उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा तथा हाई ब्लड प्रेशर के घरेलू इलाज

आधुनिक परिवेश में अधिकतर व्यक्ति उच्च रक्तचाप यानि High Blood Pressure से पीड़ित होते हैं। एक अनुमान के अनुसार, हर पाँचवाँ व्यक्ति उच्च रक्तचाप से ग्रस्त है। इसके लिए काफी हद तक भाग दौड़ भरा तनावग्रस्त लाइफ स्टाइल तथा बेतरतीब खानपान की आदत है | हाई ब्लड प्रेशर के मुख्यतः तीन कारण होते है सबसे पहला कारण है मानसिक तनाव, दूसरा कारण है ह्रदय से जुडी किसी बीमारी की शुरुवात या कोई दिल से जुडी कोई बीमारी तीसरा कारण अस्थाई होता है जैसे गर्भावस्था में अधिकतर स्त्रियां उच्च रक्तचाप से पीड़ित होती हैं लेकिन प्रसव के बाद ज्यादातर मामलो में यह पूरी तरह ठीक हो जाता है । लंबे समय तक हाई बी.पी रहने से लकवा (अधरंग), ब्रेन हेमरेज, तथा ह्रदय को स्थाई नुकसान होने की सम्भावना रहती है।

यह बहुत जरुरी है की सबसे पहले हाई ब्लड प्रेशर के कारण को समझना चाहिए उसके बाद उसका सही उपचार लेना चाहिए | इसको आप कुछ ऐसे समझे की यदि किसी व्यक्ति को मानसिक तनाव से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो उसका सही उपचार एक मनोवैज्ञानिक (Psychiatrist Doctor) के पास होगा | यदि उच्च रक्तचाप का कारण ह्रदय सम्बंधित कोई बीमारी है तो उसका सही इलाज हृदय रोग विशेषज्ञ ( Cardiologist ) के पास होगा | ज्यादातर मामलो में इस विषय पर भ्रांति बनी रहती है और कई उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीज लंबे समय तक हाई बी.पी की दवाइयां खाते रहते है, जबकि उनको कोई शारीरिक बीमारी नहीं होती है केवल स्ट्रेस होता है जो मानसिक स्वस्थ्य से जुडी एक समस्या है और यह केवल मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, योग अभ्यास, व्यायाम, उचित खानपान तथा कुछ प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपाय के सहारे आसानी से काबू हो सकता है |

कुछ दशकों पहले उच्च रक्तचाप बहुत कम व्यक्तियों को 45-50 वर्ष की उम्र में ही होता था, लेकिन आजकल तो 25 वर्ष की आयु को पार करते-करते नवयुवक व नवयुवतियां हाई ब्लड प्रेशर के शिकार होने लगते हैं। उच्च रक्तचाप की बीमारी का कारण गलत खानपान भी होता है जैसे – मिर्च-मसालों, फ़ास्ट फ़ूड, जंक फ़ूड, सॉफ्ट ड्रिंक्स और अम्ल रसों से बने खाद्य-पदार्थों के सेवन से पाचन क्रिया खराब होने के साथ उच्च रक्तचाप से अधिक पीड़ित होते हैं। अधिक घी तेल में तले पकवान खाने वाले व्यक्ति जो बिल्कुल शारीरिक श्रम नहीं करते तो मोटापे के कारण कम उम्र में ही उच्च रक्तचाप के शिकार होते हैं। कोई गहरी चिंता, हर समय गुस्सा करना, नकरात्मक सोच, जल्दबाजी, कुंठा और भोजन में अधिक नमक का सेवन करने वाले लोग भी उच्च रक्तचाप से पीड़ित होते हैं। शराब का सेवन भी रक्तचाप बढ़ाता है |

उच्च रक्तचाप होने पर थोड़ी सी मेहनत करते ही हृदय की धड़कन तेज हो जाती है। सारा शरीर पसीने से भीग जाता है। घबराहट और बेचैनी होती है। सीने में दर्द जकडन होती है | रोगी के लिए अधिक सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल हो जाता है। सिर में चक्कर आते हैं। रोगी बात-बात पर क्रोधित होता है। अधिक उच्च रक्तचाप होने पर नाक से रक्तस्राव होने लगता है। ये सब जानकारियां हम अपने पुराने लेखो में पहले ही दे चुके है इस पोस्ट में हम उच्च रक्तचाप के लिए कुछ घरेलू तथा आयुर्वेदिक उपाय बतायेंगे जो निश्चित रूप से आपके लिए फायदेमंद होंगे | कृपया नोट करें यदि आपको ह्रदय से जुडी कोई बीमारी है और आपका उपचार पहले से ही चल रहा है तो कुछ भी आजमाने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरुर कर लें |

उच्च रक्तचाप का घरेलू इलाज

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा तथा हाई ब्लड प्रेशर के घरेलू इलाज high blood pressure ka desi gharelu ayurvedic ilaj
High BP
  • लहसुन का रस निकालकर 10 ग्राम मात्रा सुबह-शाम पीने से उच्च रक्तचाप कम होने लगता है।
  • उच्च रक्तप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत लाभकारी है, इसे खाली पेट चबा-चबाकर खाना चाहिए। तरबूज के बीज तथा खसखस को अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। प्रतिदिन खाली पेट एक चम्मच पानी के साथ लें। हर रोज 400 ग्राम पपीता खाने से उच्च रक्तचाप की बीमारी में बहुत लाभ होता है।
  • 25 ग्राम प्याज के रस में इतना ही शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कुछ सप्ताह में उच्च रक्तचाप कम होने लगता है।
  • आंवला, सर्पगंधा और गिलोय को 10-10 ग्राम मात्रा में लेकर कूट-पीसकर पाउडर बनाकर रखें। इसमें से 2 ग्राम पाउडर पानी के साथ सेवन करने से रक्तचाप कम होता है।
  • गिलोय, ब्राह्मी, शंखपुष्पी को बराबर मात्रा में कूट-पीसकर पाउडर बनाएं। इसमें 3 ग्राम पाउडर आंवले के मुरब्बे के साथ सेवन करने से रक्तचाप में लाभ होता है।
  • 200 ग्राम गाजर के रस में 50 ग्राम पालक का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से कुछ ही दिनों में उच्च रक्तचाप घटने लगता है।
  • हरड़, बहेड़ा और आंवला का पाउडर बनाकर रात को किसी चीनी मिट्टी के बर्तन में 10 ग्राम पाउडर पानी में मिलाकर रख दें। सुबह इस मिश्रण को छानकर थोड़ी-सी मिसरी मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है।
  • सर्पगंधा की जड़ का बारीक पाउडर बनाकर 4 रत्ती पाउडर शहद मिलाकर चाटकर खाने से उच्च रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
  • रुद्राक्ष को पानी के साथ घिसकर चाटने से हाई ब्लड प्रेशर कम होता है।
  • सर्पगंधा का पाउडर 5 रत्ती, अजवायन 5 ग्राम दोनों को पीसकर थोड़ी-सी मिसरी या शक्कर मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
  • सहंजना का स्वरस 15 ग्राम मात्रा में सुबह और इतना ही रस शाम को पीने से उच्च रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
  • अश्वगंधा पाउडर 3 ग्राम, सूरजमुखी बीज का पाउडर 2 ग्राम, मिसरी 5 ग्राम और गिलोय सत्व 1 ग्राम मात्रा में लेकर पानी के साथ सेवन करने से रक्तचाप कम होता है। दिन में दो-तीन बार इसका सेवन कर सकते हैं।
  • उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन 25-30 ग्राम गुलकंद खाने से कब्ज ठीक होने के साथ ही उच्च रक्तचाप भी कम होता है।
  • गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप की विकृति नष्ट होती है।
  • प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पार्क में घूमने जाने और ओस पड़ी घास पर नंगे पांव चलने से उच्च रक्तचाप कम होता है।
  • ताजे गन्ने के 250 ग्राम रस में अदरक का रस मिलाकर पीने से हाई ब्लड प्रेशर कम होता है। प्याज का रस, शहद और मिसरी बराबर मात्रा में मिलाकर शीशी में भरकर रखें। प्रतिदिन 10 ग्राम मिश्रण सेवन करने से रक्तचाप कम होता है।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष की माला पहनने से उच्च रक्तचाप काबू में रहता है।
  • उच्च रक्तचाप में पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।
  • मूली का नियमित सेवन करने से उच्च रक्तचाप में लाभ पहुंचता है।
  • आंवले का मुरब्बा खाने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। एक आंवला सुबह तथा एक शाम को खाएं।
  • निर्गुण्डी, लहसुन और सोंठ का पाउडर 10-10 ग्राम मिलाकर 400 ग्राम पानी में उबालकर क्वाथ बनाएं। 50-60 ग्राम क्वाथ रोजाना पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है।
  • नोट : मधुमेह के रोगी को आंवले के मुरब्बे को धोकर खाना चाहिए ताकि चीनी धुल जाए ।
  • पानी में नमक डालकर छिलके वाला आलू उबालें। इस प्रकार उबाले गए दो-तीन आलू सुबह और दो-तीन आलू शाम को खाएं। इसमें नमक नहीं मिलाएं। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजो के लिए लाभकारी उपाय है ।

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा

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उच्च रक्तचाप का घरेलू इलाज
  • सुवर्ण समीर पन्नग रस आधी से एक रत्ती सुबह-शाम शहद या अदरक रस के साथ दें। इसके सेवन से रक्त संचार की क्रिया नियंत्रित होती है। सिर दर्द आदि भी मिट जाता है।
  • चन्द्रकला रस 1 से 2 गोली ठंडे पानी के साथ सुबह-शाम दें साथ ही मोती पिष्टी का भी प्रयोग करें तो पितोपद्रव से बढ़ा हुआ रक्तचाप नीचे उतर जाता है। रोगी शांत रहता है बेचैनी नहीं होती है ।
  • बालचन्द्र रस एक रत्ती दिन रात में 3-4 बार मक्खन, मिश्री या सत गिलोय के साथ सेवन करने से बढ़ी हुई रक्तचाप में काफी कमी होती है।
  • रसराज रस 1 गोली सुबह-शाम मोती पिष्टी और शहद के साथ देने से और ऊपर से मिश्री मिला गाय का दूध पीने से निश्चित रूप से रक्तचाप कम हो जाता है। सिर में चक्कर, लाल चेहरा, नींद की कमी आदि दूर होती है।
  • सर्पगन्धा घन वटी की 1 गोली रात में दूध के साथ सेवन करें तो मानसिक तनाव कम कर अच्छी नींद लाती है। उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। यह सर्पिना गोली के रूप में भी बाजार में मिलती है।
  • पीपल वृक्ष की छाल का पाउडर शहद दो चम्मच मिलाकर सुबह शाम दें। लाभ होगा |
  • उच्च रक्त-चापकम करने के लिये सूर्य तप्त हरे पानी से लाभ मिल जाता है।
  • उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद की दवा जानने के लिए पढ़ें यह पोस्ट – बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवा : हाई बीपी

यह भी याद रखें

यदि हाई ब्लड प्रेशर अस्थाई कारणों जैसे कम समय के लिए तनाव, उत्तेजना या गर्भावस्था से हुआ है तो ठीक हो जाता है अन्यथा उच्च रक्तचाप का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है यह रोग जीवन भर चलता है। प्राय: खानपान में सुधार तथा औषधि द्वारा इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। जब एक बार पता चल जाए कि रक्तचाप बढ़ा हुआ है तो डॉक्टर से इसकी नियमित जाँच करवानी और उपचार करना चाहिए। उच्च रक्तचाप की अवस्था में दो बातों पर ध्यान देना आवश्यक हो जाता है।

उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह धूम्रपान त्याग दे तथा अपने आहार में चरबी या वसा का प्रयोग कम कर दे तथा शारीरिक परिश्रम अधिक करे। रोगी को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि इन बातों पर ध्यान देने से उसके रक्तचाप में कमी नहीं होगी, लेकिन रक्तचाप के कारण उत्पन्न अन्य दोषों से वह अपने शरीर का बचाव अवश्य कर सकता है। जिस प्रकार बरसात में सड़क पर धीमी गति से कार चलाने से दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है, उसी प्रकार अपने आचार च आहार में सावधानी बरतकर उच्च रक्तचाप का रोगी दिल के दौरे, गुरदे की बीमारी व लकवे से अपना बचाव कर सकता है। उच्च रक्तचाप के रोगी को खाने में नमक की मात्रा 3-4 ग्राम प्रतिदिन कर देनी चाहिए यानी केवल आहार में आधा चम्मच नमक (छोटा चम्मच) कम कर देने से ही रक्तचाप को सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।

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