हार्ट अटैक के लक्षण, कारण, बचाव और फर्स्ट एड

आज के भौतिकतावादी युग में हार्ट अटैक (दिल का दौरा) पड़ने की घटनाएँ अत्यंत सामान्य हैं। इसके बावजूद हममें से ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि जब खुद को या अपने किसी प्रियजन को अचानक हार्ट अटैक पड़े तो क्या किया जाए, हार्ट अटैक के लक्षण क्या है ? देखा यह गया है कि जब किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक पड़ता है तब खुद उससे या उसके परिवारवालों से घबराहट में या अनजाने में ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं जिससे मौत उसके और भी करीब आ पहुँचती है। आज जब हार्ट अटैक सबसे ज्यादा मौतों का कारण बन चुका है, इसलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि हार्ट अटैक क्या है? हार्ट अटैक पड़ने पर क्या किया जाए और हार्ट अटैक के बाद क्या सावधानियां बरती जाएँ ?

आम तौर पर ज्यादातर लोग दिल के दौरे की सही पहचान नहीं कर पाते हैं। उसे अपच, पेट में गैस या एसिडिटी समझकर मरीज को सामान्य फिजिशियन के पास ले जाते हैं, जिससे इस बीच बहुत कीमती वक्त की बरबादी होती है और मरीज के लिए खतरा और भी बढ़ जाता है। लगभग 80 प्रतिशत मरीज हृदय रोग चिकित्सक के पास तब पहुँचते हैं, जब हार्ट अटैक के कारण हृदय को काफी नुकसान पहुँच चुका होता है। दिल का गंभीर दौरा पड़ने की ज्यादातर स्थितियों में एक घंटे के अंदर ही मरीज की मौत होने की आशंका रहती है और अगर इस दौरान मरीज को हृदय चिकित्सा की आधुनिकतम सुविधाओं वाले अस्पताल पहुँचा दिया जाए तो उसकी जान आसानी से बच सकती है। मरीज को अस्पताल पहुँचने तक जीवन-रक्षक दवाइयाँ और छाती की मालिश एवं कृत्रिम सांस यानि (Cardiopulmonary resuscitation) जैसे प्राथमिक उपचार मिल सकें तो मरीज की जान बचने की संभावना बहुत अधिक होती है। लेकिन हार्ट अटैक के प्राथमिक उपचार के बारे में लोगों में अज्ञानता एवं जागरूकता के आभाव के कारण मरीज के सगे-संबंधी भी मरीज की मदद नहीं कर पाते हैं ।

इस पोस्ट में इन्ही सब बातो का ख्याल रखते हुए हम निम्नलिखित जानकारियां देंगे :

  1. सबसे पहले यह जानेंगे की दिल का दौरा क्या है ?
  2. हार्ट अटैक के लक्षण क्या होते है ?
  3. हार्ट अटैक पड़ने पर क्या करें ?
  4. दिल का दौरा पड़ने पर जब मरीज होश में हो तो कैसे प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) दें ?
  5. हार्ट अटैक का मरीज जब होश में ना हो तो कैसे प्राथमिक चिकित्सा दें ?
  6. हार्ट अटैक पड़ने पर क्या ना करें ?
  7. हार्ट अटैक से बचने के उपाय क्या है ?
  8. हार्ट अटैक के मरीज का अस्पताल में क्या इलाज होगा ?

आइये सबसे पहले जानते हैं की हार्ट अटैक क्या है ?

हार्ट अटैक heart attack symptoms karan first aid in hindi
हार्ट अटैक
  • हार्ट अटैक को चिकित्सकीय भाषा में Myocardial infarction कहा जाता है। यह दरअसल रक्त-आपूर्ति बाधित हो जाने के कारण हृदय की कुछ मांसपेशियों की मौत है।
  • आमतौर पर हृदय को खून की आपूर्ति करनेवाली किसी रक्त धमनी में रक्त के थक्के या कोलेस्टेरॉल के जमाव के कारण रुकावट पैदा हो जाने से हृदय को रक्त की आपूर्ति रुक जाती है। जैसे किसी पानी के पाईप में हरे रंग की फंगस या मिटटी जम जाने से वह जाम हो जाता है और पानी की सप्लाई रूक जाती है या कम हो जाती है |
  • हृदय की कुछ मांसपेशियों के मर जाने के कारण छाती में तेज दर्द उठता है। इन मांसपेशियों की मौत से हृदय के टिशूज में विद्युतीय अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है। विद्युतीय अस्थिरता के कारण दिल की धड़कन या तो अनियमित हो जाती है या रुक जाती है।
  • इससे हमारा दिल दिमाग सहित शरीर के अन्य अंगों को आक्सीजन युक्त स्वच्छ रक्त नहीं भेज पाता है। जो इन सभी अंगो के काम करने के लिए जरुरी होता है | जैसे -पंखा चलाने के लिए बिजली का होना बहुत जरुरी है |
  • अगर छह घंटे के भीतर दिल की रुकी हुई धमनी को खोल दिया जाए तथा उनमें खून का प्रवाह फिर से चालू कर दिया जाए तो न केवल मरीज की जान बचाई जा सकती है, बल्कि हृदय को अधिक नुकसान से भी बचाया जा सकता है।

हार्ट अटैक के लक्षण :

Heart attack symptoms :

  • हार्ट अटैक पड़ने के प्रारंभिक लक्षणों में सीने में बहुत तेज दर्द उठता है। यह दर्द छाती के बिलकुल बीच के भाग (वक्षास्थि) के ठीक नीचे से शुरू होकर आस-पास के हिस्सों में फैल जाता है। कुछ लोगों में यह दर्द छाती के दोनों तरफ फैलता है, लेकिन ज्यादातर लोगों में यह बाई तरफ अधिक फैलता है।
  • यह दर्द हाथों और अँगुलियों, कंधों, गरदन, जबड़े और पीठ तक पहुँच सकता है।
  • कई बार दर्द छाती के बजाय पेट के ऊपरी भाग से उठ सकता है। लेकिन नाभि के नीचे और गले के ऊपर का दर्द हार्ट अटैक के लक्षणों में नहीं आता है।
  • हालाँकि अलग-अलग मरीजों में दर्द की तेजी एवं दर्द के दायरे अलग-अलग होते हैं। कई लोगों को इतना तेज दर्द होता है कि जैसे जान निकली जा रही हो; जबकि कुछ मरीजों, खास तौर पर मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप के मरीजों में कोई लक्षण या दर्द के बिना ही silent heart attack पड़ता है।
  • कई लोगों को दर्द के साथ साँस फूलने, उलटी होने और पसीना छूटने जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। चक्कर आना, सांस फूलना, मन अशांत, बेचैनी जोर-जोर से सांस लेना आदि भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं |

हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने पर क्या करें :

First aid on Heart Attack :

  • किसी मरीज को हार्ट अटैक पड़ने पर मरीज को जल्द से जल्द जमीन या सपाट बैड पर लिटा देना चाहिए और देखना चाहिए कि उसकी नब्ज एवं दिल की धड़कन चल रही है या नहीं।
  • गंभीर स्थिति में जब मरीज बेहोश हो जाए और उसकी साँस न चले तो उसकी छाती की मालिश करनी चाहिए और उसके मुँह से अपने मुँह को सटाकर कृत्रिम सांस देना चाहिए। इसे चिकित्सकीय भाषा में ‘कार्डियो पल्मोनरी रिसस्सिटेशन’ कहा जाता है और यह मरीज की जान बचाने में अत्यंत सहायक होती है। इससे दिल की बंद हुई धड़कने शुरू हो जाती हैं।
  • इसे करने के लिए मरीज को कमर के बल लिटायें, अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीच रखें। हाथ को नीचे दबाएं ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए। प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें और तब तक ऐसा करते रहे जब तक दूसरी तरह की सहायता नहीं मिल जाती है।
हार्ट अटैक heart attack symptoms karan first aid in hindi
CPR-1
हार्ट अटैक
CPR-2
  • मरीज अगर होशोहवास में हो तो जल्द ही एस्प्रीन या कोई अन्य एनॉलजेसिक दवाई की एक या दो गोलियाँ मरीज की जीभ के नीचे रख देने से मरीज को दर्द से राहत मिलती है तथा मरीज की एंग्जाइटी घटती है। हार्ट अटैक के दौरान फर्स्ट ऐड के लिए एस्प्रीन देने की पुष्टि कई हृदय रोग विशेषज्ञ (Cardiologists), प्रतिष्ठित वेबसाइट और अख़बार करते है जिनके स्रोत हम नीचे दे रहे है | लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है की आप हर रोज इसका प्रयोग अपनी मर्जी से लम्बे समय तक बिना डॉक्टरी सलाह के करें |
  • नवभारत टाइम्स – ऐस्प्रिन से दिल के दौरे में मृत्यु दर 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
  • अमरीका के स्वास्थ्य विभाग की सरकारी वेबसाइट -S. Department of Health and Human Services – Aspirin for Reducing Your Risk of Heart Attack.
  • Times Of India – one full tablet of Aspirin in Heart Attack
  • अगर मरीज को एस्प्रिन से एलर्जी है तो ना दें |

हार्ट अटैक का शिकार मरीज जब होश में हो तो ये कदम उठाए :

  • उसके सांस पर नजर रखें।
  • मरीज को जमीन पर या बिना गद्देवाले पलंग पर सीधा लिटा दें।
  • उसके कपड़े ढीले कर दें या बिलकुल खोल दें।
  • उसकी जीभ के नीचे एस्प्रीन एवं डिस्प्रीन गोली रख दें।
  • कमरे के दरवाजे एवं खिड़कियाँ खोल दें तथा मरीज के आस-पास भीड़ न होने दें, ताकि मरीज को ताजा हवा मिलती रहे।
  • मरीज की टाँगों को ऊपर उठाएँ, ताकि उसके दिल और दिमाग तक खून पहुँच सके।
  • अगर नब्ज धीमी चल रही हो या नही चल रही हो तो समय खराब किये बिना कार्डियो पल्मोनरी रिसस्सिटेशन आरंभ करें। जो ऊपर चित्र में दिखाया गया है |
  • उसे सांत्वना दें तथा उसकी हिम्मत बढ़ाते रहें।

हार्ट अटैक का मरीज अगर होश में ना हो, बेहोश हो तो ये करें  :

  • मरीज को तत्काल लिटा दें।
  • मरीज की नब्ज एवं सांस पर निगरानी रखें। अगर नब्ज नहीं चल रही हो तो उसकी तत्काल सी.पी.आर. आरंभ करें और तब तक जारी रखें जब तक कि रोगी अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में न पहुँच जाए।
  • अगर मरीज उलटी कर रहा हो तो उसके मुँह को एक तरफ मोड़ दें, मुँह को खोल दें और जीभ बाहर निकाल दें। ताकि मरीज का दम ना घुटे |
  • सी.पी.आर देना शुरू करें इससे दिल की बंद हुई धड़कने शुरू हो जाती हैं। इसे करने के लिए मरीज को कमर के बल लिटायें, अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीच रखें। हाथ को नीचे दबाएं ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए। प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें और तब तक ऐसा करते रहे जब तक दूसरी तरह की सहायता नहीं मिल जाती है।
  • अगर मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो तो, मरीज की नाक को उंगलियों से दबाकर अपने मुंह से धीमे-धीमे सांस छोड़ें, इस कृत्रिम सांस से 2-3 सेकेंड में मरीज के फेफड़ों में हवा भर जायेगी। और नाक के नथुने दबाने से मुंह से दी जा रही सांस सीधे फेफड़ों तक जा सकेगी।
हार्ट अटैक Breath- heart attack symptoms karan first aid in hindi
मरीज को सांस देना
  • इस दौरान मरीज की गर्दन के नीचे से तकिया जरुर हटा दें |

हार्ट अटैक पड़ने पर क्या नहीं करना चाहिए :

  • मरीज को खडा करने या बिठाने की कोशिश न करें।
  • उसके मुँह में पानी या गंगाजल नहीं डालें। हमारे देश में अक्सर लोग यह गलती करते है खासकर बुजर्गो के साथ |
  • उसके आस-पास भीड़ न लगाएँ।
  • उससे ऐसी बात न करें जिससे उसकी निराशा बढ़े।
  • मरीज को सामान्य चिकित्सक के पास नहीं ले जाएँ, बल्कि सीधे हृदय रोग चिकित्सा की सुविधाओं से संपन्न अस्पताल ले जाएँ। मरीज को सामान्य या छोटे अस्पताल में ले जाकर आप सिर्फ कीमती समय की बर्बादी करेंगे और कुछ नहीं क्योंकि बिना Cardiologist Doctor और मशीनों के फिजिशियन चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे |

हार्ट अटैक से बचने के उपाय :

  • हार्ट अटैक के उपचार के बाद मरीज को वह हर उपाय करना चाहिए जिससे दोबारा कोलेस्टेरॉल जमने का खतरा पैदा न हो। मरीज को कोलेस्टेरॉल बढ़ानेवाली चीजें जैसे-मक्खन, घी, मिठाई, आइसक्रीम एवं चॉकलेट का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करना चाहिए, क्योंकि इससे हार्ट अटैक पड़ने का खतरा बहुत अधिक होता है।
  • इसके अलावा अगर मरीज को मधुमेह अथवा ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो उसे इन बीमारियों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
  • मरीज को हार्ट अटैक के उपचार के बाद विशेष व्यायाम करने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। हार्ट अटैक से उबरने के बाद मरीज को नियमित व्यायाम की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इससे रक्त-धमनियों में रक्त-प्रवाह बढ़ता है और हृदय की मांसपेशियों की क्षमता भी बढ़ती है। दिल की बीमारी से बचाव के उपाय-Heart Disease Prevention
  • मरीज की जान बचाने के मामले में हार्ट अटैक की सही-सही पहचान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

हार्ट अटैक के मरीज का अस्पताल में इलाज कैसे शुरू होगा :

  • मरीज के अस्पताल पहुँचने पर डॉक्टर की सबसे पहली कोशिश रुकी हुई रक्त धमनी को खोलने तथा दिल की मांसपेशियों में रक्त-प्रवाह बहाल करने (रीप्रफ्युशन) की होती है।
  • रुकी हुई रक्त धमनी के खुल जाने से मरीज को दर्द से मुक्ति मिल जाती है और उसकी जान पर आया खतरा टल जाता है।
  • आजकल रुकी हुई रक्त धमनी को खोलने के लिए बैलून एंजियोप्लास्टी (Balloon angioplasty) नामक तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगा है, जिसमें किसी तरह की चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती है।
  • दिल की बंद रक्त-धमनियों को खोलने के लिए कई तरीके हैं। इनमें सबसे अधिक प्रचलित तरीका है बंद धमनी को दवाइयों से खोलना। इसके लिए स्ट्रेप्टोकोनाइनेज या यूरोकाइनेज नामक इंजेक्शन आधे से एक घंटे के अंतराल पर ड्रिप के रूप में दिए जाते हैं। इससे खून का जमाव धीरे-धीरे कम होता है। इसकी सफलता दर करीब 60-70 प्रतिशत होती है।
  • लेकिन यह तरीका हर मरीज के लिए उपयोगी नहीं है। खास तौर पर उन मरीजों को, जिन्हें पेप्टिक अल्सर और ब्रेन हैमरेज हुआ हो।
  • दूसरा तरीका यह है कि अगर मरीज हार्ट अटैक पड़ने के छह घंटे के भीतर अस्पताल पहुँच जाए और अस्पताल में नवीनतम सुविधाएँ मौजूद हों तो एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) अथवा बैलूनिंग के जरिए बंद धमनी को खोल दिया जाता है। इसके लिए प्रशिक्षित चिकित्सकों तथा कैथ लैब की जरूरत होती है।
  • एंजियोप्लास्टी की सफलता की दर 99 प्रतिशत तक होती है। कुछ मरीजों में धमनी को खोलने के बाद वहाँ विशेष स्टंट लगाने की जरूरत पड़ती है, ताकि वहाँ दोबारा वसा का जमाव न हो।
  • हार्ट अटैक से गुजर चुके मरीजों में से करीब 40-50 प्रतिशत मरीजों को केवल दवाइयों से भी ठीक किया जा सकता है। लेकिन ऐसे मरीजों का कुछ दिन के बाद ट्रेड मिल टेस्ट एवं एंजियोग्राम करके यह पता लगाया जाता है कि उन्हें Angioplasty या bypass surgery की जरूरत है या नहीं।
  • जाने क्या है बाईपास सर्जरी-Open Heart & Bypass Surgery

एस्प्रीन दवा हार्ट के मरीजो के लिए क्यों मानी जाती उपयोगी :

  • दरअसल एस्प्रीन की कम खुराक हार्ट अटैक से बचाती है। एक अध्ययन से निष्कर्ष निकाला गया है कि एस्प्रीन हार्ट अटैक की अधिक आशंका से ग्रस्त लोगों में हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक के खतरे को कम करती है। जो लोग मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप और रक्त में अधिक कोलेस्टेरॉल से पीड़ित हैं अथवा जिनके परिवार में हृदय रोग के मामले रहे हैं, उन्हें हार्ट अटैक पड़ने का खतरा अधिक रहता है। इस नए अध्ययन से पाया गया है कि एस्प्रीन ऐसे लोगों में हार्ट अटैक के खतरे को कम करती है। एस्प्रीन रक्त को पतला बनाती है और रक्त के थक्के बनने से रोकती है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका घट जाती है।

इस जानकारी से आप किसी की जान इमरजेंसी हालात में बचा सकते है| ह्रदय रोगों से बचाव और अन्य खानपान से जुडी जानकारी पर भी हमने काफी पोस्ट पब्लिश किये है, उनको भी आप जरुर पढ़ें और स्वस्थ जीवन शैली अपनाए तथा अपने आपको तथा अपने सगे सम्बन्धियों को दिल के रोगों से बचाए |

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