलाज

गैस, अफारा और पेट फूलने के लिए होम्योपैथिक मेडिसिन pet me gas gastritis ki homeopathic medicine

  • गरिष्ठ भोजन के बाद पेट फूलना, गैस, अफारा —नक्स वोमिका-30 तीन दिनों तक दिन में तीन बार और चौथे दिन पल्सेटिला-200 एक खुराक प्रतिदिन लें।
  • पेटदर्द, पेट से गैस निकालने की बीमारी में—कैल्केरिया फॉस्फोरिका-6 दिन में तीन बार।
  • हैजा के बाद अत्यधिक कमजोरी, पेट में गैस बनना तथा पेट का फूलना—कार्बो वेजीटेबिलिस-30 दिन में दो बार लें।
  • कब्ज, तेज गैस तथा डकार भी—कार्बोनियम सल्फ-30 हर छह घंटे पर।
  • शरीर कमजोर हो जाना, एनीमिया का शिकार, खराब पाचन-शक्ति, अम्लता, बदहज्मी, तंत्रिका दर्द, गैस तथा लीवर की समस्या—काली कार्बोनेट-30 केवल एक खुराक, यदि लक्षण बरकरार रहें तो दुहराया जा सकता है।
  • कमजोर पाचन-शक्ति, साधारण भोजन भी नहीं पचता, पेट में अत्यधिक गैस बनना, लेटने पर हालत अधिक खराब, खाने या पीने के बाद ऐसा लगना कि पेट फट जाएगा—कार्बो वेजीटेबिलिस-6 दिन में तीन बार लें |
  • बदहज्मी, खाने के बाद पेट फूल जाता है; छूने पर दर्द, ऐसा भरा हुआ लगता है मानो फट जाएगा, गैस अधिक बन जाती है—काली कार्बोनेट-200 एक खुराक।
  • बदहज्मी, पेट में जलन या ठंड का एहसास, पेट में गैस, अफारा —कोलचीकम-200, तब तक लें जब तक ठीक न हो जाएँ।
  • वात, जो हृदय पर दबाव का कारण बनती है, हमेशा पेट में गैस बने रहना—एबीज केनाडेंसिस-30 दिन में दो बार।
  • वात, गैस के कारण पेट अत्यधिक फूला हुआ, ऐसा लगना कि पेट फट जाएगा—कोलचिकम आटमनेल-12 हर छह घंटे पर।
  • वात, गैस का अत्यधिक जमा हो जाना, सभी का दबाव ऊपर की ओर, ऐसा लगना कि ऊपर की ओर दबाव के कारण पेट फट जाएगा—एसफोटिडा-6 दिन में चार बार।
  • वात, यदि पेट का ऊपरी भाग गैस से भरा हो तो लाइकोपोडियम-200 की एक खुराक प्रतिमाह और यदि पूरा पेट गैस से भरा हो तो कार्बो वेजीटेबिलिस-30 दिन में दो बार। यदि वात पेट के मध्य में स्थित हो तो सीना-30 दिन में दो बार लें।
  • गैस, अफारा का बनना—सीना-30 दिन में तीन बार।
  • गैस्ट्रिक रोग, हर बार भोजन करने के बाद तेज डकार, पेट में अधिक गैस, तेज आवाज के साथ गैस निकलना—आर्जेंटम नाइट्रिकम-30 दिन में दो बार।
  • गैस्ट्रिक तथा आँतों का रोग, जीभ पर दूधिया सफेद परत—एंटीमोनियम क्रूडम-30 दिन में दो बार।
  • गैस्ट्रिक की परेशानी, भोजन पचने में परेशानी, प्यास न लगना और खट्टे फल खाने की इच्छा, दूध से अरुचि—एंटीमोनियम टार्ट-30 दिन में दो बार।
  • गैस्ट्रिक समस्याएँ, पुराने शराबियों में अधिक, पेट में जलन तथा उलटी—कैडमियम सल्फ-200 एक खुराक रोजाना लें।
  • गैस्ट्रो-इंटेराइटिस, वसंत के मौसम में—वेरियोलिनम-200 साप्ताहिक खुराक।
  • पेट में आवाज, ऐसा लगना मानो अंदर कुछ चल रहा है, मल की बजाय काफी गैस निकलती है-लैकनेंथस-30 दिन में तीन बार।
  • मिचली, उलटी से राहत नहीं, अकसर गैस्ट्रिक समस्या के साथ— इपेकाकुआन्हा-30 दिन में तीन बार।
  • पेट की गैस, अफारा तथा यकृत (लीवर) में हुए संक्रमण के कारण उत्पन्न पेट के रोग—मल-त्याग तथा पेट से गैस निकलने पर आराम मिलता है—नेट्रम आर्सेनिकम-30 दिन में तीन बार।
  • पेट दर्द गैस से, दर्द नाभि-क्षेत्र से आरंभ होता है और फिर पूरे पेट तथा हाथ-पैरों में भी फैल जाता है, आगे की ओर झुकने पर अधिक बढ़ता है, शरीर को सीधा करने पर राहत मिलती है—डायोस्कोरिया-30 दिन में दो बार।
  • दस्त, सुबह-सुबह, जोर लगाकर काफी गैस तथा आवाज के साथ निकलता है—थुजा ओसी-30 दिन में तीन बार।
  • वात, पेट का सख्त महसूस होना, डकार नहीं, गैस निकलना—रेफेनस एस-क्यू दो-तीन बूँदें, दिन में दो बार।
  • अपच, डकार, पेट की गैस और अम्लता। नियमित दिनचर्या में परिवर्तन के कारण, खाने में अविवेकी—नक्स वोमिका-200 सुबह-शाम कुछ दिनों तक।
  • खट्टी डकार, चीनी खाने से पेटदर्द बढ़ता है, रात में पेट में दर्द, अपान गैस निकलने से राहत, पेट और गले में जलन – ऑक्सेलिक एसिड-6 दिन में तीन बार।
  • गैस, अफारा, साँस लेने में कठिनाई, ऐसा लगना मानो कोई गोला पेट से गले की ओर बढ़ रहा है-एसफोटिडा-6 दिन में तीन बार।
  • पेट में आवाज के साथ गैस घूमना-थुजा-30 दिन में तीन बार लें।

ये भी पढ़ें

New-Feed

Leave a Comment