अगर आपको सबसे आम एक बीमारी का नाम बताने को कहा जाए तो सबसे पहले आपके दिमाग में भी शायद सिरदर्द का ही नाम आएगा। तेज रफ्तार जिंदगी के कारण आज सिरदर्द की समस्या आम हो गई है। लंबे समय तक चलने वाला सिरदर्द आगे चलकर माइग्रेन के रूप में परिवर्तित हो जाता है। माइग्रेन का दर्द कुछ घंटे से लेकर कई दिनों तक रह सकता है। अभी हाल के दिनों तक माना जाता था कि माइग्रेन संवहनी (Vascular) होता है, जो दिमाग की रक्त नलिकाओं के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है। लेकिन कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि माइग्रेन केंद्रीय नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी के कारण होता है, जिसके कारण न्यूरोट्रांसमीटरों की गति प्रभावित होता है और इसकी वजह से सेरोटोनिन का असंतुलन हो जाता है।
माइग्रेन के प्रकार
- माइग्रेन के दो प्रकार के होते हैं क्लासिकल और नॉन क्लासिकल | जब–माइग्रेन का दर्द “ऑरा” (आँखों की दृष्टि संबंधी गड़बड़ी) के बाद शुरू होता है, तब इसे क्लासिकल माइग्रेन कहते हैं। क्लासिकल माइग्रेन में आमतौर पर सिरदर्द के 10-15 मिनट पहले ऑरा के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जब सिरदर्द बिना ‘ऑरा’ और दूसरे लक्षणों के साथ शुरू होता है, तब इसे नॉन क्लासिकल या सामान्य माइग्रेन कहते हैं।
- सामान्य माइग्रेन बच्चों और किशोरों में अधिक होता है। माइग्रेन के जो कुल मामले देखे जाते हैं, उनमें से 70 से 85 प्रतिशत सामान्य माइग्रेन और 15 से 30 प्रतिशत क्लासिकल माइग्रेन वाले होते हैं।
- छोटे बच्चों में माइग्रेन का दर्द शाम के समय अधिक होता हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह दर्द सुबह भी होने लगता हैं।
माइग्रेन के कारण
- मनोवैज्ञानिक समस्याएँ जैसे उत्तेजना और गहरा अवसाद या न्यूरॉटिक डिस्ऑर्डर जैसे पक्षाघात और मिरगी भी माइग्रेन के खतरे को बढ़ा देते हैं।
- इसके कुछ अन्य कारण ये भी हैं:- तनाव और नींद की कमी, तेज रोशनी, शोर, दिमागी परेशानी, थकान, शराब, हार्मोंस में बदलाव विशेषकर महिलाओं में, सामान्य खानपान की शैली में बदलाव से या खाना छोड़ने के बाद रक्त में शुगर का स्तर कम हो जाता है।
- माइग्रेन की शुरुवात में धमनियाँ जरा देर के लिए सिकुड़ जाती हैं जिससे दिमाग में खून का दौरा घट जाता है। पर फिर तुरंत ही धमनियाँ फूल जाती हैं, जिससे उनके साथ सटी हुई पीड़ासंवेदी नर्वस पर खिंचाव पड़ता है और दर्द पैदा हो जाता है।
- महिलाओं में मासिक धर्म से हफ्ते-भर पहले हॉर्मोनल परिवर्तन होने से भी माइग्रेन के दर्द का अनुभव हो सकता है। कुछ महिलाएँ हर माह इस समस्या से गुजरती हैं और परेशानी में रहती हैं।
- अकसर यह भी देखा जाता है कि माइग्रेन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में फैलता है मतलब यह रोग अनुवांशिक होता है ।
माइग्रेन के लक्षण
- माइग्रेन के लक्षण के कई लक्षण हो सकते हैं, क्लासिकल माइग्रेन में या तो आँखों के आगे रंग-बिरंगे तारे, या टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें दिखने, या अँधेरा-सा छा जाने, या घुमेरी आने या कान में घू-घू की आवाज सुनाई देने से शुरू होता है।
- कई व्यक्तियों को माइग्रेन का दौरा शुरू होने से कुछ घंटे पहले तनाव महसूस होता है और सुस्ती छा जाती है । ऐसे में कुछ को जोर की प्यास भी लगती है और अचानक मीठा खाने का मन करता है। फिर कुछ घंटे बाद आँखों से दिखाई ना देने के लक्षण उभरते हैं और आधे सिर में दर्द शुरू हो जाता है।
- सामान्य माइग्रेन में शुरूआत सिर के दर्द से ही होती है और साथ में जी कच्चा होता है और कभी उल्टी भी हो जाती है।
- लेकिन कई लोगों में माइग्रेन के अलग तरह के लक्षण भी हो सकते है। उसके साथ कई तरह के अस्थायी शारीरिक समस्याएँ भी उभरती हैं। होंठ, चेहरा, हाथ या पैर सुन्न पड़ जाते हैं और उनमें सरसराहट अनुभव होती है। कुछ में लक्षण इससे भी ज्यादा तेज होते हैं और लगता है कि जैसे अधरंग हो चला है। हाथ-पैर शक्तिहीन हो जाते हैं, जबान लड़खड़ा जाती है। पर चंद मिनट या आधे-एक घंटे बाद लक्षण अक्सर पूरी तरह मिट जाते हैं। अब सिर में दर्द शुरू होता है। यह पहले-पहल एक बिंदु पर केंद्रित रहता है। फिर फैलते-फैलते सिर के आधे भाग में फैल जाता है।
- माइग्रेन के दौरान दवा न लेने पर दर्द कई घंटे या एक-दो दिन तक भी सता सकता है।
माइग्रेन के घरेलू उपचार

- माइग्रेन के इलाज के लिए अजवायन के पत्तों को पीसकर माथे पर लेप करने से फायदा होता है।
- लहसुन को पतला पीसकर माथे और कनपटी पर लगाएं।
- तुलसी के पत्तों के रस में कपूर मिलाकर माथे पर लगाएं।
- सौंठ और लौंग को एक साथ पीसकर लेप बनाएं और माथे पर लगाएं। सूख जाए तो दोबारा लगाएं।
- आधे सिर में दर्द हुआ हो तो काली मिर्च का चूर्ण लें और उसमें खांड या शक्कर डालकर सेवन करें।
- गर्मियों में माइग्रेन के दर्द में सूखा धनिया, आवंले का चूर्ण और लौंग लेकर पीस लें। इसके बाद इस मिश्रण का लेप माथे पर लगाएं, जबकि इस मिश्रण में सेंधा नमक मिलाकर चाट भी लें।
- यदि ठंड में माइग्रेन सिरदर्द हुआ है तो पानी में हींग घोल लें और इसका लेप माथे पर लगाएं।
- माइग्रेन में राई को पानी में पीसकर कनपटी पर लेप करें। दर्द दूर हो जाएगा।
- रीठे का छिलका पानी में पीसकर नाक में टपकाएं। इससे छींकें आएंगी। और नाक से पानी बहकर दर्द दूर होगा।
- माइग्रेन में ब्राह्मी अथवा बादाम रोगन की मालिश से लाभ मिलता है।
- ब्राह्मी में दो रत्ती मिश्री व थोड़ा घी देशी मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
- माइग्रेन के इलाज हेतु एक सप्ताह तक गाय का ताजा घी सुबह शाम दोनों समय दोनों नथुनों में दो-चार बूंदे टपकाकर सूंघे इससे आधासीसी (माइग्रेन) का दर्द ठीक हो जाएगा।
- सिर के जिस तरफ दर्द महसूस हो, उस तरफ के नथुने में 6-7 बूंद सरसों का तेल डालने से भी माइग्रेन का शांत हो जाती है।
- आँवला पाउडर एक बड़ा चम्मच, सूखा धनिया चूर्ण एक बड़ा चम्मच तथा शहद एक चम्मच मिलाकर सुबह-शाम साफ़ पानी के साथ पीने से सिर में चक्कर आना बंद हो जाता है। यह प्रयोग आधासीसी में भी लाभप्रद हैं।
- सुबह खाली पेट आधा सेब प्रतिदिन सेवन करने से माइग्रेन में बहुत लाभ होता है।
- दस ग्राम सौंठ के चूर्ण को लगभग साठ ग्राम गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें, इन्हें सुबहशाम खाने से माइग्रेन का दर्द दूर हो जाता है।
- नौसादर के साथ हल्दी मिलाकर सूंघे, माइग्रेन के दर्द से मुक्ति मिलेगी।
- पुराने गुड़ में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर सूरज ढलने से पहले खाने से भी आराम मिलेगा।
- सवेरे सूरज निकलने से पहले उठकर हरे कच्चे अमरूद तोड़े और सिल पर रगड़कर लुगदी (Pulp) बना लें। माथे के उतने स्थान पर इसका लेप करें, जितने पर दर्द हो रहा हो। दो ही दिनों में माइग्रेन के दर्द में लाभ होगा।
- लाल चन्दन को घिसकर ललाट पर लगाने से लाभ मिलता है।
- अंगारे पर पिसी हुई हल्दी डालकर नाक से उसका धुआँ खींचें। छींके आयेंगी, कफ निकल जायेगा। माइग्रेन के दर्द से मुक्ति मिलेगी ।
- दो ग्राम अदरक को दो ग्राम नींबू के रस में सेंधा नमक मिलाकर बड़े चम्मच में गर्म करें। ठण्डा होने तक नथुनों में उसकी भाप दें। छींकें आयेंगी। सिरदर्द ठीक हो जायेगा।
- माइग्रेन के इलाज के लिए लहसुन की चार-छ: कलियां पीसकर घी या वैसलीन में मिलाकर कनपटी पर मलें माइग्रेन का दर्द ठीक हो जायेगा। यह माइग्रेन की दवा की तरह काम करता है |
- पच्चीस तुलसी दल, दस काली मिर्च, लहसुन की दस कलियां पीसकर मिलायें। शीशी में भर लें। 15-15 मिनट में जोर से सूंघे इससे पुराना सिरदर्द तथा माइग्रेन में काफी फायदा मिलेगा ।
ट्रीटमेंट ऑफ माइग्रेन
- माइग्रेन के दर्द के समय आराम पहुँचाने वाली दवा ही सबसे जरूरी होती है। साधारण पीड़ा-निवारक दवाएँ (पेन किलर गोलियां ) जैसे पेरासिटामोल, निम्यूलिड, ब्रुफेन दर्द के शुरू होते ही ले लेने से फायदा करती हैं और दर्द को अधिक तेज़ होने से रोकती हैं। अगर इनसे बात नहीं बनती हो, तो माइग्रेन की खास दर्द-निवारक दवा अरगोटामिन डॉक्टरी सलाह से सही मात्रा में ली जा सकती है। पर गर्भवती महिलाओं और हाई बी.पी या हृदय रोग के रोगियों को यह नहीं दी जा सकती है।
- दवा देने के साथ-साथ दौरे से छुटकारा पाने के लिए पूरा-पूरा आराम भी जरुरी होता है। सिर पर पट्टी बाँधने से राहत मिलती है और अँधेरा कमरा और एकांत भी मन को सुहाता है।
- माइग्रेन के दर्द की शुरुवात में यदि दवा न ली जाए तो दर्द बहुत तेज हो जाता है। तब दर्द-निवारक दवाएँ काम की नहीं रहतीं और प्रोमथाजिन या मेपरडिन लेनी पड़ सकती है।
- जिन मरीजों को महीने में चार से ज्यादा बार दर्द उठता है, उनमें माइग्रेन की रोकथाम की दवा आजमा कर देखना जरूरी हो जाता है। प्रोप्रेनोलॉल, डॉक्सीपिन, एमीट्रिप्टालिन, और रेसरपिन जैसी दवाएँ डॉक्टरी देखरेख में नियमित रूप से लेने पर माइग्रेन के दौरों में कमी लाई जा सकती है। लेकिन इनको अपनी मर्जी से केमिस्ट से खरीद कर नहीं खाना चाहिए |
माइग्रेन के रोगी को जीवन में क्या-क्या परहेज करने चाहिए ?
- जिन चीजों से माइग्रेन का दर्द उठता है, उनसे बचकर रहें। चॉकलेट, चीज, शेरी, रेड वाइन जैसी चीजें जिनमें टायरामिन प्रचुर मात्रा में होता है इन्हें छोड़ दें ।
- सिरके में लगी चीजें जैसे अचार, चाइनीज़ फूड जिसमें मोनोसोडियम ग्लुटामेट हो, और पके हुए केलों का भी परहेज करें ।
- तेज रोशनी और शोर से बचे रहने की भी कोशिश रहनी चाहिए। डिस्को, डांस पार्टी और ‘जागरण’ किसी को भी सिर का दर्द दे सकते हैं, पर माइग्रेन होने पर तो इनका बिलकुल ही परहेज करें ।
- हर समय हड़बड़ी में रहने, अपने पर जरूरत से ज्यादा काम लादने, मन के प्रतिकूल कार्य करने, और अनावश्यक तनाव पालने से न सिर्फ मन नाखुश होता है बल्कि कई प्रकार के शारीरिक बीमारियाँ भी पैदा होते हैं। माइग्रेन के कारणों में ये भी शामिल है |
- जीवन को तरतीब से जीने, व्यायाम के लिए समय देने, मनोरंजन को भी पर्याप्त प्राथमिकता देने से जिंदगी आसानी से पार हो जाती है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें यह पोस्ट – माइग्रेन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए-Diet in Migraine
माइग्रेन के रोग निवारण में सहायक उपाय
- सूर्योदय से काफी पहले उठकर पानी पिएं, शौच जाएं और स्नान करें।
- नियमित हलका व्यायाम और शरीर की मालिश करें।
- माइग्रेन का दौरा पड़ने पर शांत, अंधेरे कमरे में, सिर पर कपड़ा बांध कर आराम करें।
- माइग्रेन के दौरान इच्छानुसार एक कप चाय या कॉफी पिएं।
- माइग्रेन के दर्द में हींग को पानी में गाढ़ा घोलकर या शुद्ध घी को बार-बार सूंघे ।
- मानसिक तनाव, चिंता को दूर करें।
- घी और कपूर मिलाकर नाक के नथुनों में 2-3 बूंदें टपकाएं।
- तनाव मुक्त होकर गहरी नींद लें।
- बदहजमी /कब्ज की शिकायत न होने दें।
- आंखों पर अधिक जोर पड़े, ऐसे कार्य न करें।
- दिन में सोने से परहेज करें।
- यह भी जरुर पढ़ें – सिरदर्द दूर करने के घरेलू उपाय – Headache Remedies
माइग्रेन से राहत के लिए ये उपाय भी आजमायें
- माइग्रेन होने पर सिर में तेल की मालिश करनी चाहिए।
- इलायची, नींबू माइग्रेन में फायदा पहुंचाते हैं।
- माइग्रेन के लिए योग- माइग्रेन के इलाज में योगासन भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। योग में भी खासकर शीर्षासन और सर्वांगासन करना चाहिए।
- बार-बार माइग्रेन या अन्य सिरदर्द होने पर हमें यह भी देखना चाहिए कि कहीं हमारी शारीरिक क्रियाएं तो इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। जैसे क्या हम ऐसी कुर्सी पर तो बैठकर काम नहीं करते हैं, जो हमारी पीठ को सही से सहारा नहीं देती है? कहीं हम मोबाइल को गर्दन और कंधे के बीच में रखकर काफी देर तक बातें तो नहीं करते हैं? कहीं कंप्यूटर पर लगातार काम करने या कंप्यूटर की खराब स्क्रीन की वजह से तो यह नहीं हो रहा है? कहीं कंप्यूटर ऐसी जगह तो नहीं रखा है कि उसे देखने में हमारी आंखों को परेशानी होती हो? कहीं हमारा बैग इतना भारी तो नहीं है कि उसे कंधे पर लटकाने से खिंचाव और दर्द होता हो ? माइग्रेन के निवारण में आप इन सब उपायों को आजमायें इससे आपको इस रोग से जल्दी ही छुटकारा मिलेगा |
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