शाकाहारी भोजन के फायदे- Veg Vs. Non-Veg Diet

यह एक आम धारणा है कि शाकाहारी भोजन से शरीर को पूरी तरह ताकत नहीं मिलती, जिसकी वजह से शरीर कमजोर, दुबला-पतला और अस्वस्थ हो जाता है, इसलिए अनेक लोग तो मांस का सेवन केवल इसलिए शुरू कर देते हैं कि उनकी कमजोर सेहत सुधर जाए। जबकि वास्तविकता यह है कि मांस शक्तिवर्धक आहार के रूप में लिया जाने वाला कई रोगों का कारण बन जाता है | इस लेख में शाकाहार और मांसाहार की तुलना एक वैज्ञानिक आधार पर की गई है | इसमें धार्मिक या अध्यात्मिक मान्यताओ और जानकारी को आधार नहीं बनाया गया है | यहाँ मांस को केवल फ़ूड साइंस के अनुसार कैलोरी, प्रोटीन, वसा तथा अन्य तत्वों के आधार पर जांचा गया है |

इंसान सर्वभक्षी होते हैं इसलिए वो दोनों ही तरह के भोजन को खा पाते है | कुछ जलवायु के लोगो के लिए मांस ही खाने का आखरी विकल्प होता है क्योंकि वहां वनस्पति ज्यादा नहीं होती है या वहां के मौसम और व्यक्ति विशेष की जरुरत मांस से ही पूरी हो सकती है |

वैज्ञानिक अनुसंधानों से और विश्व भर के अनेक डॉक्टरों के अनुभवों से यह सिद्ध हो चुका है कि मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारी अधिक स्वस्थ और लंबी उम्र के होते हैं। इसका कारण यह है कि मांस में केवल कुछ ही पोषक तत्व पाए जाते हैं, परन्तु शाकाहारी भोजन में अनेक किस्म की सब्जियों, फलों, दूध, अनाज आदि का सेवन किया जाता है, इस कारण शरीर को लगभग सभी आवश्यक पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है।

मनुष्य अपनी प्रकृति से मांसाहारी नहीं हैं | मनुष्य के शरीर की संरचना इस प्रकार है कि शाकाहारी आहार ही हमारा स्वाभाविक भोजन है | मनुष्य, बंदर ,घोडा, गाय इन सबके दांत एक समान सपाट होते हैं | जिससे शाकाहारी भोजन चबाने में सुविधा होती है, जबकि मांसाहारी जानवरों की जीभ लंबी होती है और दांत नुकीले होते हैं, ताकि वे मांस खींच-खींच कर खा सके जैसे शेर, भेडिये आदि मांसाहारी जानवरों के ।

शाकाहार और मांसाहार का फर्क |

शाकाहारी भोजन के फायदे - Vegetarian Vs Non Vegetarian Food
Vegetarian Vs Non Vegetarian Food
  • मांसाहारियों की आंतों की लंबाई उनके शरीर की लंबाई से दोगुनी या तीन गुनी होती है तथा शाकाहारियों की आंत की लंबाई उनके शरीर की लंबाई से पांच या छह गुना लंबी होती है। यानी प्रकृति ने मनुष्य शरीर की रचना शाकाहारी भोजन के लिए ही बनाई है, न कि मांसाहार का सेवन करने के लिए।
  • शाकाहारी व्यक्ति रोगी पशु के सड़े-गले माँस के खाने से होने वाली बीमारियों से बचा रहता है। अकसर लोग ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए व्यापारी खाने पीने की चीजो में मिलावट करते है फलों, सब्जियों, अंडे, मुर्गो को जल्द ही बेचने को तैयार करने के लिए हार्मोन और दूसरी दवाओ का इस्तमाल करते है जो बहुत सारी बिमारियों का प्रमुख कारण है | यह सिथ्ती तब और भी खतरनाक हो जाती है जब मांस के लिए बने पशु और मुर्गियों को ये दवाएं दी जाती है | फलो और सब्जियों के मुकाबले मांसाहार पर इन दवाओ का ज्यादा इस्तमाल किया जाता है |
  • प्रोटीन किसमें अधिक अकसर यह आम धारणा है कि मांस और अंडे में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि प्रति 100 ग्राम अंडे में 13 ग्राम प्रोटीन होता है। मांस में 18 से 22 ग्राम, सोयाबीन में 43 ग्राम, पनीर में 24 ग्राम, मूंगफली में 26 ग्राम, मूंग की दाल में 24 ग्राम तथा चने में 24 ग्राम प्रोटीन होता है।
  • इसी प्रकार यह आम धारणा है कि मांस और अंडे में कैलोरी अधिक मात्रा में पाई जाती है, जबकि वास्तविकता यह है कि 100 ग्राम अंडे में 173 कैलोरी होती है, मांस में 114 से 194 कैलोरी होती है, वहीं सोयाबीन में 432 कैलोरी, मूंगफली में 570, चने में 347 कैलोरी, मूंग की दाल में 334 कैलोरी होती है।
  • मछली को छोड़कर (जिसमें विटामिन ‘ए’ और ‘डी’ पाया जाता है) अन्य माँस में विटामिन बिलकुल नहीं होते, जिसकी वजह से मनुष्यों की रोग-निरोधक शक्ति कम हो जाती है। इसी प्रकार माँसाहारी भोजन में रेशा बिल्कुल नहीं होता, जो मनुष्य के आमाशय में साफ सफाई का काम करता है। इसी वजह से माँसाहारी मनुष्य में पेट की त्वचा पट जाती हैं और वे तरह-तरह के रोगों से ग्रसित हो जाते हैं।
  • मांसाहार को शाकाहार के मुकाबले ज्यादा साफ सफाई, कम तापमान में रख रखाव, और कम समय में उपयोग करने की जरुरत होती है क्योंकि शाकाहार की अपेक्षा मांसाहार में बेक्टेरिया और कीटाणु बहुत जल्दी पनपते है | रखरखाव की ये सब जरूरते अक्सर खराब आधारभूत ढांचे और कम पैसो में ज्यादा मुनाफाखोरी की आदत के चलते नहीं हो पाती है |
  • आपने शायद टीवी या अख़बार के जरिये सुना होगा की मंडियों में मरे हुए जानवरों खास तौर पर मुर्गियों का मांस सस्ते भाव में बेचा जाता है जिसका उपयोग ढाबे, होटल, खोमचे रेहड़ी वाले खूब करते है | इससे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं की मांसाहार का सेवन बीमारियाँ क्यों बढ़ाता है |
  • इंसानी शरीर को करीब 24 खनिजों की जरूरत होती है। शरीर की वृद्धि, मरम्मत और आवश्यक कार्यों के नियमन के लिए खनिज जरूरी हैं। आहार में धान्यों, ज्वार, बाजरा और दालों के खाने से शाकाहारी व्यक्ति को सभी अनिवार्य खनिज प्राप्त हो जाते हैं।

मांसाहार से व्यक्तित्व भी प्रभावित

  • मांसाहार का स्वास्थ्य पर तो बुरा प्रभाव पड़ता ही है, व्यक्तित्व भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। मांसाहार का रोजाना सेवन करने से शरीर में मोटापा तो आता ही है, साथ ही सामान्य से ज्यादा भोजन भी खा लिया जाता है।
  • क्योंकि इसे तेज तथा जायकेदार बनाने के लिए इसमें तेल-घी एवं गरम मसालों का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। परिणामत: इन्हें खाने से शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है। यह भी पढ़ें – पानी पीने के भी हैं कुछ खास नियम और सही तरीके |

मांसाहार से नुकसान ।

  • मांस में अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन लिवर को प्रभावित करता है, जिससे लिवर खराब हो जाते हैं।
  • मांस शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ा देता है, जिसके कारण हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक, दिल बड़ा होना जैसी तकलीफें हो सकती हैं। यह भी पढ़ें – हाई ब्लड प्रेशर कम करने के उपाय- हाई बीपी के कारण लक्षण
  • मांसाहारियों को दांतों की तकलीफ अधिक होती है और दांत जल्दी खोखले हो जाते हैं।
  • इसके सेवन से शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है, जिसके कारण हाथ पैरों के जोड़ों की तकलीफें होनी शुरू हो जाती हैं।
  • मांसाहारियों में ‘फूड पॉयजनिंग’, यानी भोजन विषाक्तता की घटनाएं अधिक होती हैं।
  • मांस को ज्यादा लजीज बनाने के लिए अधिक तेल और मिर्च-मसालों का प्रयोग किया जाता है, जिससे शरीर में खुश्की बढ़कर कब्ज़ की शिकायत हो जाती है।
  • मांसाहार से पेट की तकलीफें जैसे अल्सर, अपेंडिसाइटिस, पेचिश, बवासीर, अपच, जिगर की खराबी, आंतों में सड़ने से उत्पन्न रोग भुगतने पड़ते हैं। जानिए – कब्ज: कारण लक्षण और मिटाने के सरल उपचार
  • चर्म विकार, मूत्र रोग, पथरी की शिकायत, रक्त की कमी, कैंसर की बीमारियां मांसाहार का सेवन करने वालों को अधिक होती हैं।
  • जो लोग माँसाहारी भोजन अधिक करते हैं, वे प्रकृति की संरचना के विरुद्ध कार्य करते हैं और अपने ही पाचन क्रिया की काम करने की प्रक्रति के उल्ट काम करते है। क्योंकि मांसाहार खाना खाने से उनकी बड़ी आँतें काम ही नहीं आतीं है, इसलिए वे शिथिल और निष्क्रिय होकर सूखती जाती हैं और बाद में सिकुड़ जाती हैं।
  • यही कारण है कि माँसाहारी मनुष्यों में बड़ी आँतों का और मलाशय का कैंसर बहुत ज्यादा पाया जाता है। माँसाहारी भोजन में चर्बी बहुत अधिक होती है, जिसे माँसाहारी जीव तो झेल लेते हैं, लेकिन शाकाहारी व्यक्ति झेल नहीं पाते। यही कारण है कि माँसाहारी मनुष्यों में रक्तचाप बहुत बढ़ जाता है।

शाकाहारी भोजन से लाभ

  • यह मांसाहार की अपेक्षा सस्ता पड़ता है।
  • शतायु से अधिक उम्र पाने वाले लोगों का अध्ययन किया जाए, तो ज्ञात होगा कि वे चाहे भारत के हों या रूस, जापान, अफ्रीका आदि देशों के, उसका मूल कारण उनका शाकाहारी होना है। जानिए फ़ूड पॉइजनिंग के कारण और बचाव के उपाय |
  • शाकाहारी के शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति मांसाहारी की तुलना में ज्यादा होती है।
  • पौधों पर आधारित वसा युक्त शाकाहारी भोजन के सेवन से न केवल प्रोस्टेट और कोलोन ग्रंथि में कैंसर का खतरा कम होता है, बल्कि महिलाओं में वक्ष के कैंसर का खतरा भी घटता है।
  • शाकाहार शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रख कर सात्विक प्रवृत्ति बढ़ाता है।
  • इसके सेवन से कब्ज, बवासीर, कोलाइटिस, त्वचा के रोग, दिल, गुर्दे, अल्सर, संक्रामक रोग आदि की तकलीफें कम होती हैं।
  • शाकाहारी माँसाहारी की तुलना में अधिक मात्रा में उष्णता (कैलोरीज) विटामिन, प्रोटीन एवं धातु प्राप्त करते हैं।
  • सरसों का तेल, दालें, हरी सब्जियाँ व चना का उपयोग शरीर में विद्यमान कोलेस्ट्रोल में कमी करता है।
  • करोडो लोगो को कब्ज़ व सिरदर्द का रोग भोगना पड़ता है। इनसे बचने के लिए फलों व सब्जियों के रस का सहारा लेना चाहिए। फलाहार विटामिन की कमी के कारण होने वाले रोगों से बचाव एवं छुटकारा देता है।
  • कमजोर रोगी फलों अथवा सब्जियों के रसों का उपयोग कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। एक मुट्ठी भर भुने हुए चने मनुष्य प्रात:काल खा ले तो उसे क्षय या प्लूरिसी की बीमारी जन्म भर नहीं हो सकेगी। जानिए जूस पीने के फायदे और कोल्ड ड्रिंक पीने के नुकसान |
  • शाकाहारी भोजन मधुमेह रोगी के गुर्दे और तंत्रिका तन्त्र को स्वस्थ रखता है। यह वजन घटाने में सहायक है। फल और सब्जियाँ खाने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है। शाकाहारी भोजन स्मार्ट फूड है।

शाकाहारी आहार से बीमारियों का बचाव

जर्मनी में किए गए शोध-कार्य से पता चलता है कि शाकाहारी खाद्य ज्यादा प्रयोग करने से हृदयाघात तथा कैंसर से बचाव होता है, क्योंकि इसमें कैरोटिनाइड नामक रसायन होता है। यह रसायन विशेषत: पालक, टमाटर, गाजर और मिर्च में मिलता है। जर्मनी में ही एक अन्य अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि टमाटर का कम-से-कम 2 गिलास जूस पीने से शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ती है, जिससे चर्बी, खून और शरीर के अन्य संवेदनशील अंगों में विषाणुओं का प्रभाव कम हो जाता है।

उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यदि आप मांसाहारी हैं, तो प्रयत्न कर धीरे-धीरे पूर्ण शाकाहारी बनने की कोशिश करें, ताकि आप अनेक रोगों से बच सके।

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