जाने क्या है प्राणायाम? तथा प्राणायाम करने के लाभ

प्राणायाम करने के लाभ :-

प्राणायाम का परिचय (Introduction to Pranayama):- भारत के प्राचीन आयुर्विज्ञान से आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का अच्छा ताल-मेल है। इसलिए न सिर्फ भारत में, बल्कि कई पश्चिमी देशों में भी अनेक लोग प्राणायाम की ओर आकर्षित हुए हैं। नियमित रूप से प्राणायाम करने वाले व्यक्ति को जरुर  स्वास्थ्य-लाभ होता है, इसमें कोई शक नहीं है | आइए, इसके बारे में गहराई से जाँचें-परखें।

प्राणायाम करने के दौरान शरीर पर प्रभाव /Effects of Pranayama on the Brain/Body.

  • आराम करते समय कोई व्यक्ति साँस के रूप में जो हवा शरीर के अंदर लेता है, इस प्रक्रिया को Tidal Volume कहते हैं। साँस लेने की प्रक्रिया में सारी हवा फेफड़ों तक नहीं पहुँचती, क्योंकि इसका कुछ अंश श्वास नली जैसी ‘डेड स्पेस’ में जमा रहता है। Ref. –Tidal volume.
  • बिलकुल मेहनत न करने वाले व्यक्ति द्वारा ली जाने वाली साँस की कुल मात्रा 500 घन सेंटिमीटर होती है। जबकि ‘डेड स्पेस’ लगभग 150 घन सेंटिमीटर जीतनी है। इसके परिणाम स्वरूप फेफड़ों को मिलने वाली ताजी हवा 350 घन सेंटिमीटर (70 %) से ज्यादा नहीं होती।
  • प्राणायाम करते समय गहरी साँस ली जाती है। इसलिए हवा की Tidal Volume काफी बढ़ जाती है | यह लगभग 3000 घन सेंटिमीटर तक होती है। इसलिए फेफड़ों में प्रवेश करने वाली ताजी हवा 70 % के बजाय 95 % तक पहुँच जाती है। इस स्थिति में “डेड स्पेस” का कोई महत्व नहीं रहता। फेफड़ों को अधिक हवा मिलती है।
  • प्राणायाम का दूसरा पहलू है उच्छवास (साँस छोड़ना) | योग करने से पहले जरुर पढ़ें ->  योगासन करते समय जरूरी हैं ये 25 सावधानियां |
  • आराम के समय कोई व्यक्ति साँस छोड़ता है, तो सारी हवा बाहर नहीं निकलती। आदमी जब दूसरी साँस लेना शुरू करता है, तो पहले की लगभग 1650 घन सेंटिमीटर हवा फेफड़ों में पहले से जमा रहती है। इसका मतलब यह है कि ताजी हवा के 350 घन सेंटिमीटर समूह को ध्यान में रखते हुए फेफड़ों के हवा के फेरफार (हवा के आने जाने का चक्र ) की मात्रा का औसत 21 % से अधिक नहीं होता।
  • संक्षेप में, प्राणायाम के द्वारा जितनी हो सके, उतनी हवा साँस छोड़ने की प्रक्रिया द्वारा बाहर निकाल देना ही बेहतर है, ताकि साफ़ हवा को ग्रहण करने वाले वायु-कोषों (alveoli) के लिए अधिक मात्रा में ताजी हवा उपलब्ध हो सके।
  • साँस छोड़ने के बाद नई साँस बहुत गहरी ली जाती है। इसलिए फेफड़ों में वायु का आंशिक दबाव (Partial Pressure) भी बढ़ जाता है। आंशिक दबाव जितना ज्यादा होता है, फेफड़ों की छोटी थैली जैसे वायुकोषों की गीली श्लेष्म त्वचा (Mucous skin) में अधिक वायु स्टोर हो जाती है।
  • यह धारणा सही नहीं है कि रक्त में अधिक ऑक्सीजन मिलने पर रक्त-सप्लाई प्राप्त करने वाले शारीरिक कोष अधिक वायु का उपयोग करते हैं।
  • स्तनपायी प्राणियों को प्राकृतिक हवा के बजाय चाहे जितनी ऑक्सीजन प्रदान की जाए, पर उनके शरीर का चयापचय तंत्र (Metabolic system) अपनी आवश्यकता के अनुसार का ही उपयोग करता है।
  • प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ प्राण का आयाम (विस्तार) होता है |

प्राणायाम करने के बेहतरीन लाभ : /The ultimate benefits of pranayama breathing

 

pranayam-benefits-in-hindi प्राणायाम करने के लाभ
Pranayam-Benefits प्राणायाम करने के लाभ
  • प्राणायाम करने से शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है तथा अधिक चरबी कम हो जाती है जिससे मोटापा दूर होता है। जो weight loss की प्रक्रिया में काफी सहायक है |
  • प्राणायाम करने से युवावस्था अधिक समय तक बनी रहती है, स्मरणशक्ति (Memory Power) बढ़ती है और मानसिक रोग जैसे अवसाद, निराशा आदि दूर होते हैं।
  • प्राणायाम से पेट, लिवर, छोटी-बड़ी दोनों आँतें और पाचनतंत्र पर असर पड़ता है जिससे इनकी कार्यक्षमता बढती है और ये अंग मजबूत होते है |
  • प्राणायाम करने से आंतो में पाचक रस की (digestive juices) वृद्धि होती है जिससे भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन, विटामिन, खनिज ,लवण पूरी तरह से पच कर रक्त में मिल जाते है | इससे खाने का पूरा लाभ शरीर को प्राप्त होता है |
  • साँस द्वारा हड्डियों तक आक्सीजन युक्त हवा बहुत मुश्किल से पंहुचती है। जो बिना किसी व्यायाम के संभव नहीं है |अगर आक्सीजन युक्त वायु वंहा नहीं पंहुचेगी तो हड्डियां कमजोर होने लगती हैं | प्राणायाम सिर्फ साँस और फेफड़ो से जुड़ा हुआ व्यायाम नहीं है बल्कि इसका सीधा असर पूरे शरीर पर पड़ता है |
  • प्राणयाम करने से त्वचा में चमक आती है और झुर्रियां और आँखों के नीचे काले घेरे ठीक हो जाते है, क्योंकि ये समस्याए रक्त के संचार की कमी या अशुद्ध रक्त से उत्पन्न होती है |
  • प्राणायाम करने से शरीर में ऑक्सीजन से भरपूर रक्त संचार में वृद्धि होती है,जिससे नाड़ियाँ (Nerves) शुद्ध होती हैं और शारीरिक आलस्य दूर होता है | शरीर में नयी उर्जा का संचार होता है |
  • प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से मस्तिष्क को शक्ति मिलती है, मन की चंचलता दूर होती है और मन एकाग्र (फोकस) होता है।
  • प्राणायाम करने से न सिर्फ शरीरिक,मानसिक बल्कि इसके निरंतर अभ्यास से आध्यात्मिक शक्ति भी जाग्रत होती है। यह आत्मानंद, आत्मप्रकाश और मानसिक शांति प्रदान करता है।
  • मन में निरंतर उठने वाले विभिन्न विचार मानसिक शांति में बाधक होता है। प्राणायाम का उचित ढंग से अभ्यास करने पर इन निरर्थक विचारों को कम अथवा बंद किया जा सकता है।
  • प्राणायाम को रोजाना करने से अंतःस्रावी तन्त्र (Endocrine System) स्वस्थ, संतुलित और मजबूत बनता है।
  • प्राणायाम के अभ्यास से साँस लेने की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
  • नियमित रूप से प्राणायाम करने वाला व्यक्ति रोगमुक्त होकर दीर्घायु प्राप्त करता है।
  • प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मनुष्य के आंतरिक अध्यात्मिक प्रकाश, सुख एवं मानसिक शांति का विकास होता रहता है।

प्राणायाम के महत्त्वपूर्ण अंग

प्राणायाम करने से पहले इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त कर लेना आवश्यक है। जैसे  :

( 1 ) प्राणायाम की विधि और सावधानियां

( 2) पूरक, रेचक और कुंभक

(3 ) इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियाँ

( 4 ) मूलबंध, जालंधरबंध और उडुीयानबंध

( 5 ) नाड़ीशुद्धि

(6) कपालभाती

इन सबके बारे में हम अगले लेखो में विस्तारपूर्वक बतायेंगे |

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