कैंसर से बचने के लिए खाने पीने की इन चीजो से रहे दूर -Cancer Causing Foods

जब भी कभी असाध्य, जटिल या गंभीर रोगों की बात होती है तो सबसे पहला नाम कैंसर का आता है। जो किसी को, किसी भी उम्र में हो सकता है। कैंसर का इलाज यदि शुरुआती स्तर पर नहीं किया जाता तो आगे चलकर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है | हमारे शरीर के रोगमुक्त रहने के लिए यह बहुत जरूरी है की हम जो खाना खाते है वह स्वस्थ पोष्टिक तथा प्राकृतिक अवस्था में होना चाहिए, लेकिन आजकल भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कई तरह के रंगो तथा केमिकल का प्रयोग किया जाता है जो कई अन्य बिमारियों के साथ कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को भी बढ़ावा दे रहा है | इसके अतिरिक्त कम जमीन से अधिक पैदावार के लालच ने भी कई तरह के हानिकारक रसायनों के प्रयोग को  बढ़ावा दिया है जिससे कैंसर जैसी बीमारियाँ तेजी से अपने पैर पसार रही है | ऑनकोजीन को सक्रिय करने में भोजन का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। वैसे ऑनकोजीन प्रदूषण, हानिकारक रसायन, वायरस, रेडिएशन इत्यादि कारणों से भी सक्रिय हो सकता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, लगभग 50 प्रतिशत कैंसर खान-पान की गलत आदतों के कारण होता है। यदि भोजन में पर्याप्त सावधानी बरती जाए तो काफी हद तक कैंसर से बचाव हो सकता है। कुछ भोज्य पदार्थों के अत्यधिक मात्रा में सेवन से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, जबकि अन्य से बचाव हो सकता है। आजकल हम जाने अनजाने कुछ भी खा लेते है लेकिन शायद यह देखने का समय है कि हमारे भोजन में क्या है। आपका आहार कैसे बन सकता है कैंसर का कारण व किस प्रकार के आहार से आपको सावधान रहना चाहिए इस पोस्ट में इस विषय पर जानकारी दी गई है | रोगों से बचाव ही सबसे अच्छा उपचार है | Food that cause Cancer.

कैंसर से बचाव के लिए इन चीजो से रहे दूर

कैंसर से बचने के लिए इन खाने पीने चीजो से रहे दूर cancer se bachav ke khane ka parhej
कैंसर से बचाव
  • जेनेटिकली मॉडीफाइड ऑर्गेनिज्म (जीएमओ) : आजकल जिस तरह प्रकार से रसायनों का ज्यादा-से-ज्यादा प्रयोग करके और फसलों में जेनेटिकली बदलाव करके खाने-पीने की चीजें उगाई जा रही हैं, उससे शरीर में ट्यूमर के बनने की गति तेज हो गई है। इनसे बचने का एकमात्र उपाय यही है कि ऑर्गेनिक खेती से पैदा हुए गैर जीएमओ सर्टिफाइड पदार्थ खाए जाएं। दूसरा तरीका यह है कि स्थानीय स्तर पर उगाए गए भोज्य पदार्थों का सेवन किया जाए। हालांकि एक आम व्यक्ति के लिए यह करना बहुत मुश्किल है।
  • प्रोसेस मीट : प्रोसेट मीट (जैसे लंच मीट, बेकन, सॉसेज, हॉट डॉग आदि) के हर आइटम को ताजा और आकर्षक बनाने के लिए उसमें ऐसे रसायन मिलाए जाते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। इन्हीं में से दो प्रमुख रसायन हैं सोडियम नाइट्राइट और सोडियम नाइट्रेट, जो कोलन (आंत) और अन्य कई प्रकार के कैंसर की आशंका को बढ़ाते हैं। इसलिए प्रोसेस मीट से दूर रहना चाहिए।
  • माइक्रोवेव पॉपकॉर्न : पॉपकॉर्न खाने में कोई गड़बड़ी नहीं है, लेकिन माइक्रोवेव पॉपकॉर्न को जिन बैग में भरा जाता है, वे ऐसे रसायन से बने होते हैं, जो कई प्रकार के इस बीमारी को जन्म दे सकते हैं। यूएस एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) ने माइक्रोवेव पॉपकॉर्न बैग में परफ्लूओरोक्टेनोइक एसिड (पीएफओए) नाम के रसायन की पहचान की है, जो शरीर में ट्यूमर पैदा करने के लिए जाना जाता है। माइक्रोवेव पॉपकॉर्न में डाइएसिटाइल नाम का रसायन भी इस्तेमाल किया जाता है, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने और कैंसर पैदा करने के लिए जाना जाता है।
  • सोडा पॉप : बाजार में मिलने वाले सभी प्रकार के सोडा पेय, सॉफ्ट ड्रिक, कोल्ड ड्रिक, कोक ड्रिक आदि सोडा पॉप के तहत आते हैं। इन सभी में चीनी, फूड केमिकल, कलरिंग केमिकल मिलाए जाते हैं। इस प्रकार के पेय शरीर को एसीडीफाई (अम्लीय) करते हैं और कैंसर कोशिकाओं का पेट भरने का काम करते हैं। इन पेय पदार्थों में एक रसायन कैरामेल कलर और इसका डेरिवेटिव 4-मिथाइलीमाइडेजोल बहुत आम है, जो इस बीमारी की आशंका को बढ़ाते हैं।
  • आलू के चिप्स – आलू के चिप्स में स्वाद, कई संरक्षक, और रंग भी होते हैं, जो आपके शरीर की जरूरत नहीं है। आलू के चिप्स को उच्च तापमान में तला जाता हैं और उन्हें खस्ता बनाता है लेकिन इससे वे acrylamide नामक रसायन बनाने का भी कारण बनता है।
  • डाइट सोडा ड्रिक और फूड : इनको विशेषज्ञ कैंसर के मामले में सोडा पॉप से भी ज्यादा नुकसानदायक मानते हैं। 20 से ज्यादा अध्ययनों में यह पाया गया है कि कृत्रिम चीनी के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला बहुत आम पदार्थ एसपार्टेम न केवल बच्चे के जन्म के समय कई मुश्किलें पैदा करता है, बल्कि वयस्क लोगों में भी इस बीमारी का कारण बनता है। डाइट फूड और पेय पदार्थों में एसपार्टेम बहुतायत में इस्तेमाल होता है। यही नहीं सैकरीन, सुक्रेलोस और कृत्रिम चीनी के रूप में इस्तेमाल होने वाले बाकी सभी पदार्थ भी कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।
  • रिफाइंड सफेद आटा और प्रोसेस फूड : बाजार में मिलने वाले सभी प्रोसेस फूड में रिफाइंड सफेद आटा या मैदा का इस्तेमाल किया जाता है। मैदा एक रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट है। एक अध्ययन के अनुसार, मैदे का ज्यादा इस्तेमाल महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बहुत बढ़ा देता है। खास बात : जिन भोज्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है यानी जो पदार्थ शरीर में जाकर ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा देते हैं, वे पदार्थ सीधे-सीधे कैंसर कोशिकाओं को भोजन देने का काम भी करते हैं। उनका साथ पाकर कैंसर कोशिकाएं ज्यादा तेजी से बढ़ती और फैलती हैं। इसका मतलब यह है कि ज्यादा चिकनाई वाले, ज्यादा वसा वाले, ज्यादा तले-भुने पदार्थ कैंसर को बढ़ाने का काम करते हैं।
  • रिफाइंड शुगर : रिफाइंड शुगर (सफेद चीनी) की ज्यादा मात्रा भी शरीर में जाकर तुरंत कैंसर कोशिकाओं को बढ़ावा देने का ही काम करती है। फ्रक्टोस के धनी मीठे पदार्थ जैसे हाई फ्रक्टोस कॉर्न सिरप (एचएफसीएस) को तो कैंसर कोशिकाएं बहुत जल्द मेटाबॉलाइज करती हैं। केक, कुकीज, पाई, सोडा, डिब्बाबंद जूस, सॉस और अन्य ज्यादातर प्रोसेस फूड हाई फ्रक्टोस कॉर्न सिरप और अन्य रिफाइंड शुगर का इस्तेमाल किया जाता है। इन उत्पादों को आजकल लोग खूब खा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसी वजह से आज कैंसर की बीमारी बहुत तेजी से फैलती जा रही है।
  • अच्छे फल भी गड़बड़ करते हैं : हम स्टोर से बेहिचक सेब, अंगूर, स्ट्रॉबेरी जैसे फल खरीदते हैं, क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं, लेकिन अगर ये फल पेस्टीसाइड से मुक्त नहीं हैं तो कैंसर पैदा करने का बड़ा कारण बन सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, आज स्थिति यह है कि परंपरागत ढंग से उगाए जा रहे 98 फीसदी फल-सब्जियां पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से मुक्त नहीं हैं। कैंसर के ज्यादा फैलने का यह बहुत बड़ा कारण है। ऑर्गेनिक खेती के जरिए उगाए जा रहे फल-सब्जियां ही कैंसर से बचाव कर सकते हैं।
  • फार्ल्ड सामन मछली : फार्मिंग के जरिए उत्पादित की जाने वाली सामन मछली से भी कैंसर का खतरा बहुत बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, फार्ल्ड सामन में विटामिन डी का अभाव होता है। इसका उत्पादन करने के लिए जिन परिस्थितियों का निर्माण किया जाता है, उनमें कारसिनोजेनिक पेस्टीसाइड और एंटी बायोटिक्स का इस्तेमाल होता है। इन सबसे कैंसर का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
  • सप्लिमेंट्सवज़न कम करने की प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले लोकप्रिय सप्लामेंट्स कैंसर के होने की संभावना का कारण बन सकता है में मौजूद क्रोमियम कैंसर की बीमारी पैदा कर सकता है
  • हाइड्रोजेनेटेड तेल : प्रोसेस फूड यानी फास्ट फूड और अन्य डिब्बाबंद भोजन को संरक्षित रखने के लिए बड़े पैमाने पर इस तरह के तेल यानी ट्रांस फैट का इस्तमाल किया जाता है। यह तेल शरीर में पहुंचकर कोशिकाओं की झिल्ली की बनावट और लचीलेपन को बदल देता है, जिससे कैंसर जैसी बीमारी को पनपने का मौका मिलता है।
  • अत्यधिक मात्रा में अचार तथा मिर्च-मसाले, स्मोक्ड भोज्य पदार्थों का सेवन करने से भी ग्रास नली एवं आमाशय के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि भोजन को तलने, ग्रिल करने, स्मोक्ड करने, अत्यधिक तापमान पर पकाने से इसमें कैंसरकारक तत्त्व उत्पन्न हो जाते हैं। यदि भोजन कम तापमान पर पकाया जाता है या इनको पकाने, सुरक्षित रखने के लिए ऑक्सीडेशन, पॉलीमराइजेशन विधि का इस्तेमाल किया जाता है तो इनमें हानिकारक ऑक्सीजन रेडिकल बन जाते हैं, जिसके कारण कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। यह भी जरुर पढ़ें – कैंसर से लड़ने वाले आहार : डाइट फॉर कैंसर पेशेंट
  • भोजन में अत्यधिक वसा का सेवन करनेवालों में स्तन, ग्रीवा, बड़ी आँत, प्रोस्टेट के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। असंतृप्त वसा यानि प्यूफा वसा सेवन से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर का कैंसर से बचाव करता है।
  • भोजन में घी-तेल कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। दूध मलाई या क्रीम निकालकर या स्कीम्ड दूध और इसी दूध से बने दुग्ध पदार्थों का सेवन करें। भोजन को कम-से-कम घी-तेल में पकाएँ। मांसाहारी के लिए गोश्त (रेड मीट) के स्थान पर चिकन, मछली (व्हाइट मीट) ठीक रहता है। गोश्त पकाने से पूर्व इसकी चरबी हटा दें।
  • यह भी पता चला है कि घी-तेल को अत्यधिक गरम करने से या एक ही तेल को बार-बार गरम करने से इसमें हानिकारक कैंसरकारक तत्त्व बन जाते हैं, अतः घी-तेल को अत्यधिक तेज आँच पर गरम न करें। एक बार गरम घी-तेल को पुनः उपयोग में न लाएँ।
  • चिकित्सा विज्ञानियों ने पाया है कि शाकाहारियों में मांसाहारियों की अपेक्षा कैंसरग्रस्त होने की संभावना कम होती है, साथ ही मोटे व्यक्तियों में स्तन, पित्ताशय, अंडाशय, गर्भाशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि इत्यादि के कैंसर की संभावना ज्यादा होती है। भोजन में कैलोरी की मात्रा नियंत्रित करने से, वजन सामान्य होने से कुछ कैंसर के अतिरिक्त मोटापे के कारण होनेवाले अन्य रोगों जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय धमनी रोग (एंजाइना, हार्टअटैक), मधुमेह इत्यादि से बचाव भी होता है।
  • अधिकांशत: बने-बनाए भोज्य पदार्थ डबलरोटी, बिस्कुट, केक, चॉकलेट, जैम, जेली, आइसक्रीम, कैचप, ठंडे पेय, डिब्बाबंद, पैकेटबंद भोज्य पदार्थों को सुरक्षित रखने और खुशबू, स्वाद, रंग देने के लिए रसायन मिलाए जाते हैं। अनेक रसायनों के कैंसरकारक होने का शक है। अत: इन रसायन मिले भोज्य पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। जहाँ तक संभव हो, ताजा भोजन ही करें।
  • मूंगफली, मक्का, चावल, ज्वार, गेहूँ के फफूंद ग्रस्त होने पर यह एप्लोटॉक्सिन स्रावित करता है। यदि इन संक्रमित अनाजों का सेवन किया जाता है तो यकृत कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
  • चीनी के स्थान पर भोज्य पदार्थों को मीठा बनाने के लिए सैक्रीन तथा अन्य रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका अत्यधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। अत्यधिक कॉफी का सेवन करने से मूत्राशय व अग्न्याशय के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। अत: कॉफी का सेवन भी सीमित मात्रा में करें |
  • अगले पोस्ट में हम कैंसर से बचाव के लिए क्या खाना चाहिए इस विषय पर बतायेंगे |

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