फोड़े फुंसी का घरेलू उपचार तथा फुंसी होने के कारण

फोड़े फुंसी दिखने में काफी छोटे लगते हैं पर यदि इनका इलाज समय से ना किया जाए तो यह गंभीर बिमारी का रूप ले लेती है। इनका इलाज घरेलू नुस्खो द्वारा ज्यादा प्रभावी एवं सफल है। त्वचा पर फोडे फुंसी होने के मुख्यतः दो कारण होते है एक संकर्मण और दूसरा शरीर में गर्मी बढ़ने से | इनमें शुरू में दर्द होता है। बाद में कुछ समय के बाद पीब पैदा हो जाती है। कुछ फुसियां तो पकने के बाद अपने आप ठीक हो जाती हैं लेकिन कुछ पकने के बाद कड़ी हो जाती हैं। इनमें कील पैदा हो जाती है जो मवाद के साथ ही बाहर आती है। कील निकल जाने के बाद, दर्द तथा जलन नहीं रहती। बार- बार फोड़े फुंसी  होने कारण किसी चीज से एलर्जी होना भी हो सकता है जिसका उपचार केवल एलर्जी उत्पन्न करने वाली चीज से दूर रहना ही होता है उस पर ज्यादातर मामलों में दवा या घरेलू नुस्खे का उपचार कामयाब नहीं होते है |

फोड़े फुंसी के कारण तथा फोड़े फुंसी क्यों होते है ?

गंदे पानी के सेवन या गंदे पानी में नहाने से, कीटाणुओ के संक्रमण होने से, रक्त में खराबी होने से, गर्मियों अधिक गर्म चीजे के सेवन से जैसे गुड, तेज मिर्च मसाले, चाय तथा या बरसात में अधिक आम खाने से फो से भी फोड़े फुंसी  उत्पन्न हो सकते है, किसी कीट पतंगे या मच्छर के काटने से,आस-पास के प्रदूषित वातावरण के कारण, कई बार पैरों या जांघों में एक बाल के साथ दूसरा बाल निकलने की कोशिश करता है तब बाल तोड़ (फोड़ा) बन जाता है|  इसके अतिरिक्त विभिन्न बीमारियों में खाई जाने वाली दवाओं के साइड इफ़ेक्ट के रूप में भी फोडे फुंसी निकल सकते है |

फोड़े फुंसी का घरेलू उपचार

फोड़े फुंसी का घरेलू उपचार तथा फुंसी होने के कारण fode funsi ka gharelu ilaj upchar nuskhe dawa
फोड़े फुंसी का घरेलू उपचार
  • फोड़े फुंसी के घरेलू इलाज के लिए मुख्य रूप से नीम और तुलसी सबसे महत्त्वपूर्ण होते है | नीम में एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुण फोडे फुंसी के लिए बहुत उपयोगी है इसलिए इनके उपचार के लिए बनने वाली आधुनिक दवाओ तथा क्रीम में भी ज्यादातर नीम प्रयोग किया जाता है, इस्तेमाल का तरीका यह है कि नीम को पीसकर इसका पेस्ट तैयार कर लें। पेस्ट को त्वचा के संक्रमित हिस्से पर लगाएं। दूसरा तरीका यह है कि नीम की पत्ती को उबालकर इसका पेस्ट तैयार कर लें और पेस्ट को कुछ देर के लिए फोड़े पर लगा रहने दें। उसके बाद पानी से धो लें। ऐसा नियम से कई बार करें।
  • नीम की छाल को किसी पत्थर पर थोड़े से पानी के साथ घिस कर इस पेस्ट को लगाने से भी फोड़े फुंसी ठीक हो जाते है |
  • नीम पत्ते मिला हुआ दो चम्मच पानी रोजाना पीने से भी लाभ होगा।
  • नीम के पत्ते पानी में उबाल कर इस पानी से नहाने से त्वचा की लगभग सभी संक्रमणों से छुटकारा मिलता है |
  • त्वचा के रोगों से बचाव तथा खून साफ़ करने के लिए – मार्च-अप्रैल में जब नीम के पेड़ों पर नई-नई कोंपलें आने लगें तो इक्कीस दिनों तक सबेरे बिना कुछ खाए-पिए मुँह साफ करने के बाद ताजा पंद्रह कोंपलें (बच्चों के लिए सात कोंपलें) हर रोज चबाकर खाने या गोली बनाकर निगल लेने से खून की खराबियाँ, फोड़े फुंसी सहित विभिन्न प्रकार के चर्मरोगों से साल भर के लिए बचाव हो जाता है। इस प्रयोग से मलेरिया तथा बुखार आदि बीमारियाँ होने की संभावना समाप्त होती है। इस प्रयोग के साथ ध्यान रखने की बात यह है कि खाली पेट कोंपलें खाने के बाद लगभग दो घंटे तक कुछ भी न खाएँ। बेहतर परिणाम के लिए इस प्रयोग के दौरान तेल, खटाई, मिर्च एवं तली चीजों से जहाँ तक संभव हो परहेज करें।
  • फोड़े फुंसी ठीक कर देता है Tea Tree Oil: टी ट्री ऑयल में एंटी माइक्रोबियल और एंटी बैक्टीरियल गुण होता है। यह न केवल फोड़े से राहत दिलाता है, बल्कि आगे भी फोड़ा होने की आशंका कम कर देता है। यह तेल बाजार में आसानी से मिल जाता है। रुई को इस तेल में भिगोकर फोड़े पर लगाएं। ऐसा कुछ दिनों तक दिन में पांच-छह बार करें।
  • अलसी तथा पीपल की छाल को मिलाकर कूट लें। फिर इसे गरम करके फोड़ा या बालतोड़ पर रखकर पट्टी बांध दें। दो-तीन दिन में कील निकलने के बाद बालतोड़ या फोड़े फुंसी सूख जाएगी।
  • पीपल की छाल के चूर्ण में काला जीरा पीसकर मिला लें। इसमें जरा-सा सरसों का तेल मिलाकर फोड़े फुंसी पर लगाएं।
  • पीपल के पत्ते को देशी घी से चिकना कर लें। उसके बाद उसे गरम करके गुनगुना पीड़ित स्थान पर रखकर पट्टी बांध दें। पीपल की कोंपलों को पीसकर शहद में मिला लें। इस शहद को फोड़े फुंसी वाले स्थान पर रखकर पट्टी बांध दें। दूसरे दिन नई दवा बांधे। कुछ ही दिनों में बालतोड़ या फोड़े फुंसी सूख जाएगी। यह भी जरुर पढ़ें – नीम के बेहतरीन औषधीय गुण-सौन्दर्य के लिए
  • हल्दी में सूजन के खिलाफ काम करने की प्रवृत्ति होती है। गर्म दूध के साथ हल्दी मिलाकर पीने से फोड़े फुंसी ठीक हो जाता है। हल्दी और अदरक का पेस्ट बनाकर फोड़े पर लगाने से भी लाभ होता है। ऐसा पेस्ट कुछ दिन तक रोज फोड़े पर लगाना चाहिए।
  • प्याज में एंटी सेप्टिक गुण होते हैं। प्याज का एक टुकड़ा लेकर उसे फोड़े फुंसी पर रखें और कपड़े के एक टुकड़े से बांध दें। प्याज से पैदा होने वाली गर्मी से फोड़ा ठीक हो जाएगा। नुस्खा : प्याज को कुचलकर उसकी पुल्टिस फोड़े पर बांध लें।
  • फोड़े को कैसे पकाये – गेहूं के आटे में नमक तथा पानी डालें। इसके बाद इसे गर्म करके इसका लेप बना लें और फोड़े पर लगाएं। कई बार इस्तेमाल करें। इससे फोड़ा पककर फूट जाता है।
  • नुस्खा : मसूर की दाल पीसकर उसकी पुल्टिस फोड़े फुंसी पर बांधने से भी लाभ होगा।
  • ग्वारपाठे के पत्तों का गूदा गर्म कर जरा-सी हल्दी मिला कर पुल्टिस की तरह फोड़े फुंसी या गाँठ पर बाँधने से फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है और मवाद निकल जाता है।
  • गुड़, गुग्गल, गोंद और राई को समान मात्रा में लें और उन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। उसके बाद थोड़ा पानी मिलाकर और गर्म करके फोड़े फुंसी पर लगाएं जल्दी ही ठीक हो जायेंगे ।
  • गेंदे के फूलो को पानी में उबालकर फोड़े फुंसी को धोने से भी आराम मिलता है |
  • फोड़े फुंसी पर नीम तथा अनार के पत्तो का पेस्ट लगाना भी लाभकारी होता है |
  • तुलसी के फूल, बीज, पत्ते, छाल और जड़ को कूट पीस कर बारीक पाउडर कर लें। इसमें थोड़ा नींबू का रस मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे दाद, खुजली, फोड़े फुंसी आदि पर लगाने से रोग दूर होता है।
  • मूली के बीजों को पानी में पीसकर गर्म करें और इसे फोड़े फुंसी पर लगाएं जल्द ही ठीक हो जायेगा ।
  • अरंडी के बीज और तेल से भी होगा फायदा : अरंडी के बीजों की गिरी को पीस लें और उसका लेप-सा (पुल्टिस) बनाकर फोड़े फुंसी पर बांध लें। कुछ दिन तक रोज करें, फोड़े की तकलीफ में लाभ होगा।
  • अरंडी के तेल में आम के पत्तों की राख मिलाकर लगाने से फोड़े फुंसी से मवाद बहने की समस्या में लाभ होता है।
  • थूहर (नागफनी) के पत्तों पर अरंडी का तेल लगाकर और पत्तों को गर्म करके फोड़े फुंसी पर उल्टा लगाने से फोड़े की मवाद निकल जाती है। जब मवाद निकल जाए तो पत्तों को सीधा लगाएं।
  • फोड़े फुंसी की बीमारी ये चीजें नुकसान करेंगी इसलिए खाने पीने की इन चीजो से दूर रहे – ज्यादा गर्म, खटाई, मिर्च-मसाले, तेल और मीठे वाले पदार्थ न खाएं। फोड़े के ऊपर धूल, मिट्टी न जमने दें। फुंसी को हाथ से नहीं निकालना चाहिए इससे त्वचा पर दाग के साथ साथ संक्रमण होने की संभावना हो जाती है |

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