कुष्ठ रोग या कोढ़ (Leprosy) यह दो प्रकार का होता है संक्रामक और असंक्रामक। संक्रामक कोढ़ को ‘लेप्रोमेटस लेप्रासी’ कहते हैं। ऐसे कुष्ठ रोगियों के नाक, गले, त्वचा से कोढ़ के कीटाणु निकलते रहते हैं। रोगी के चेहरे, कान व अन्य जगह की त्वचा मोटी हो जाती है। रोगग्रस्त अंग सुन्न हो जाता है। रोगी को सर्दी-गर्मी का ज्ञान भी नहीं होता। पाँव के तलवे में कील चुभने का आभास भी नहीं होता। कोढ़ रोग एवं क्षय रोग के कीटाणु मिलते-जुलते-से होते हैं यही कारण है कि कोढ़ रोग वाले क्षय रोग से भी ग्रस्त होते हैं। कुष्ठ रोग एक चर्म रोग है। गलित कुष्ठ में पहले हाथ पांव की उंगलियाँ अकड़ कर टेड़ी मेड़ी हो जाती है। फिर उनमें फोड़े जैसे घाव हो जाते हैं। कुष्ठ के ये फोड़े शरीर के किसी एक भाग में या पूरे शरीर में कहीं भी निकल सकते हैं। इन फोड़ों में जलन होती है। रोगी को बहुत प्यास लगती है। तथा रोग की बढ़ी हुई अवस्था में यह रोग हड्डियों तक पहुँच जाने पर रोगी का अंग गल गलकर खराब होने लगता है। भारत में कुष्ठ रोग एक बड़ी समस्या है. पूरी दुनिया में इस गंभीर बीमारी के लगभग 40 लाख मरीज हैं जिनमें 70 परसेंट मरीज भारत में ही पाए जाते हैं | हर साल कुष्ट रोग के 750,000 नए केस सामने आते हैं | बहुत से लोग मानते हैं कि यह रोग मानव स्पर्श से फैलता है, लेकिन वास्तव में यह रोग इतना संक्रामक नहीं है। यह रोग तभी फैलता है जब आप ऐसे मरीज के नाक और मुंह के तरल के बार-बार संपर्क में आएं, जिसने बीमारी का इलाज न कराया हो। बच्चों में वयस्क की तुलना में कुष्ठ रोग की संभावना अधिक होती है। जीवाणु के संपर्क में आने के बाद लक्षण दिखाई देने में आमतौर पर 3-5 साल का समय लगता है। जीवाणु/ बैक्टीरिया के संपर्क में आने तथा लक्षण दिखाई देने के बीच की अवधि को इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है। कुष्ठ रोगियों को अपने खानपान का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए जिससे शरीर में सभी जरुरी विटामिन और मिनरल्स का स्तर बना रहे और आपको जल्दी स्वस्थ होने में आसानी हो |
कुष्ठ रोगियों को क्या खाना चाहिए

- कुष्ठ रोगियों के लिए आदर्श भोजन के अनुसार फल चाहे कम सेवन किए जाएं किन्तु कच्ची और उबली साग सब्जी काफी मात्रा में खाना चाहिए।
- चना–अंकुरित चना 3 वर्ष तक खाते रहने से कुष्ठ रोगियों को बहुत लाभ होता है। चनों को पानी में भिगो कर उसी पानी में उबाल कर चने निकाल कर खायें। जब भूख लगे चने ही खायें। सिके हुए चने, चने की रोटी खाये। इन चनों का उबाला हुआ पानी भी पी जायें। नमक मिर्च चनों पर नहीं डालें।
- भीगे चने के आधा लीटर पानी में 20-30 ग्राम शहद मिलाकर रोजाना पीना, चने की रोटी और शहद खाना (20 ग्राम से अधिक शहद न हो) शाम को चने का पानी गर्म करके बिना शहद डाले पीना चने की साग कच्चा या पक्का खाना तथा दो महीनो तक लगातार चने का सेवन कुष्ठ में आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी होता है। चने का सेवन कुष्ठ रोगियों के लिए एक आदर्श भोजन होता है |
- जमीकन्द- कुष्ठ रोगियों के लिए जमीकन्द (सूरन) की सब्जी भी बहुत फायदेमंद होती है । निरन्तर अधिक समय तक इसकी सब्जी खानी चाहिए |
- बथुआ – कुष्ठ रोगियों को रोजाना बथुआ उबालकर निचोड़ कर इसका रस पीना चाहिए तथा इसकी सब्जी भी खानी चाहिए। बथुए के उबले पानी से त्वचा को धोयें। कच्चे पत्ते पीस कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप का तेल मिलाकर मन्द-मन्द आग पर गर्म करें। जब रस जलकर तेल ही रह जाय तब इसे छानकर भर लें और त्वचा पर रोजाना लगायें।
- आँवला-आँवला पीस कर एक चम्मच इसकी फांकी सुबह-शाम पानी से लें।
- तुलसी- रोजाना 15 पत्ते तुलसी के खायें तथा इसके पत्तों को पानी में पीस कर कोढ़-ग्रस्त अंगों पर लगायें।
- कुष्ठ रोगियों के लिए नीम का अधिकाधिक उपयोग करना बहुत फायदेमंद होता है। रोगी को नीम की छाया में रखें। नीम के तेल की मालिश, नीम की पत्तियों का रस चार चम्मच सुबह शाम दो बार पीने, नित्य नीम की ताजा पत्तियों को बिस्तर में बिछाने, नीम की पत्ती उबाल कर या पानी में नीम की पत्ती का रस मिलाकर स्नान करने आदि जिस किसी प्रकार से नीम का अधिकाधिक उपयोग हो सके रोजाना लम्बे समय तक करते रहने से लाभ होगा।
- फूल गोभी- गोभी में गन्धक बहुत मिलती है। गंधक खुजली, कुष्ट आदि त्वचा रोगों में लाभदायक है। कुष्ठ रोगियों को सब्जी के रूप में गोभी का सेवन करना चाहिए |
- परवल– इसकी सब्जी खाना कोढ़ में लाभदायक है।
- कुष्ठ रोगियों को पौष्टिक भोजन खाना चाहिए । मूंग की खिचड़ी, चपाती भोजन में लें।
- इसके अतिरिक्त अनार, दूध, मक्खन, घी, तुरई, कुलफा, का अधिक सेवन करें।
- विटामिनों से भरपूर फल खाएं। क्योंकि यह त्वचा के लिए फायदेमंद है और ऐसे भोजन त्वचा की स्थिति में सुधार करने में मदद करता है। ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ गाजर, चुकंदर लाल शिमला मिर्च, पालक, ब्रोकोली, गोभी, मीठे आलू, सलाद, खुबानी, सूरजमुखी के बीज, सरसों का हरा साग, पपीता, और शतावरी आदि |
कुष्ठ रोगियों को क्या नहीं खाना चाहिए
- बादी, गरिष्ठ, तले, गर्म तासीर के पकवानों का सेवन न करें।
- मांस, मछली, मिर्च-मसाले, मसूर की दाल, बैगन आदि न खाएं।
- नमक और चीनी का प्रयोग बिलकुल ही कम करें |
यदि आपका MDT इलाज चल रहा है तो अपने भोजन में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरुर लेनी चाहिए |
अन्य सम्बंधित पोस्ट
- कुष्ठ रोग का आयुर्वेदिक इलाज : कुष्ठरोग उपचार
- कोढ़ की बीमारी के कारण, पहचान, बचाव के उपाय तथा एम.डी.टी इलाज
- टीबी के कारण, लक्षण, प्रकार और बचाव की जानकारी
- टीबी (क्षय रोग) में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए
- बेमेल भोजन : जानिए एक साथ क्या नहीं खाना चाहिए
- सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) होने के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय