अधिकतर बीमारियाँ हमारे पेट से ही शुरू होती है। पेट की आँतों में से कई प्रकार के एसिड और द्रव्य निकलते हैं, जो हमारे भोजन को पचाने में मदद करते हैं। पेप्टिक अल्सर परिभाषा :- जब हम मानसिक तनाव में या चिंताग्रस्त होते हैं तो एसिड ज्यादा मात्रा में निकलता है, जो हमारे पेट और आँतों के बीच वाली कोमल झिल्ली को जला देता है। धीरे-धीरे अंदर वाली झिल्ली में घाव हो जाते हैं, पेप्टिक अल्सर पाचन तंत्र की आतों पर मौजूद इन घावों को ही कहा जाता है । जब घाव पेट में हों तो उसे ‘गैस्ट्रिक अल्सर’ कहा जाता है। ये घाव आमतौर पर भोजन नली के हिस्से, पेट की शुरुआत में होते हैं या पेट में मौजूद आँत में होते हैं, जिन्हें ‘गैस्ट्रिक अल्सर’ और ‘पेप्टिक अल्सर’ कहा जाता है। हालाँकि इस बीमारी के कई अन्य कारण भी होते हैं जिनको हम आगे समझेंगे।
इस बीमारी से युवा सबसे अधिक होते है प्रभावित
ख़राब लाइफ स्टाइल और खान-पान में लापरवाही की वजह से टीन ऐज और युवा भी बड़ी संख्या में पेप्टिक अल्सर के शिकार हो रहे हैं। इसका प्रमुख कारण सोने समय में कमी आना, व्यवसायिक जीवन में बेहतर प्रदर्शन का तनाव, जंक फूड का बढ़ता सेवन, गलत ढंग से डाइटिंग जिसके कारण शरीर में जरुरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसके अलावा युवाओं में धूम्रपान, शराब और अन्य कई तरह के नशे का सेवन भी बढ़ा है, जो पेट में कई प्रकार के अल्सर को बढ़ाता है। पेट में हानिकारक एसिड बनने के कई कारण होते है जो आगे बताये गए तो आइये जानते है |
पेप्टिक अल्सर के प्रकार : (Types of Peptic Ulcer)
- पेप्टिक अल्सर मुख्यतः दो प्रकार का होता है पहला आमाशयक पेप्टिक अल्सर (Gastric Ulcer) और दूसरा पक्वाशयिक पेप्टिक अल्सर (Duodenal Ulcer)
आमाशयक पेप्टिक अल्सर (Gastric Ulcer)
- गेस्ट्रिक पेप्टिक अल्सर आमाशय की ऊपरी दीवारों पर पाइलोरिक भाग के आस-पास होता है। इसमें से HCL का निकलना एक निश्चित सीमा के भीतर ही होता है।
- पक्वाशयिक पेप्टिक अल्सर (Duodenal Ulcer) यह अल्सर मुख्यतः गर्मी के दिनों में जो लोग अधिक तापमान पर शारीरिक मेहनत वाला काम करते है जैसे मजदूर वर्ग के लोगों को अधिक होता है। क्योंकि ऐसे लोग समय पर भोजन तथा पानी ना ले पाने की दशा में यह रोग विकसित हो जाता है |
पेप्टिक अल्सर के लक्षणः (Symptoms of Peptic Ulcer)

- आँत की सूजन में पेट फूला-फुला रहता है, हाथ से पेट दबाने से हलका दर्द होता है।
- मरीज की भूख कम हो जाती है। शौच बार-बार आता है पर पेट साफ नहीं होता।
- मरीज जब भी कुछ खा ले तो एकदम पेट भारी हो जाता है। जुबान हर वक्त खराब रहती है। जीभ पर हर वक्त कुछ जमा रहता है।
- कई बार दर्द अल्सर के स्थान से शुरू होकर पीछे गरदन की तरफ जाता है।
- खाली पेट होने पर अधिक दर्द होना |
- भूख में कमी, बदहजमी, दिल मिचलाना आदि ये सब आमाशय का अल्सर के लक्षण है |
- मल (स्टूल ) का रंग गहरा हो जाना।
- तेज दर्द से मरीज का दिल घबराता है और उबकाई भी आ जाती है।
- पेट में दर्द खाना खाने के दो घंटे बाद शुरू होता है। धीरे-धीरे यह दर्द एक दो घंटे बाद कम हो जाता है।
- दर्द नाभि के पास होता है और सीधे पीछे पीठ की तरफ जाता है।
- पेट में असहनीय दर्द एवं पीड़ा होती है यह पीडा भोजन करने के दो तीन घण्टे बाद शुरू होती है। रोगी की हालत दर्द के कारण बेचैन हो जाती है। शुरू में दर्द धीरे-धीरे होता है। बाद में दर्द काफी अधिक बढ़ जाता है।
- दर्द प्रारम्भ होते ही क्षारीय पदार्थ (खाने वाला सोडा) के सेवन करने से दर्द शांत हो जाता है। अतः रोगी राहत महसूस करता है।
- आँतों में आयरन का अवशोषण ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। इसलिए खून की कमी यानि एनीमिया रोग हो जाता है। और वजन भी घटने लगता है।
- विटामिन ‘बी’ समूह एव सी का अवशोषण सही प्रकार से नहीं हो पाता है। अतः इसकी कमी के लक्षण भी दिखने लगते है।
- रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी हो जाती है। इसलिए मरीज अनेक रोगों का शिकार हो जाता है।
- पेप्टिक अल्सर की तेजी की स्थिति में उल्टी होने लगती है। जी मिचलाना, चक्कर आना, सिर दर्द आदि लक्षण भी पाये जाते है।
- मानसिक चिन्ता एवं तनाव के कारण रोग बढ़ जाता है।
- खाना खाने के बाद पेट फूलने जैसा अनुभव होता है।
पेप्टिक अल्सर के कारण : (Causes of Peptic Ulcer)
- इसके एक नहीं कई कारण हैं जैसे – जो लोग किसी कारणवश खून की कमी का शिकार हो जाते हैं, उन्हें एसिड ज्यादा हो जाता है। यही तत्त्व अल्सर पैदा करते हैं।
- कुछ खास तरह की अंग्रेजी दवाइयाँ एस्प्रिन या तेज पेन किलर दवाई खाने से आंतो की अंदर वाली झिल्ली की सहनशक्ति खत्म हो जाती है। जिससे आँत में पेट की सूजन से अंदर की झिल्ली नष्ट हो जाती है।
- हमारे देश में लगभग 60 फीसद लोग डॉक्टर के पास न जाकर सीधे दवा दुकान से खरीदकर खुद ही खा लेते हैं खासकर दर्द निवारक दवाइयां ऐसा करना पेप्टिक अल्सर के अतिरिक्त और भी कई बीमारियाँ होने का कारण है |
- ठीक इसी प्रकार पेट की गैस या एसिडिटी की दवा का ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। इन दवाओं को लंबे समय तक खाने से किडनी खराब हो सकती है। यदि आपको ऐसी कोई बीमारी बार-बार होती है तो घरेलू या आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाएं और अपने खानपान में सुधार करें अपनी मर्जी से लंबे समय तक अंग्रेजी दवाई खाना कोई समाधान नहीं है |
- जीवाणु का एक प्रकार हेलिकोबैक्टर भी पेट में अल्सर का कारण बन सकता है।
- मानसिक चिंता और मानसिक तनाव डिप्रेशन से शरीर में एसिड ज्यादा बनता है।
- ज्यादा शराब, सिगरेट पीने, जंक फ़ूड, तला मसालेदार भोजन एवं असमय खाना खाने से यह बीमारी ज्यादा बढ़ती है, पेट में जल्दी घाव बढ़ते हैं।
- लम्बे समय तक एसिडिटी का बने रहना भी पेप्टिक अल्सर का कारण बन जाता है |
- “ओ” रक्त समूह – वैज्ञानिक शोधों एवं अनुसन्धानों से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि पेप्टिक अल्सर अधिकांशतः ‘O’ समूह के लोगों को अधिक होता है |
- इस बीमारी के अनुवांशिक कारण भी हो सकते है यदि आपके माता पिता को यह बीमारी है तो आपको भी इससे सचेत रहने की आवश्यकता है |
- जब व्यक्ति अधिक व्रत या उपवास करने लगता है तथा काफी तो इस स्थिति से भोजन के बीच लम्बा अन्तराल हो जाता है। इस बीच अमाशय से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल निकलता रहता है। तथा इसकी मात्रा में बढ़ोतरी होती रहती है। यह हाइड्रोक्लोरिक अम्ल आमाशय तथा पक्वाशय के श्लेष्णिक झिल्लिया पर ही क्रिया करने लगता है। जिसके कारण वे नष्ट होने लगते है। तथा उसमें घाव हो जाता है, जो पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है |
- गर्मियों में व्रत उपवास कम करें और उपवास के दौरान चाय कॉफ़ी का सेवन ना करें जूस फल आदि का सेवन करें |
- भोजन अत्याधिक मिर्च-मसालेदार तथा अधिक सुगंधित भोजन के सेवन से भोजन पचाने वाले एसिड का स्त्राव बढ़ जाता है यदि लम्बे समय तक इसी प्रकार के भोजन ग्रहण किये जाए तो कुछ समय बाद यह पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है ।
- पेय पदार्थ – खाली पेट अधिक चाय, काफी, शराब, कोको आदि के सेवन से पेप्टिक अल्सर हो सकता है। क्योंकि ये पदार्थ एसिड को बढाते है जिससे पेट की अंदरूनी दीवारों पर छाले पड़ जाते है ।
- धुम्रपान – बीडी, तम्बाकू, आदि से भी पेप्टिक अल्सर होने की संभावना होती है।
- माँस, मछली, अण्डा – आहार में माँस, मछली, अण्डा आदि के अत्याधिक सेवन रोजाना किया जाए तो भी पेप्टिक अल्सर हो जाता है।
- केमिकल युक्त फलों व सब्जियों की वजह से भी पेप्टिक अल्सर के केस बढ़ रहे है हालाँकि इस कारण से बचाव करना आपके लिए थोडा कठिन कार्य है |
पेप्टिक अल्सर और गर्भावस्था
- गर्भवती स्त्रियों में यह समस्या कई बार दिखती है। यदि पहले से पेप्टिक अल्सर हो तो गर्भावस्था में अकसर वह शांत रहता है; पर प्रसव के तीन महीनों बाद यह फिर से हो सकता है। यदि गर्भावस्था में पेप्टिक अल्सर के कारण परेशानी हो तो उसकी चिकित्सा एंटासीड या पेप्टिक अल्सर की अन्य दवाओं द्वारा की जाती है।
पेप्टिक अल्सर से बचाव एवं सावधानी :
- सबसे पहली बात तो यह कि अल्सर रोग लाइलाज नहीं है, इसे सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है।
- अपनी दिनचर्या तथा खान-पान में बदलाव करना जरूरी है। समय पर सोयें तथा समय पर उठें |
- पिज़्जा, बर्गर छोड़कर रोटी-सब्ज़ी चावल, खिचड़ी, दलिया जैसे सादे आहार खाएं आप पेट की हजारो बिमारियों से बचे रहेंगे |
- दही में गुड बैक्टीरिया होते हैं, जो एच.पायलोरी के विकास को रोकते हैं और अल्सर के घावों को भरने में सहायता करते है |
- लाल मांस, मैदे से बनी चीजों, व्हाइट ब्रेड, चीनी, पास्ता और प्रोसेस्ड भोजन का सेवन कम करना चाहिए।
- प्रातः व्यायाम करें या घूमने के लिए अवश्य जाएँ, इससे फेफड़ों को अधिकाधिक ऑक्सीजन मिलती है।
- पेट में कब्ज न बनने दें, अपच या अफारा होने पर सही तरीके से व्रत-उपवास से शुद्ध करें।
- यदि आपको पेप्टिक अल्सर से संबंधित कोई लक्षण है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। अल्सर के उपचार में लापरवाही न करें यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
- अगले आर्टिकल में हम पेप्टिक अल्सर के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार के नुस्खे बतायेंगे जिससे आपको इस बीमारी से छुटकारा मिल सके |
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