चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और रोकथाम टिप्स

बरसात के मौसम में चिकनगुनिया का बुखार काफी लोगो को अपनी गिरफ्त में ले लेता है खासतौर पर अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के महीने में | इसलिए इस पोस्ट में चिकनगुनिया बुखार होने के मुख्य कारण, लक्षण ,सावधानीयां, बचाव के उपाय तथा इसके इलाज और खानपान से जुडी महत्त्वपूर्ण जानकारी विस्तार से देंगे |

हमारे देश में विशेषकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा और दिल्ली एनसीआर में चिकनगुनिया बुखार, आंतक का पर्याय बन जाता है जोड़ों को तेज दर्द से निष्क्रिय बना देने वाला यह बुखार केवल एक सप्ताह में ही व्यक्ति को इतना कमजोर कर देता है कि वह कोई कार्य करने में स्वयं को अक्षम पाता है। चिकनगुनिया शब्द अफ्रीकी है, क्योंकि इस बुखार की शुरुआत अफ्रीकी देशों से ही हुई थी। इसका शाब्दिक मतलब है हड्डी टूटने जैसा दर्द, इसलिए कुछ लोग इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। मच्छर के काटने से होने वाला यह एक खतरनाक बुखार देश में अब तक लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है और इससे सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं।

चिकनगुनिया के बारे में जानना इसलिए बहुत जरुरी है क्योंकि चिकनगुनिया के बारे में पूरी तरह से जारुकता ना होने के कारण चिकनगुनिया ने लोगों के दिलों में डर बिठा दिया है | ज्यादातर मामलो में चिकनगुनिया का इलाज घर पर भी हो सकता है, यह जरुरी नहीं है की आप हॉस्पिटल में एडमिट हो | डॉक्टर की सलाह लेकर घर पर रहते हुए भी यह ठीक हो सकता है | चिकनगुनिया से बचाव ही सबसे इसका सबसे अच्छा इलाज है |

कैसे फैलता है चिकनगुनिया? Chikungunya Caused By :

चिकनगुनिया chikungunya causes prevention treatment hindi
चिकनगुनिया वायरस फैलाने वाला मच्छर -एडीज (Aedes)

चिकनगुनिया को फैलाने वाले मच्छर Aedes (एडीज, इजिप्टी ) जब इस रोग के विषाणु से संक्रमित संग्राहक मच्छर जब स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसके खून में चिकनगुनिया के आर्बो वाइरस छोड़ देता है और एक स्वस्थ व्यक्ति इस रोग का शिकार बन जाता है। जबकि इस रोग के वाहक मच्छर स्वयं असंक्रमित रहते हुए अपने पूरे जीवन काल में रोग को अन्य व्यक्तियों में फैलाते रहते हैं।

  • ये मच्छर सुबह-शाम 5 से 8 बजे के मध्य घरों में प्रवेश करते हैं, अत: घरों में जालियाँ तो होनी ही चाहिए, लेकिन इस वक्त दरवाजे, खिड़कियाँ बंद रहें तो अच्छा।
  • इजिप्टी मच्छर आकार में बड़े होते हैं और प्राय: दिन में ही काटते हैं।
  • इनके शरीर पर सफेद धारियाँ होने के कारण इन्हें टाइगर मच्छर भी कहा जाता है।
  • मलेरिया फैलाने वाला एनाफिलीज तो एक व्यक्ति को काटने के बाद बहुत समय तक शांत पड़ा रहता है, लेकिन चिकनगुनिया फैलाने वाला एडीज मच्छर एक ही समय में उड़कर कई लोगों को काटता है, जिससे अधिक लोग चिकनगुनिया के शिकार बनते हैं।
  • एक धारणा लोगों में यह भी है कि मच्छर केवल गंदे पानी या नालियों में ही पैदा होते हैं, लेकिन एडीज मच्छर एवं कई प्रजातियाँ स्वच्छ रुके हुए पानी में भी अपना डेरा जमाकर अपनी संख्या को बढ़ाती रहती हैं।

चिकनगुनिया के लक्षण : Chikungunya Symptoms.

chikungunya causes prevention treatment hindi2 चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और रोकथाम टिप्स
शरीर पर चिकनगुनिया के लक्षण
  • मच्छर द्वारा काटने पर एकदम से व्यक्ति में चिकनगुनिया के लक्षण उत्पन्न नहीं होते, बल्कि कुछ समय लगता है। शरीर में रोग के विषाणु के आने और बीमारी के लक्षण उत्पन्न होने के बीच के समय को Incubation Period कहा जाता है।
  • चिकनगुनिया के मामले में यह समय 2 से 3 दिन तक का होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह 7 दिन भी हो सकता है।
  • चिकनगुनिया के लक्षण मलेरिया बुखार या डेंगू बुखार से मिलते-जुलते हैं। इस बुखार में ठंड से कप-कपी लगती है और 102 डिग्री सेल्सियस से 104 डिग्री तक बुखार आता है।
  • मांस पेशियाँ एवं छोटे जोड़ों और रीढ़ की हड्डी में बहुत तेज़ दर्द होता है। हाथ पैरो के जोड़ों में सूजन भी आ सकती है। और आखों मे दर्द होना भी शामिल है |
  • इन लक्षणों के अलावा कमजोरी आना, जी मिचलाना और दिन की रोशनी या चमक सहन न होना (Photo phobia) जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं, साथ ही शरीर की त्वचा पर लाल दाने या चकते आ सकते हैं।
  • चिकनगुनिया बुखार में जोड़ों में दर्द और कमजोरी 5-7 दिनों तक बनी रहती है, लेकिन कुछ मामलों में दर्द कई सप्ताह तक रह सकता है। हाथ-पैर हिलाने, उठने बैठने, और चलने फिरने पर तकलीफ होती है
  • कुछ कमजोर और बड़ी उम्र के मरीजों में जोड़ों का दर्द महीनों तक चलता रहता है।

चिकनगुनिया वायरस से शरीर को होने वाले नुक्सान : Side Effects Chikungunya

  • यदि चिकनगुनिया के इलाज के संबंध में सतर्कता न बरती जाए तो कुछ गंभीर जटिलताएँ जैसे-मस्तिष्क की सूजन, पेट की सूजन इत्यादि हो सकती है।
  • चिकनगुनिया के बाद जोड़ों का दर्द और गठिया इसके मुख्य आफ्टर शाक्स के रूप में उभरते है |
  • यह रोग शरीर में पानी की कमी कर देता है।
  • चिकनगुनिया का बुखार के ठीक होने के बाद व्‍यक्ति को गुर्दे लीवर से जुडी बीमारी हो सकती है |
  • इसलिए चिकनगुनिया रोग के लक्षण आने पर तुरंत डाक्टर की दिखाएं । कई बार तेज बुखार के कारण भी रोगी की मृत्यु हो सकती है।

चिकनगुनिया के लिए टेस्ट : Diagnostic Testing of Chikungunya virus

  • चिकनगुनिया की पहचान के लिए जो टेस्ट किया जाता है उसमे खून के नमूने को चिकनगुनिया विषाणु के आई.जी.एम. जाँच अथवा पी.सी.आर. जाँच करवाने के लिए राष्ट्रीय विषाणु संस्थान, पुणे में भेजा जाता है। लेकिन स्थानीय स्तर पर भी रक्त की कुछ जांचो से रोग का अंदाजा हो जाता है।
  • जैसे इस रोग में सफेद रक्ताणुओं White Blood Cells की संख्या कम हो जाती है, इसलिए सी.बी.सी. जाँच किसी भी अच्छी पैथोलॉजी लैब से कराई जा सकती है।

चिकनगुनिया का उपचार आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में : Chikungunya Treatment

  • चिकनगुनिया के विषाणु को शरीर के अंदर खत्म करने की कोई विषाणु रोधक दवा अभी उपलब्ध नहीं है। फिर भी रोग के लक्षणों का इलाज बहुत कुछ संभव है और रोग से होने वाली मौतें टाली जा सकती हैं।
  • इसलिए बिना देर किये शीघ्र ही डॉक्टर से सलाह लेकर दवा शुरू कर देनी चाहिए।
  • चिकित्सक जोड़ों एवं अन्य दर्द के लिए दर्द निवारक दवाएँ लिखते हैं तथा बुखार को कम करने के लिए भी दवा देते हैं। यदि शरीर में पानी की कमी होती है तो ग्लूकोज, सेलाइन की बोतल चढ़ाते हैं।
  • चिकनगुनिया का बुखार हफ्ते भर के बाद अपने आप ही ठीक होने लगता है। लेकिन बुखार से होने वाली अन्य समस्याओ को रोकने के लिए इलाज होना जरूरी होता है। क्योंकि रोगी की मृत्यु तेज बुखार से भी हो सकती है।

चिकनगुनिया के मरीज को क्या सावधानी बरतनी चाहिए : Precautions 

  • चिकनगुनिया से पीड़ित रोगी को आराम करना चाहिए, साथ ही खूब पेय पदार्थ (पीने योग्य तरल चीजे ) लेते रहना चाहिए, ताकि शरीर में पानी अथवा खनिज-लवणों की कमी न हो।
  • दर्द निवारक दवाएँ खाली पेट न लें, क्योंकि इनसे पेट में अल्सर या ब्लीडिंग होने की संभावना बन सकती है।
  • घर पर रहें और जितना ज्यादा हो सके बिस्तर पर आराम करें और शरीर की उर्जा बचाए |
  • अगर आप किसी और बीमारी से भी ग्रसित हैं जैसे मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और इन बीमारियों  की दवा ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर को उसके बारे में जरूर बताएं |
  • चिकनगुनिया आहार – विटामिन सी वाले फल सब्जिया लें विटामिन सी से शरीर की रोग प्रतिरोधक ताकत बढती है | जैसे संतरा आंवला नींबू और गिलोय |
  • चाय, कॉफ़ी, अल्कोहल, धुम्रपान और चटपटा और अधिक तेल घी वाले खाने से बचें |
  • चिकनगुनिया में क्या खाना चाहिए – हल्का भोजन जो आसानी से हजम हो जाये जैसे खिचड़ी , और जूस फलो का लगातार सेवन करना चाहिए |
  • बर्फ के टुकडो को तौलिए में लपेटकर जोड़ों पर रखें इससे दर्द में कुछ आराम महसूस होगा |
  • दर्द नाशकों में आइबो प्रोफेन, पेरासीटामाल, डाइक्लोफेनेक दी जाती हैं। इनसे कुछ मात्रा में बुखार भी कम होता है। नोट – डॉक्टर की सलाह के बिना अपने आप दवा का सेवन बिल्कुल ना करें | देखे यह लेख – जाने दवाइयों के सेवन से जुडी सावधानियां और Medicine Side Effects.

चिकनगुनिया की रोकथाम : Chikungunya Prevention And Control Tips

  • चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए मच्छरों के पैदा होने के कारणों को जानकार उनके लिए उपाय करने चाहिए क्योंकि इस रोग के संग्राहक ये मच्छर ही होते हैं।
  • इन मच्छरों को नष्ट करने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव अथवा फांगिंग (पेट्रोल, डीजल और पायरोथर्म का धुआँ) भी एक तरीका है।
  • चिकनगुनिया का मच्छर दिन में ज्यादा कटता है, ख़ासतौर से सुबह और दोपहर में इसलिए इस समय पर ज्यादा सावधान रहें |
  • इनके साथ ही निम्न उपाय भी अपनाएँ ताकि मच्छरों की संख्या में वृद्धि न हो |
  • घरों के इर्द-गिर्द हमेशा साफ-सफाई रखें। किसी भी स्थिति में पानी जमा न होने दें, ताकि मच्छर पैदा न हों।
  • घर के अंदर कूलर का पानी पाँच-छह दिनों के अंतराल से बदलें।
  • फ्रिज के नीचे की ट्राली का पानी भी तुरंत फेंक दें।
  • इसी तरह घर के अंदर मनी प्लांट लगे हों तो उनका पानी पाँच-छह दिन में बदलते रहें।
  • फिश टैंक खुले न रखें।
  • पुराने टायर , खाली पड़ी बोतलों में पानी जमा ना होने दे | अगर पानी नहीं निकाला जा सकता है तो थोडा सा मिट्टी का तेल यानि केरोसिन आयल डाल दें | चिकनगुनिया मच्छर को पैदा न होने देने का यह एक आसान उपाय है
  • बाथरूम साफ रखें।
  • मेलाथिआन, डी.डी.टी. के छिड़काव के लिए आनेवाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का सहयोग करें।
  • छिड़काव से मच्छरों के लार्वा खत्म हो जाते हैं।
  • मच्छरदानियों का उपयोग करें। पूरी बाजू वाली शर्ट और लम्बी पैंट पहनें।
  • जुराबो का इस्तेमाल भी करें, क्योंकि मच्छर अकसर पैरों के निचले हिस्सों में काटते हैं।
  • घरों की खिड़कियों, रोशनदानों तथा दरवाजों में मच्छर जालियाँ लगवाएँ।
  • बिजली से चलने वाले मच्छर भगाने वाले साधनों तथा धुएँ का सहारा लें ।
  • गाड़ी की खिड़की या शीशे खोलते समय अक्सर गाड़ी के अंदर मच्छर घुस जाते है इसलिए मच्छर भगाने वाला स्प्रे करके कुछ देर बाद गाड़ी में प्रवेश करें या अन्य कोई उपाय अजमाए |
  • शरीर पर मच्छरों को दूर रखनेवाली क्रीम लगानी चाहिए खासतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चो को |
  • बच्चो को स्कूल की ड्रेस भी ऐसी पहनानी चाहिए जिसमे शरीर का ज्यादा से ज्यादा ढंका जा सके |
  • गंवूसिया या गप्पी मछलियाँ भी मच्छरों के लार्वा को खा जाती हैं, इसलिए चिकनगुनिया के मच्छर या अन्य मच्छरों से बचाव के लिए मलेरिया विभाग या अपनी सोसाइटी की मदद से इन मछलियों को जलाशयों में डलवाया जाना चाहिए ।

चिकनगुनिया के बाद जोड़ों का दर्द : Chikungunya Fever Joint Pain

  • चिकनगुनिया का बुखार जोड़ों का दर्द या हड्डियों में दर्द लगभग 8 महीनों तक बना रह सकता है |
  • चिकनगुनिया के दर्द का इलाज ठीक करने के लिए कोई एक खास दवा नही है, आम दर्द निवारक दवाई या मालिश का तेल प्रयोग करने की सलाह दी जाती है |
  • कुछ लोग शहद-चूना मिश्रण के पेस्ट की मालिश से दर्द ठीक करने का दावा करते है कुछ लोगो को कम मात्रा मे हल्दी प्रयोग से भी लाभ होता देखा गया है। यह भी पढ़ें – डेंगू बुखार : लक्षण, बचाव, खानपान और उपचार के उपाय

चिकनगुनिया का इतिहास : History of Chikungunya

  • मच्छर की एडीज, क्यूलेक्स एवं मानसोनिया प्रजातियाँ, चिकनगुनिया फैलाती हैं। यह रोग मानव- मच्छर- मानव के गोल सर्कल मे फैलता है। इसको पैदा करने वाला एक विषाणु अर्थात् वाइरस होता है, यह विषाणु जो अर्बोवाइरस समूह का होता है | 2005 और 2006 में यह रोग दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश स्टेट्स में जबरदस्त रूप में फैला। केवल उड़ीसा में फरवरी-मार्च 2006 में 5,000 रोगी इस रोग से ग्रसित पाए गए।

चिकनगुनिया का आयुर्वेदिक इलाज  : Chikungunya Treatment In Ayurveda

  • नीम की गिलोय, सोंठ, छोटी पीपर और गुड़ के साथ तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है |
  • नीम के पत्तों को पीस कर उसका रस निकालकर चिकनगुनिया मरीज को पिलाये | तुलसी का रस और नारियल पानी पीना भी फायदेमंद है | पढ़े यह पोस्ट – एलोवेरा जूस बनाने की विधि और फायदे 
  • चिकनगुनिया की होमियोपेथी दवा की जानकारी के लिए पढ़े नवभारत टाइम्स का यह पोस्ट – होम्योपथी में है डेंगू-चिकन-गुनिया का इलाज, जेब को पड़ेगा बहुत सस्ता |
  • बाबा रामदेव के अनुसार गिलोय, एलोवीरा, पपीता, अनार, गेंहू ज्वारा इन सबका जूस बनाइए और दो-दो घंटे में पीते रहें |
  • लीवर ठीक करने के लिए पपीते के पत्तों का रस और अनार का रस लें और रक्त के प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए गिलोय और एलोवेरा का जूस लें | स्रोत – ABP news.
  • चिकनगुनिया से अनावश्यक रूप से डरने की जरूरत नहीं है। इस तरह साफ-सफाई और बचाव के पर्याप्त तरीके अपनाए जाएँ तो मच्छर-से पैदा होने वाला चिकनगुनिया या अन्य बुखारों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है।

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