गर्भावस्था से जुडी समस्याएं और सावधानियां

एक गर्भवती महिला के लिए उसका हर दिन, हर पल एक  नया अनुभव होता है। विभिन्न Pregnancy problems से उसको हर रोज जूझना पड़ता है खासतौर से खास तौर से पहले व अंतिम तीन महीनों के दौरान। | मन  हमेशा कुछ शंकाओ से घिरा होता है,  इनमें से कुछ शंकाए तो सिर्फ मन का वहम होती है पर कुछ शंकाएं पूरी तरह निराधार भी नहीं होतीं है ।

शरीर में आ रहे शारीरिक परिवर्तन, अनुभूतियों और बदलाव की अनदेखी का परिणाम कई बार गर्भपात के रूप में सामने आता है। Pregnancy में यदि  आपको शारीरिक परिवर्तनों को ले कर चिंता है  तो इसमें कोई बुराई नहीं है इससे आप अपने प्रति ज्यादा सावधान रहेंगी। अपनी डॉक्टर के  संपर्क में रहने से आपका आत्मविश्वास बना रहेगा जिसका फायदा यह है की आप मानसिक रूप से मजबूत और शारीरिक रूप से रिलैक्स रहेंगी !

गर्भावस्था में  देखभाल ,सावधानियां और आम समस्याएं (Pregnancy problems)

 

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  • Pregnancy problems -सुबह की थकान – सो कर उठने के बाद कमजोरी और थकान महसूस करना Pregnancy problems में सबसे आम है ये समस्या पहले तीन महीने के दौरान ज्यादा महसूस होती है | हार्मोन में हो रहे परिवर्तनों के कारण ऐसा होता है | इस से घबराने की जरुरत नहीं है | गर्भावस्था के अनुरूप स्वस्थ आहार लेने और नियमित दिनचर्या का पालन करके आप इन समस्याओ को कम कर सकती है |
  • Pregnancy problems – शारीरिक बदलाव – गर्भावस्था के दौरान हार्मोन के बदलावों के चलते आपकी त्वचा और बालों में कुछ परिवर्तन आ जाते है जैसे कुछ गर्भस्थ स्त्रियों के चेहरे पर काले धब्बे आ जाते है|
  • गर्भावस्था में पैरों में सूजन ,हाथ पैरो में ऐंठन, और नसों का फूलना, तथा पहले के मुकाबले ज्यादा गर्मी महसूस होना आदि समस्यों से भी गर्भवस्था के दौरान दो चार होना पड़ता है | नियमित रूप से हल्का फुल्का व्यायाम और आराम से आपको काफी राहत मिलेगी |
  • गर्भधारण के बाद सुबह के समय मिचली , सरदर्द , बदहजमी होना एक आम समस्या है। यह समस्या धीरे-धीरे अपने आप काबू में आ जाती है।

Pregnancy problems – बदन दर्द

  • तीसरे महीने तक कमर दर्द बढ़ने लगता है, क्योंकि शरीर का तनाव और बच्चे का भार बढ़ता जाता है।
  • कुछ महिलाओं का कमर दर्द डिलीवरी के बाद खत्म हो जाता है , लेकिन जो महिलाऐं ध्यान नहीं रखती है , उनमें यह समस्या हमेशा के लिए घर कर जाती है।
  • Pregnancy के दौरान ना तो भारी सामान उठाए और न ही सरकाए !
  • कामकाजी महिलाए ना तो सारा दिन सीट पर बैठी रहे और न ही देर तक खड़ी रहें। कुछ देर उठ कर टहल लें। जब उठे, तो शरीर को स्ट्रेच करें।
  • अगर शुरू से दर्द रहा है, तो हल्की मसाज ले सकती हैं। दर्द वाले स्थान पर गरम सिंकाई करें। डॉक्टर की सलाह पर Pelvic Support Belt पहन सकती हैं , हल्की-फुल्की एक्सप्साइज रोज करें। जब बैठे, तो कमर के पीछे तकिय लगाएं। आरामदायक शूज पहनें, पूरी नींद लें।
  • नींद में कमी होना- गर्भावस्था के दौरान विभिन्न शारीरिक बदलावों के कारन अनिंद्रा की समस्या हो जाती है इस से निपटने के लिए चाय, कॉफ़ी, कैफीन, अल्कोहल और वसा युक्त खाने से परहेज रखना चाहिए |

Pregnancy problems – संक्रमण

  • यदि वेजाइना में इचिंग की समस्या है, खुजली परेशान कर रही है, तो यूरिन टेस्ट के द्वारा इन्फेक्शन की जांच कराएं। अगर कुछ ना निकले, समझें कि ऐसा वेजाइनल पी एच लेवल में आ रहे बदलावों की वजह से रहा है। यह सामान्य बात है। इस खारिश से छुटकारा पाने के लिए बेकिंग सोडा में पानी मिला कर पेस्ट बनाएं और प्रभावित हिस्से में लगाएं। सफाई का पूरा ध्यान रखें। ख्याल रखें कि वेजाइनल एरिया हमेशा साफ और सूखा रहे। कॉटन की ढीली पैंटी पहनें।
  • गर्भावस्था के दौरान योनि से स्राव की समस्या से लगभग हर स्त्री जूझती है यह इसलिए होता है क्योंकि गर्भाशय ग्रीवा (neck of the womb) और योनि की त्वचा बहुत नरम हो जाती है इसलिए डिस्चार्ज बढ़कर संक्रमण को योनि से गर्भ की और बढ़ने से रोकता है |
  • गर्भावस्था में मुँहासे– इनसे बचने के लिए आप कुछ केमिकल फ्री कास्मेटिक का उपयोग करे जैसे Tea Tree Bar Soap और मुँहासे के लिए कोई भी हर्बल लोशन |

Pregnancy problems – असामान्य शिशु की हलचल

  • शुरू के महीनों में बच्चे की हल्की-फुल्की मूवमेंट शुरु होती है, जो नोटिस में भी नहीं आतीं। जब मां आराम कर रही होती है, तब महसूस होती हैं। 18 से 20 सप्ताह में गर्भ में बच्चे की गतिविधि महसूस होने लगती है।
  • 36 से 40 सप्ताह के गर्भ में बच्चे की गतिविधिया और तेज हो जाती है! वह पेट में घूमना और लातें चलाना शुरू कर देता है। हर गर्भवती स्त्री जानती है कि दिनभर में कब गतिविधियां तेज हो जाती हैं। अपने गर्भस्थ शिशु के मूवमेंट के तरीके वह जानती है।
  • अगर उसे महसूस हो कि उसका मूवमेंट काफी कम है या बिलकुल नहीं हो रहा है, तो यह समय निश्चित रूप से डॉक्टर को बुलाने का है। वे हॉस्पिटल जाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि वह डॉक्टर की निगरानी में रहे और जरुरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाए जाएं।

गर्भावस्था में जरुरी आहार Diet Chart सहित

गर्भावस्था में देखभाल के जरुरी टिप्स

Pregnancy problems – तुरंत डॉक्टर को दिखाए अगर –

  • Pregnancy के दौरान खून आने के कई कारण हो सकते हैं, पर यह खतरे की घंटी है। इसके प्रति लापरवाही ठीक नहीं है।
  • Pregnancy में यूरिन इन्फेक्शन होने पर पहली तिमाही में ब्लीडिंग हो सकती है, इसलिए डॉक्टर की देखरेख में रहना जरुरी है लापरवाही करने से गर्भपात होने का खतरा हो सकता है!
  • चाहे हल्का सा खून का धब्बा ही क्यों ना हो, इसकी गंभीरता से लें और सीधे डॉक्टर के पास जाएं। पलेसेंटा में समस्या होने पर स्पॉटिंग हो सकती है।तुरंत दिखाना जरुरी है क्योकि इस वजह से बड़ी जटिलता पैदा हो सकती है।
  • माहवारी की तरह रक्तस्र्त्राव हो रहा है तो कोई बहुत गंभीर बात है। ब्लीडिंग का बढ़ना मां और बच्चे दोनों की जान को खतरे में डाल सकता है। एक नज़र इस पोस्ट पर भी – गर्भावस्था में त्वचा और बालों की देखभाल के लिए टिप्स |
  • इस दौरान ब्लड शूगर या ब्लड प्रेशर का बढ़ना खतरे का संकेत है। गर्भधारण के दौरान पेडू (Pelvis) के ऊपरी हिस्से में दर्द हो या निचले हिस्से में, अचानक होनेवाले दर्द को गंभीरतापूर्वक ही लें।
  • यदि अचानक पेडू में दर्द हो, तो डॉक्टर को फोन करने के बजाय सीधे हॉस्पिटल जाएं। इस अचानक होनेवाले दर्द की वजह गर्भपात, एक्टोपिक Pregnancy और प्री मेंच्योर लेबर भी हो सकती है।
  • प्लेसेंटा नीचे आने पर भी दर्द और खून आता है। यदि गर्भधारण के 12 हफ्ते बाद पेडू में दर्द, ब्लीडिंग के साथ ही, तो यह मिसकेरेज भी हो सकता है।
  • योनि से एकाएक पानी आने पर डॉक्टर के पास जाने में देर ना करें। डॉक्टर जरुरी टेस्ट व उपचार करके मां और बच्चे दोनों को बचा सकते हैं।

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