अगर आप पानी कम पीते हैं, अपनी व्यस्तता के कारण पानी पीना भूल जाते हैं, उलटी-दस्त, डायरिया या किसी अन्य बीमारी से जूझ रहे हैं तो समझिए कि आप डिहाइड्रेशन के आसान शिकार हैं। हमारे देश में शरीर में पानी की कमी (निर्जलीकरण ) यानि डिहाइड्रेशन एक आम समस्या है। यदि शरीर में पानी की कमी को जल्दी ही दूर न किया जाए तो यह जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है। विशेषकर बच्चों में पानी की कमी बहुत खतरनाक होती है। विकासशील देशों में यह छोटे बच्चों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। हमारे देश में पंद्रह लाख बच्चे हर साल दस्त की बीमारी एवं अन्य संक्रमणों के कारण डिहाइड्रेशन के कारण मौत के शिकार बन जाते हैं। लेकिन गर्मियों के मौसम में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और बिना किसी स्वास्थ्य समस्याओं के भी डिहाइड्रेशन कि समस्या हो जाती है खासकर उत्तरी भारत में जहाँ गर्मियों में तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। गर्मी और उमस भरे मौसम में शरीर से अधिक मात्रा में पसीना निकलता है, इससे भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने से लेकर आपके पाचन तंत्र को फिट रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गंभीर डिहाइड्रेशन के कारण पूरे शरीर की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है।
क्यों जरूरी है हमारे लिए पानी – पानी जीवन के लिए सबसे आवश्यक तरल पदार्थ है। हमारे शरीर को ठीक से चलने के लिए शरीर में जल का सामान्य स्तर होना बहुत जरूरी है। पानी हमारे शरीर का प्रमुख रासायनिक तत्व है और यह हमारे शरीर के भार का 60 प्रतिशत बनाता है। हमारे शरीर का प्रत्येक सिस्टम पानी पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, पानी हमारे शरीर से विषैले तत्त्वों को बाहर निकालता है, कोशिकाओं तक पोषक तत्त्वों को पहुँचाता है। कान, नाक और गले के ऊतकों को नमी वाला वातावरण उपलब्ध कराता हैं। शारीरिक तापमान और क्रियाओं को संतुलित रखने के साथ-साथ शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालकर शरीर को पोषक तत्त्व और ऑक्सीजन प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं को प्रतिदिन करीब 2.5 लीटर और पुरुषों को 3 लीटर पानी पीना चाहिए। वैसे उम्र, सेहत और वजन के अनुसार व्यक्ति विशेष के लिए पानी की आवश्यकता अलग-अलग हो सकती है।
शरीर में पानी की कमी के प्रमुख कारण

- डिहाइड्रेशन (पानी की कमी ) तब होती है, जब शरीर में इतना पानी नहीं होता कि वह शरीर से बाहर निकले पानी की कमी की पूर्ति कर दे।
- दस्त और उलटी, आंत्रशोथ, फ़ूड पोइजनिंग और हैजा जैसे रोग शरीर में पानी की कमी होने के प्रमुख कारण होते है विशेष तौर पर छोटे बच्चो में निर्जलीकरण का कारण बनता है |
- कुछ अन्य बीमारियों, जैसे-तेज बुखार, लू तथा थायरायड ग्रंथि के रोगों से भी शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
- डायरिया – गंभीर डायरिया के कारण शरीर में तेजी से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती हैं। अगर डायरिया के साथ आपको उलटी भी हो रही है तो आपके शरीर से फ्ल्यूड और मिनरल्स तेजी से कम होने लगेंगे। बच्चों और नवजात शिशुओं को इसका खतरा अधिक होता है। डायरिया बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण, भोजन के प्रति संवेदनशीलता, दवाइयों के प्रति प्रतिक्रिया या पाचन तंत्र की गड़बड़ियों के कारण हो सकता है।
- बुखार – सामान्य तौर पर जब आपको बुखार अधिक होता है, आपके शरीर में पानी की मात्रा काफी कम हो जाती है। अगर आपको बुखार के साथ डायरिया और उलटियाँ भी हो रही हों तो आपके शरीर से फ्लूइड और अधिक मात्रा में निकल जाते हैं।
- अत्यधिक पसीना आना– अत्यधिक पसीना आने से भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है। अगर आप बहुत अधिक शारीरिक श्रम करें और पानी व तरल पदार्थों का सेवन कम मात्रा में करें तो आपके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी।
शरीर में पानी की कमी के लक्षण
- शरीर में जब पानी की कमी होती है तो ये लक्षण नजर आने लगते है – मुँह सूखना, आँखों का धंस जाना, कमजोरी एवं आलस्य, सिरदर्द, दिल की धड़कन एवं सांस में तेजी, चक्कर आना, सोचने समझने की शक्ति में कमी भ्रम, शरीर की मांस पेशियों में दर्द ऐंठन, साँस में दुर्गन्ध, पेशाब कम और पीले रंग का होना, त्वचा ठंडी और ढीली या झुरियों वाली हो जाना, शरीर का तापमान कम हो जाना, ब्लड प्रेशर कम हो जाना जैसे लक्षण मिलें तो इन्हें शरीर में पानी की कमी की अवस्था समझना चाहिए। इस हालत में छोटे बच्चों में सिर का कोमल भाग अंदर की ओर धंस जाता है। निर्जलीकरण से पीड़ित बच्चे या जवान रोगी की पेट की त्वचा को चुटकी में दबाकर छोड़ें तो चमड़ी बहुत धीरे-धीरे पूर्वावस्था में वापस आती है। जबकि स्वस्थ व्यक्ति में त्वचा खींचने के बाद रबड़ की तरह एकदम से वापिस आती है |
- रोगी को पानी की कमी है या नहीं, यह देखने के लिए आप माथे की चमड़ी को चिकुटी में लेकर खींचकर छोड़ दें। सामान्य व्यक्ति में चमड़ी तुरंत अपनी पूर्व अवस्था में आ जाती है, लेकिन अगर तो यह निर्जलीकरण की निशानी है।
- बच्चों को निर्जलीकरण होने पर इन लक्षणों के अलावा अधिक बुखार, पेट दर्द, आँख और गाल के धँसे होने, सुई चुभोने पर त्वचा में कोई संवेदना नहीं होने, बेचैनी, रोने पर आँसू नहीं निकलने, तीन से अधिक घंटे तक पेशाब नहीं होने, मुँह एवं जीभ सूखने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
- शूगर खाने की इच्छा होना- शरीर में पानी का स्तर कम होने पर हम भूखा अनुभव करने लगते हैं। इससे हमारा कुछ खाने का मन करता है, विशेष रूप से मीठा या कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन
- त्वचा का रूखा और बेजान हो जाना– शरीर में पानी की कमी होने से त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा, स्वस्थ और चमकीली रहे तो आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
शरीर में पानी की कमी कैसे पूरी करें ?
- शरीर में पानी की कमी दूर करने को रीहाइड्रेशन कहा जाता है। इस तरह के उपचार में रोगी को मुँह द्वारा या खून की नसों द्वारा अधिक मात्रा में जीवनरक्षक घोल या सेलाइन देते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रचारित ओ.आर.एस. या जीवनरक्षक घोल से दुनिया में हर साल लगभग 20 लाख बच्चों की जानें बचाई जा रही हैं। शरीर में पानी की कमी को दूर करने के उपाय के रूप में यह सबसे बेहतरीन ऑप्शन है |
- ओ.आर.एस. के एक पैकेट में 20 ग्राम ग्लूकोज, साढ़े तीन ग्राम नमक, ढाई ग्राम खाने का सोडा और डेढ़ ग्राम पोटैशियम क्लोराइड होता है। इस पूरे मिश्रण को पाँच गिलास अथवा एक लीटर शुद्ध पानी में डालकर पूरे पाउडर के घुलने तक हिलाते हैं। यह तैयार घोल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तब तक रोगी को तब तक पिलाते रहते हैं जब तक की उसके शरीर में पानी की कमी दूर नहीं हो जाती है।
- वयस्क रोगी को जीवन रक्षक घोल 3-4 लीटर तक पिला सकते हैं, जबकि छह माह के शिशु को 1 से 2 पाव, एक वर्ष के शिशु को 2 से 3 पाव, तीन वर्ष के शिशु को 3 से 4 पाव तक एवं आठ वर्ष के शिशु को 4 से 5 पाव तक पिलाया जा सकता है। इसके बावजूद यदि बच्चा इसे और पीना चाहे तो उसे कुछ और घोल भी पिला सकते हैं। यदि बच्चे की आँखों की पलकें फूल जाएँ तो फिर घोल को पिलाना बंद कर देना चाहिए। एक पाव का अर्थ = 250 मिली लिटर
- ओ.आर.एस. के पैकेट उपलब्ध न हों तो फिर केमिस्ट के यहाँ उपलब्ध पाउडर के पैकेट जो Electrolyte, Speederal, Relight, Resoloite इत्यादि नामों से आते हैं, उपयोग किए जा सकते हैं और यदि ये भी उपलब्ध न हों तो घर में भी जीवनरक्षक घोल तैयार किया जा सकता है। इसके लिए एक लीटर शुद्ध साफ पानी में आठ चम्मच चीनी, एक छोटा चम्मच नमक, एक छोटा चम्मच मीठा सोडा व आधा नींबू मिलाना चाहिए। यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह मिश्रण अधिक नमकीन न हो जाए। यदि शक्कर न हो तो गुड़ से भी काम चल सकता है।
- पानी की शुद्धता पर आपको कोई संदेह हो तो उसे उबालकर प्रयोग करें। नींबू यदि उपलब्ध न हो तब भी काम चल सकता है।
- पानी की कमी दूर करने के लिए जीवनरक्षक घोल पिलाने के अलावा कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखें, जैसे – रोगी को फलों का रस, दाल का पानी या अन्य पेय पदार्थ, जैसे-लस्सी, मट्ठा इत्यादि पिलाना चाहिए।
- दूध पीने वाले बच्चे को दूध पिलाना बंद न करें बल्कि इसकी मात्रा बढ़ा दें।
- चावल का मांड भी लाभकारी होता है। दो वर्ष के छोटे बच्चे को प्रत्येक दस्त के बाद चौथाई या आधा कप माड़, दाल का पानी, फलों का रस या जीवनरक्षक घोल में से जो भी उपलब्ध हो दें। बड़े बच्चों के लिए यह मात्रा आधा से एक कप होनी चाहिए।
- रोगी को पके केले, नींबू भी दिए जा सकते हैं, क्योंकि इनमें पोटैशियम होता है, जो शरीर में पानी की कमी के वक्त बहुत जरूरी रहता है।
- यदि रोगी की हालत अत्यंत गंभीर है और उसके दस्त तथा उलटियाँ थम न रहे हों तथा निर्जलीकरण बहुत अधिक हो गया हो तो रोगी को जल्दी अस्पताल में भरती कर देना चाहिए।
- भले ही हम दस्तो को ईसबगोल, अदरक तथा सौंफ-जीरा आदि के नुस्खो से ठीक कर सकते है तथा डी-हाइड्रेशन होने की नौबत आने से बचाव कर सकते है, फिर भी कुछ और उपचार हैं जो घरेलू सामान से ही संभव हैं। आइए इनको भी जानें।
- पुदीना से उपचार : आप पुदीना की ताजा पत्तियों का रस निकालें । मात्रा एक छोटा चम्मच। इतना ही शहद लें। इसमें आधा नींबू निचोड़ें। इसे चाटें। ऐसी खुराक सुबह, दोपहर, शाम को लें। मात्र दो दिनों तक यह उपचार करें।
- हल्दी से : एक क़प छाछ लें। इसमें एक छोटा चम्मच पिसी हल्दी डालें। रोगी को प्रातः तथा सायं पिलाएँ। यह दस्तों को ठीक कर देगा। मान लें कि छाछ (मट्ठा) उपलब्ध नहीं है तो इस हल्दी के एक छोटे चम्मचभर चूर्ण को आप पानी के गिलास में घोलकर भी पी सकते हैं। आराम मिलेगा।
- मुलट्ठी से : पिसी मुलहठी के तीन छोटे चम्मच लें। इसे खाकर ऊपर से पानी पी लें। आराम मिलेगा। एक ही दिन में ऐसी तीन खुराक, हर तीन घंटे पर लेते रहें।
- यह भी पढ़ें – दस्त के घरेलू उपचार -Diarrhea Treatment 30 Tips
पानी की कमी ( डिहाइड्रेशन ) से बचाव के टिप्स
- शरीर में जल का स्तर बनाए रखना कोई इतना मुश्किल काम नहीं है। कैफीन डाइयूरेटिक होता है; इसलिए जो लोग चाय, कॉफी और दूसरे कैफीन युक्त ड्रिंक पीने के शौकीन हैं, उन्हें पानी का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए।
- घर या ऑफिस जहाँ भी आप काम कर रहे हों, अपनी पानी की बोतल पास रखें, ताकि आपकी पानी पीने की आदत बनी रहे। हरे रंग की बोतल में पानी रखेंगे तो यह पानी और अधिक गुणकारी बन जायेगा |
- अगर आपको सादा पानी पीना कम पसंद है तो नीबू पानी, नारियल पानी, छाछ या सूप को अधिक मात्रा में पिएँ।
- तेल में फ्राई और प्रोसेस्ड स्नेक्स में पानी की मात्रा बहुत कम होती है, इनके बजाय फलो का सलाद, दही, लस्सी या मिल्क शेक लें।
- गर्मी में अधिक पसीना बहने पर पानी पीने की मात्रा उसी हिसाब से बढ़ा दें |
- एक दिन में कम-से-कम तीन अलग-अलग रंगों के फल खाएँ।
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