जानिए गिलोय का पौधा कैसा होता है तथा गिलोय की पहचान कैसे करे ?

पिछले पोस्ट में हमने गिलोय के कई औषधीय गुणों तथा आयुर्वेदिक नुस्खो के बारे में बताया था आप में से ज्यादातर लोगो के प्रश्न गिलोय की पहचान करने से सम्बन्धित थे, तो इस बात को ध्यान में रखते हुए इस आर्टिकल में इस विषय पर विस्तार से बताया गया है | की गिलोय क्या है,  गिलोय का पौधा दिखने में कैसा होता है ? गिलोय के विभिन्न नाम, आयुर्वेद में गिलोय से बनी कई कामयाब औषधियां तथा गिलोय के रस बनाने की विधि |

गिलोय कई नामों जैसे अमृता, अमृत बेल, छिन्ना, गुड़ची, छिन्नोद्रवा, छिन्नकहा तथा चक्रांगी आदि नामों से भी जानी जाती है। गिलोय की जड़, फल तथा पत्ती का उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है लेकिन इसका तना यानि डंडी का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है।

गिलोय का पौधा कैसा होता है ?

giloy ki bel kaisi hoti hai pehchan taseer जानिए गिलोय का पौधा कैसा होता है तथा गिलोय की पहचान कैसे करे ?
गिलोय के पत्ते, फल, तने की फोटो

गिलोय का पौधा दरअसल एक झाडीदार लता यानि बेल होती है यह खेतों की मेंड़, घने जंगल, घर के बगीचे, मैदानों में लगे पेड़ों के सहारे कहीं भी गिलोय की बेल प्राकृतिक रूप से अपना घर बना लेती है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर पाउडर के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं | यह नीम और आम आदि के वृक्षों पर फैली हुई देखी जा सकती है। इसके पत्ते चिकने और पान की शक्ल के होते हैं । इसकी बेल पीले सफेद रंग की होती है। और पुरानी होने पर मोटी होती जाती है यह कभी सूखती या नष्ट नहीं होती है तथा इसे काट देने पर उसमें से फिर नई लता पैदा हो जाती है । यह पेड़ के सहारे ही चढ़ती है और उसके ऊपर फ़ैल जाती है ।

पतझड़ में इसके पत्ते झड़ जाते हैं और बरसात में इस पर फिर से नए पत्ते आ जाते हैं। नीम के पेड़ पर फैलने वाली गिलोय को “नीम गिलोय” कहते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये इसके नीचे आपको हरा, मांसल भाग दिखाई देता है | सामान्य सी दिखने वाली यह बेल कोई साधारण बेल नहीं है। इसमें अनेक आयुर्वेदिक गुण विद्यमान हैं । गिलोय में एंटी-ऑक्सीडेंट्स सबसे अधिक होते है इसकी वजह से ही यह इतनी प्रसिद्ध है | इसके अन्दर कैल्शियम, फास्फोरस, प्रोटीन और स्टार्च काफी मात्रा में पाया जाता है। मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

विभिन्न भाषाओं में गिलोय के नाम

  1. हिन्दी – गिलोय, गुचि, गुर्च, गुलबेल
  2. अंग्रेजी – गेलो (Galo)
  3. राजस्थानी – गिलोय, गिलव
  4. गुजराती – गलो
  5. बँगला – गुलञ्च, गुलच
  6. गिलोय का मराठी नाम – गुलबेल
  7. तमिल– शिंडिलकोडि
  8. तेलगु – टिप्पारिगो
  9. लेटिन – Tinospora Cordifolia
  10. वानस्पतिक कुल – गुडुची कुल (Menispermaceae)

गिलोय पूरे भारतवर्ष में समुद्र तल से 900 मीटर की ऊँचाई तक प्राप्त होती है |

गिलोय की पहचान  

गिलोय की जड़ की पहचान –

इसकी जड़ सफेद रंग की होती है। यह मुलायम व रसयुक्त होती है तथा इसमें तेज एरोमैटिक गन्ध होती है। इसके नोड्स पर अन्य कई कोमल छोटी जड़ें भी उपस्थित होती हैं।

गिलोय का तना

गिलोय का तना हरा, मांसल तथा इसका भीतरी भाग चक्राकार होता है। इसके तने पर भूरे या राख जैसे रंग  की पतली छाल होती है। तने के पुराने हो जाने पर वह फटती जाती है। नया तना हरा व कोमल होता है जबकि तने के पुराने हो जाने पर यह भूरा तथा सफेद धब्बों वाला हो जाता है। यही सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है |

गिलोय की पत्तियाँ

गिलोय की पत्तियाँ एक खास क्रम में विकसित होती हैं तथा ये दिल या पान के पत्ते जैसे आकार की होती होती हैं। पत्ती की ऊपरी सतह गहरे हरे रंग की होती है जबकि निचली सतह हल्के हरे रंग की होती है। पानी की अधिकता में पत्तियों का आकार बड़ा होता है। विकसित पत्ते की लम्बाई 3-5 इंच तथा चौड़ाई लगभग 3-4 इंच की होती है। पत्तियाँ लम्बे डालियों द्वारा मुख्य तने से जुड़ी होती हैं। पत्ती की मुख्य शिरा (नस) साफ़ व मोटी होती हैं। तथा पार्श्व शिराएँ पतली होती हैं। पतझड़ में इसकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं।

गिलोय का फूल कैसा होता है ?

गिलोय का फूल कैसा होता है
गिलोय के फूल

गिलोय के फूल पेनिकल रेसीम अर्थात् कोंपल में लगे रहते हैं। जब पौधा पत्ती रहित होता है तभी इसमें फूल लगते हैं। फूल पत्ती के अक्ष से निकलते हैं तथा फूलों का रंग पीला या हरा-पीला होता है। इसके पुष्प गुच्छों में लगे रहते हैं।

गिलोय का फल कैसा होता है ?

गिलोय का फल कैसा होता है पहचान
गिलोय का फल

इसके फल मटर के समान गोल या अंडाकार होते हैं। इसका कच्चा फल हरा होता है जबकि पकने पर यह लाल रंग लिए होता है। रसयुक्त कोमल फल में एक ही बीज होता है जो कि घुमावदार होता है। गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है इसे “गिलोय सत्व” कहते हैं | उपर दी हुई फोटो गिलोय के फलो की है इसके कच्चे फल हरे रंग के होते है और पके हुए फल लाल रंग के होते है |

गिलोय की खेती कैसे की जाती है ?

गिलोय को अमृता कहा गया है। शरीर की जीवनी शक्तियों तथा शरीर के कई रोगों को दूर करने के लिए आयुर्वेद में चार जड़ी-बूटियों का विशेष महत्त्व है– आँवला, गिलोय, अर्जुन तथा जीवन्ती। इसलिए गिलोय की खेती करना बहुत लाभदायक है। वैसे तो इसकी जड़, तना, पत्ती, फूल और फल सबमें औषधीय गुण मौजूद होते हैं लेकिन बाजार में इसका तना या तने से निकाला गया सत्व ही ज्यादा बिकता है। गिलोय की लता पेड़ पर चढ़ती है। नीम के पेड़ पर चढ़ी लता को “नीम गिलोय” कहते हैं। जिसका आयुर्वेद में विशेष महत्त्व है। इसकी लता को चढ़ाने के लिए नीम का पेड़ सबसे अच्छा माना गया है।  गिलोय के तने को काटकर 3-4 इंच बड़े टुकड़े करके बेचा जाता है। प्रति हेक्टेयर इसके तने का उत्पादन लगभग 8-10 क्विंटल होता है। इस समय इसका बाजार मूल्य लगभग 15-20/- रुपए प्रति किलो है। जो किसान गिलोय की खेती करना चाहते है उन्हें ये बातें ध्यान में रखनी चाहिए – इस बेल की उपज के लिए बलुई दोमट मिट्टी (काली – लाल) अच्छी रहती है | पौधारोपण और कलम काटने का सबसे अच्छा समय जुलाई-अगस्त है और 6 -8 इंच की कलमो से इसका पौधारोपण किया जाता है |

अपने घरेलू  इस्तमाल के लिए गिलोय की बेल को घर में उगाना सबसे आसान और अच्छा उपाय है, इसके लिए आपको केवल इसकी ताजा डंडियों को गमले में बोना है इसके बाद यह बड़ी आसानी से बड़ी बेल बन जाती है | इसकी विधि इसी पोस्ट में नीचे बताई गई है |

आयुर्वेदिक में गिलोय के योग से बनी कामयाब दवाइयां

गुडूच्यादि चूर्ण, गुडूच्यादि क्वाथ, गुडूचीलौह, अमृतादि क्वाथ, अमृतारिष्ट, गुडूची तैल आदि गिलोय-प्रधान योग हैं। इसको काढ़े के रूप में सेवन करने की मात्रा 50 मि.लि. (एक कप), चूर्ण के रूप में 3 से 5 ग्राम रस के रूप में 1 से 2 चम्मच बडा और सत्व के रूप में 1 या 2 ग्राम है। इसका उपयोग ठंड से चढने वाले बुखार, शुक्र-क्षय, कमजोरी और मूत्र-विकारों में बहुत ही लाभप्रद रहता है ।

  • आयुर्वेदाचार्य ज्यादातर गिलोय की डंडी का ही प्रयोग करते हैं ; पत्तों का नहीं उसका लिसलिसा पदार्थ ही दवाई होता है। डंडी को ऐसे भी चूस भी सकते है या आप चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी |
  • गिलोय क्वाथ से मरिचचूर्ण तथा शहद मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है।
  • गिलोय तथा अश्वगन्धा को दूध में पकाकर लेने से बांझपन दूर होता है।
  • गिलोय सत्व को आँवले के रस के साथ लेने से आँखों के कई रोग दूर होते है। गिलोय के अन्य लाभ जानने के लिए पढ़ें यह पोस्ट –
  • गिलोय के फायदे और 28 बेहतरीन औषधीय गुण

गिलोय का रस बनाने की विधि –

गिलोय का रस पत्तो से तथा इसकी डंडी से बनाया जाता है और दोनों का ही अलग- अलग महत्त्व है तथा अलग-अलग रोगों के उपचार में प्रयोग किया है | जैसा की हमने ऊपर बताया है इसकी डंडी का अधिक महत्त्व होता है | गिलोय की तासीर गर्म होती है तथा यह एक हर्ब होती है इसलिए इसको अधिक मात्रा में या बिना सही जानकारी के ना पियें इससे नुकसान भी हो सकता है | गिलोय का रस तैलीय होने के साथ साथ स्वाद में कडवा और हल्की झनझनाहट लाने वाला होता है।

गिलोय की डंडी की पहचान के लिए देखे यह विडियो 

गिलोय का रस बनाने के लिए इसकी डंडी लेकर काट कर छोटे-छोटे टुकड़े करके जूसर में डालकर जूस निकाल ले | बेहतर यह होगा की आप किसी पत्थर के सिल बट्टे पर इसको पीसे उसके बाद गिलोय की डंडी से बने इस पेस्ट को निचोड़ ले हालांकि यह थोडा कठिन होता है | देखें यह विडियो

सवाल जवाब 

गिलोय का पौधा कैसे लगाएं ? गिलोय का पौधा घर पर कैसे लगाएं ?

गिलोय का पौधा कैसे लगाएं / गिलोय का पौधा घर पर कैसे लगाएं
गिलोय का पौधा कैसे लगाएं
  • सबसे पहले गिलोय की 3 से 4 गांठों वाली डंडियाँ (कलम ) काट लें इन कलमो की लम्बाई 6 से 8 इंच तक होगी तो बेहतर होगा | अब एक गमले में मिटटी डाले, मिट्टी की ऊंचाई गमले में इतनी रखें जिससे की गमले में 2 से 3 ग्लास पानी रुकने की जगह बची रहे | यदि मिटटी अधिक उपजाऊ नहीं है तो उसमे दो मुट्ठी कोकोपीट खाद, या गोबर से बनी खाद डाल लीजिये | इसके बाद गिलोय की तीनो कलमो को लगभग 4 इंच तक मिटटी में दबा दे इसके बाद 2 गिलास पानी डाल दें | इन कलमो से पत्तो के अंकुर निकलने में लगभग 2 हफ्तों से लेकर 21 दिनों का समय लग सकता है | ये याद रखें की गिलोय की बेल से डंडी काटने के बाद 24 घंटो के अंदर इसे लगा देना चाहिए हालाँकि आप जितनी जल्दी इसे बोयेंगे उतना ही अच्छा परिणाम मिलेगा | जैसे ही गिलोय की बेल बढने लगे इसको सहारा देने के लिए इसके अगले हिस्से को किसी रस्सी से बांध दें या लकड़ी की सहायता से इसे ऊपर बढ़ने के लिए सपोर्ट बना दें |

 

गिलोय का पौधा कहां मिलेगा ?

  • गिलोय का पौधा आपको नर्सरी से या ऑनलाइन भी मिल जायेगा | यदि आपके आसपास इसकी बेल मौजूद है तो आपको सिर्फ इसकी डंडियाँ चाहिए इन्हें आप काट कर लगा सकते है |

गिलोय को कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए ?

  • एक दिन में सूखे गिलोय की 20 ग्राम मात्रा तक का सेवन किया जा सकता है | और गिलोय के जूस की 20 मिली (ml) मात्रा से ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए |

सूखी गिलोय को इस्तमाल करने का तरीका :

  • सूखी गिलोय के 4 से 5 टुकड़े एक गिलास गर्म पानी में धीमी आंच पर तब तक उबाले जब तक की पानी कम होकर आधा गिलास ना हो जाये इसके बाद इसे चाय की तरह पियें इस तरह आप गिलोय का भरपूर लाभ उठा पाएंगे
  • गिलोय के पाउडर या कवाथ का प्रयोग भी आप ऐसे ही एक चम्मच गर्म पानी में उबालकर कर सकते है |
  • सूखे गिलोय को धूप और नमी से दूर रखकर आप इसे कई सालो तक भी लगातार प्रयोग कर सकते है | ये खराब नहीं होगा |

एलोपैथिक मेडिसिन के साथ गिलोय का यूज़ करना है

  • एलोपैथिक मेडिसिन के साथ गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए कम से कम 4 से 5 घंटो का अंतराल जरुर रखें या इस विषय पर एलोपैथिक दवा देने वाले डॉक्टर से सलाह लें |

गिलोय जूस किस बर्तन में लेना चाहिए ?

  • कोई भी जूस कांच या सिरेमिक, चीनी मिटटी, लकड़ी के बर्तन में लेना चाहिए या स्टोर करना चाहिए |

गिलोय और गिलोय अमला स्वरस के फायदे सामान है |

  • नहीं इन दोनों के लाभ अलग-अलग होते है | गिलोय का रस आंवले के रस के साथ मिलाकर लेना आंखों के रोगों के लिए लाभकारी होता है। इसके सेवन से आंखों के रोगों तो दूर होते ही है, साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ती हैं। जबकि केवल गिलोय का सेवन करने से मुख्यतः शरीर की रोग प्रति रोधक क्षमता बढती है तथा अन्य भी कई लाभ है जो आप यहाँ पढ़ें – गिलोय के फायदे काढ़ा बनाने की विधि और 32 बेहतरीन औषधीय गुण

गिलोय से बना काढ़ा पी कर प्राणायाम कर सकते हैं ?

  • प्राणायाम खाली पेट करना अच्छा होता है आप चाहे तो गिलोय और आंवला का जूस पीकर भी प्राणायाम कर सकते है |

गिलोय विथ नींबू और नमक इस गुड और नॉट ?

  • गिलोय नींबू और नमक के साथ आप ले सकते है इसके कोई नुक्सान नहीं होते |

क्या हार्ट पेशेंट गिलोय का यूज़ कर सकते है ?

  • जी हाँ दिल के मरीज गिलोय का सेवन कर सकते है लेकिन अगर आपका ब्लड प्रेशर कम रहता है तो अपने डॉक्टर की सलाह से ही गिलोय का सेवन करें |
गिलोय को गर्मियों में लेना चाहिए फिर तो नहीं ?
  • गिलोय की तासीर गर्म होती है जैसे अदरक, काली मिर्च, लहसुन आदि की तरह इसलिए गर्मियों में गिलोय अपनी क्षमता के अनुसार ही लें यदि आप ज्यादा धूप गर्मी में रहते है तो फिर इसका सेवन कम ही करें |
क्या गिलोय जूस हाइपरटेंशन में पिया जा सकता है?
  • जी हाँ बिलकुल पिया जा सकता है |
अमरूद के पेड़ की गिलोय के फायदे 
  • इस विषय पर अब तक कोई शोध नहीं हुए है |
गिलोय का जायका कैसा होता है ?
  •  थोडा सा कसैला होता है |

घी के साथ गिलोय खाने से क्या होता है ?

  • घी के साथ गिलोय लेने से वात रोग ठीक होते है। गुड़ के साथ गिलोय लेने से कब्ज दूर होती है। खांड के साथ गिलोय का सेवन करने से पित्त दूर होता है। शहद के साथ गिलोय लेने से कफ की शिकायत दूर होती है। अरण्डी के तेल के साथ गिलोय लेने से गैस दूर होती है।

[ratings]

 

अन्य सम्बंधित पोस्ट

New-Feed

10 thoughts on “जानिए गिलोय का पौधा कैसा होता है तथा गिलोय की पहचान कैसे करे ?”

  1. मेरे सिर में दरद होता है? आंखो में आंसू निकलते रहते हैं,घाव सा लगता हैं पढ़ते समय नींद आ जाती है तथा चेहरे पर सुसती छा जाती है इन परेशानियों का कोई इलाज बताइये?

    Reply
    • शशिनाथ जी सबसे पहले तो आप अपनी आँखों की जाँच करवा लें, वैसे आँखों की कमजोरी या शरीर की कमजोरी में गाजर और चुकंदर का जूस पीना लाभकारी होता है |

    • मुकेश जी आप अपने पेट की जाँच करवाएं ये लक्षण पेट में कीड़े होने के संकेत है |

  2. Very Good Information Sir,
    Giloy is really very useful herb. to boost your immunity consuming natural giloy juice, kadha or tea can be the best option. The presence of antioxidants in giloy helps in fighting cell damage caused due to the presence of free radicals.
    I have written various articles on giloy tea recipes.
    Thanks

    Reply

Leave a Comment