पद्मासन का अर्थ :- “पद्म” अर्थात् कमल। जब यह आसन किया जाता है, उस समय वह कमल के समान दिखाई पड़ता है। इसलिए इसे ‘पद्मासन’ नाम दिया गया है। यह आसन “कमलासन’ के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान एवं जाप के लिए इस आसन का मुख्य स्थान होता है। यह आसन पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए अनुकूल है।
पद्मासन कैसे करें?पद्मासन करने की विधि/ Padmasana Yoga {Lotus Pose}-Steps by Step & Benefits

- भूमि पर दोनों पैर फैला कर सीधे बैठे।
- फिर दायाँ पैर बाएँ पैर की जाँघ पर और बायाँ पैर दाएँ पैर की जाँघ पर रखें।
- वैसे कुछ लोगों को पहले दाएँ जाँघ पर बायाँ पैर और फिर बाई जाँघ पर दायाँ पैर रखने में आसानी होती है।आप चाहे तो ऐसा भी कर सकते है।
- फिर इमेज (चित्र) में बताए अनुसार दोनों हाथों के अंगूठो को तर्जनियों के साथ मिला कर बायाँ हाथ बाएँ पैर के घुटने पर और दायाँ हाथ दाएँ पैर के घुटने पर रखें। याद रहे की हथेलियाँ ऊपर की ओर हों।
- मेरुदंड और मस्तक सीधी रेखा में रखें।
- आँखों को बंद या खुली रखें।
नोट – शुरूआत में यह आसन एक से दो मिनट तक करें। फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाये।
ध्यान रखें : कुछ लोग केवल एक ही पैर जाँघ पर रख सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को भी प्रतिदिन उत्साहपूर्वक अभ्यास करना चाहिए। कुछ ही समय में वे यह आसन आसानी से कर सकेंगे।
पद्मासन करने के लाभ :- The Health Benefits of Padmasana.
- जप, प्राणायाम, धारणा, ध्यान एवं समाधि के लिए इस आसन का उपयोग होता है।
- इस आसन से अंत: स्रावी ग्रंथियां (endocrine glands) की कार्यक्षमता बढती हैं।
- यह आसन दमा, अनिद्रा तथा हिस्टीरिया (उन्माद) जैसे रोग दूर करने में सहायक होता है।
- अनिद्रा के रोगियों के लिए तो यह आसन बहुत प्रभावकारी होता है।
- यह आसन शरीर की स्थूलता और मोटापा कम करने में भी सहायक होता है। इस आसन से जीवनशक्ति (vitality) की वृद्धि होती है।
- इस आसन के अभ्यास से जठराग्नि (पाचन तन्त्र) तीव्र बनती है और भूख भी बढ़ती है।
बद्ध पद्मासन / Baddha Padmasana
यह पद्मासन का ही एक प्रकार है। यह आसन ध्यान के लिए नहीं है बल्कि मुख्यत: स्वास्थ्य में सुधार लाने एवं शरीर को सशक्त और सुदृढ़ बनाने के लिए है। यह आसन श्रम साध्य है। इसलिए जिन लोगों से यह आसन प्रारंभ में न हो पाए, वे भी निराश न हों, धैर्य पूर्वक प्रयत्न करते रहें।
बद्ध पद्मासन कैसे करें ? बद्ध पद्मासन करने की विधि :

- एक पैर को दूसरे पैर पर चढ़ा कर पद्मासन करें। पेट के नीचे वाले हिस्से को एड़ियों का स्पर्श होना चाहिए।
- फिर दाएँ-बाएँ दोनों हाथ पीठ के पीछे ले जाएँ।
- दाएँ हाथ से दाएँ पैर का अँगूठा और बाएँ हाथ से बाएँ पैर का अँगूठा पकड़ें। पैरों के आँगूठे पकड़ते समय कठिनाई महसूस हो तो आगे की ओर झुक कर औगूठे पकड़ें और अँगूठे पकड़ने के बाद फिर पूर्ववत् सीधे हो जाएँ।
- श्वासोच्छवास धीरे-धीरे जारी रखें। यह भी पढ़ें – योगासन करते समय जरूरी हैं ये 25 सावधानियां |
- आप एक-दो मिनट से शुरू कर क्रमश: दस मिनट तक पहुँच सकते हैं।
बद्ध पद्मासन करने के लाभ :Health Benefits of Baddha Padamasana
- इस आसन में दोनों घुटनों और टखनों के जोड़ों पर जोर पड़ता है, जिससे पैरों के जोड़ मजबूत बनते हैं।
- इस आसन से दोनों पैरों की एड़ियों को संपूर्ण व्यायाम मिलता है।
- यह आसन करने से मेरुदंड और रीड की दुर्बलता धीरे-धीरे कम होती है | साथ ही घुटनों के जोड़ों की पीड़ा दूर होती है।
- यह आसन शारीरिक गठन की खराबियाँ दूर करता है।
- यह आसन कमर को स्वस्थ रखता है।
- यह आसन करने से अपच, अफरा, पेट का दर्द तथा अजीर्ण आदि बीमारियाँ दूर होती हैं।
- इस आसन के द्वारा पद्मासन के लाभ पर्याप्त मात्रा में प्राप्त किए जा सकते हैं।
- यह योगासन सिरदर्द और माइग्रेन से राहत दिलाने वाले योग श्रेणी में आता है |
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